Gulafshan Neyaz

Drama

4.7  

Gulafshan Neyaz

Drama

जुल्फों की छाँव

जुल्फों की छाँव

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पूरे आँगन में उसकी जुल्फ बिखरी पड़ी थी। वो सर को नीचे किये सुबक सुबक कर रो रही थी। अंदर ही अंदर खुद को कोस रही थी। उसे तो लगता था की को बहुत समझदार है। उस से इतनी बरी गलती कैसे हो गई।क्या वो प्यार में इतनी अन्धी हो गई की उसे अपने माँ बाप ही दुश्मन लगने लगे। उनके लाख मना करने पर भी उस ने घर ही छोड़ दिया। उसने उपर से नीचे खुद को देखा उसके हाथों में जगह जगह डंडे के लाल निशान परे थे सारी भी फटी होए थी।

तभी उसके कानो में उसके सास की अवाज गई अरेअ वो महरानी कबतक मातम मनती रहेगी घर का काम तेरा बाप कारएग।

कुलच्छनी जब से घर में आएआ है।तब से दो पल चेन की सास लेना मुश्किल कर दिया है।तेवर तो ऐशे है जैसे बाप के यंहा से दहेज़ लेकर और डॉली में बैठ के आए हो।भाग के आएआ है।जो अपने माँ बाप की ना होएआ वो हमरी क्या होगी।मेरे बेटी की मती ही मारी गई थी जो इस मनहूस से वियाह कर लिया और कान्हा करता तो दहेज भी मिलते और इज्जत भी बढती।सारे अरमान पर पानी फेर दिया मन्न्हुस ने ।अब उठ भी जा।एआ सब बाते मीरा की कानो में गरम सिस्से की तरह चुफ रहे थे।फिर भी वो खामोश रही।उसने खुद को सहारा देते होएआ उठाया और किचन की तरफ चाल दे।

उसने धीरे धीरे सारे काम केअ उसका जिस्म उसका साथ नहीं दे रहा था बदन से जगह जगह खून बह रहे थे। रात हो चुकी थी सब सो चुके थे रमन का कहीं पता नही था ।होगा अपने उन आवरो दोस्तो के साथ पी रहा होगा सराब और जो ।मेरे साथ किया वो खुश हो होकर सून रहा होगा ।आपनी मर्दानगी के किस्से सून रहा होगा। मीरा के आँखो से नीन्द कोशो दूर थी। बदन में बरी पीरा हो रही थी।वो घर के आँगन में आकर बैठ गए। अचानक उसकी नज़र उसके बालों के तरफ गए जो अब भी आगन में हवा के साथ इधर उधर उर रहे थे। जिसे देखकर उसकी आँखों से आंसू आ गए।


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