जलेबी
जलेबी
आजकल जलेबी फिर से चर्चा में है । वैसे तो जलेबी हर समय हर जगह चर्चा में रहती है । खस्ता करारी जलेबियां सबका ध्यान अपनी ओर खींच ही लेती हैं । जलेबी के दीवाने सब लोग होते हैं । शादी की पार्टियों में सबसे अधिक भीड़ जलेबी की स्टॉल पर ही मिलती है । दूध और जलेबी का बहुत पुराना संबंध रहा है । क्या मर्द और क्या औरत ! क्या युवा और क्या बूढ़ा ! सब जलेबी के चारों ओर चक्कर काटते हैं ।
वैसे तो स्त्रियां सुंदर सुंदर चीजों से "जलती" हैं । उनके सामने यदि उनसे भी सुंदर कोई स्त्री आ जाए तो वे अपना फ्रस्ट्रेशन निकालने के लिए उसकी खिल्ली उड़ाने लगती हैं । लेकिन जलेबी के साथ उनका रिश्ता 36 का नहीं अपितु 63 का है । जलेबी से जलने भुनने के बाद भी वे जलेबी की स्टॉल पर खिंची चलीं आतीं हैं ।
सन 2011 में एक पिक्चर आई थी "डबल धमाल" । उसमें मल्लिका शेरावत ने "जलेबी बाई" बनकर जो डांस किया था , उसने उस घिसी पिटी पिक्चर को सुपर डुपर बना दिया । तब हर किसी की जुबान पर जलेबी बाई चढ़ी हुई थी । जलेबी चीज ही ऐसी है । यह सबको अपना बना लेती है । जलेबी की मिठास जीवन की कड़वाहट को खत्म कर देती है । फिल्म की "जलेबी बाई" ने दर्शकों को ऐसा खींचा कि दर्शक आज भी "जलेबी बाई" की ओर खिंचे चले जा रहे हैं ।
कहते हैं कि जलेबी बहुत "सीधी" होती है , बिल्कुल आधुनिका स्त्री की तरह ! पहले के जमाने में लोग सीधेपन के लिए एक स्त्री की तुलना गाय से करते थे और कहते थे कि हमारी बेटी गाय की तरह सीधी है । लेकिन आजकल लोग कहते हैं कि हमारी बेटी जलेबी की तरह सीधी है । जिस तरह एक स्त्री की जुल्फों में कई सारे पेंच होते हैं । तिरछी निगाहों , कंटीली अदाओं , कातिल मुस्कान , कमर हलकान , चाल निराली और हुस्न की हरियाली के सैकड़ों पेंच रखने के बाद भी एक स्त्री सदैव "सीधी-सादी" , "भोली भाली" ही कहलाती है । उसी तरह जलेबी भी अनेक घुमाव रखने के बावजूद अन्य मिठाइयों से "सीधी-सादी" ही लगती है ।
पिज्जा, बर्गर और चॉकलेट जैसे विदेशी फूड्स ने जलेबी को कहीं पीछे धकेल दिया था । कुछ कुछ ऐसे ही जैसे कोई प्राकृतिक सुंदरी मेकअप वाली सुंदरी से पीछे हो गई हो । इसे फिर से लाइमलाइट में लाने का श्रेय हमारे सफेद दाढ़ी वाले चिर युवा "युवराज" को जाता है । आजकल "युवराज" कॉमेडी के बादशाह बने हुए हैं । उन्होंने सभी कॉमेडियनों का धंधा ठप्प कर रखा है । उनकी कॉमेडी ने देश विदेश में धूम मचा रखी है । लोगों ने मनोरंजन के लिए थियेटर, सिनेमा हॉल जाना बंद कर दिया है और युवराज की रैलियों में जाना शुरू कर दिया है । जब फ्री में बढ़िया मनोरंजन मिल रहा हो तो उसके लिए पैसा खर्च क्यों किया जाये ? युवराज का "भाषण" इतना मनोरंजक होता है कि आदमी अपने सारे ग़म भूल जाता है ।
युवराज जहां जाते हैं वहां "मोहब्बत की दुकान" खोल आते हैं । ये अलग बात है कि उस दुकान में सामान नफरत वाला ही मिलता है । आजकल वे "मोहब्बत की दुकान" खोलने के लिए हरियाणा और जम्मू कश्मीर की "तीर्थयात्रा" पर निकले हुए हैं । उन्हें हरियाणा में किसी ने "मातूराम की जलेबी" खिला दी । युवराज को इटली का पाश्ता खाने की आदत थी । उसने जलेबी कभी देखी नहीं थी लेकिन "चमचों" ने नाश्ते में जलेबी परोस दी । जनता के बीच में बैठकर जलेबी को फेंक भी नहीं सकते थे ना !
युवराज समझ ही नहीं पाए कि यह जलेबी खाने की चीज है खेलने की । युवराज को हर चीज खेलने की लगती है तभी तो वह विदेश जाकर देश की इज्जत से खेलता रहता है । उसकी नजर भी शायद धुंधली पड़ गई है तभी तो उसे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह "नाच गाने का मेला" दिखाई देता है ।
जलेबी ने बड़ा भारी धर्मसंकट खड़ा कर दिया था । समस्या यह थी कि इसे खायें तो कैसे खायें ? चटनी , सॉस के साथ खायें या दही के साथ ! युवराज को तो यह भी नहीं पता कि जलेबी मीठी होती है या कड़वी ? सुबह सुबह जब मनपसंद का नाश्ता नहीं मिलता है तब गुस्सा आना स्वाभाविक है । गुस्से से युवराज ने अपने खास चमचे "सूजे मुंह वाला" को बुलवाया और धीरे से कान में कहा
"अबे, ये क्या परोस दिया ? क्या तुम जानते नहीं हो कि मुझे नाश्ते में केवल पाश्ता चाहिए ? यदि पाश्ता नहीं था तो "बीफ" ही खिला देते ! अब क्या खाऊंगा मैं" ? उसने खा जाने वाली नज़रों से "सूजे मुंह वाला" को देखा । अपने आका के गुस्से को देखकर सूजे मुंह वाला की स्थिति बड़ी दयनीय हो गई थी ।
दरअसल हरियाणा में पिछले 20 सालों से "ठुड्डा" खानदान की ही चवन्नी चलती है । "सूजे मुंह वाला" और "फैलजा" को तो युवराज ने अपनी चिलम भरने के लिए ही रख रखा है । हरियाणा में कोई जमाने में तीन "लाल" बहुत प्रभावशाली थे । उन्होंने राजनीति में एक से बढ़कर एक काम किए थे । "आयाराम गयाराम" की संस्कृति देने वाले हरियाणा में उन तीन लालों, भजनलाल बंशीलाल और देवीलाल की पूजा घर घर में होती थी । हरियाणा के ये तीन देवता ब्रह्मा विष्णु महेश के नाम से जाने जाते हैं । इनके स्वर्ग लोक चले जाने के पश्चात खाली कुर्सी पर "ठुड्डा" ने अपना कब्जा जमा लिया और अब हरियाणा की तकदीर "ठुड्ढा" खानदान के हाथों में गिरवी रखी हुई है ।
सूजे मुंह वाला ने अपने हाथ से युवराज को एक जलेबी खिलाई । युवराज ने जैसे ही जलेबी दांतों तले दबाई, रस की पिचकारी से उसका मुंह पूरा भर गया । उसे असीम आनन्द की अनुभूति होने लगी । जलेबी के माधुर्य रस में सराबोर युवराज स्वर्ग लोक में विचरण करने लगा ।
"ये तो कमाल की चीज है यार ! मजा आ गया" । युवराज खुशी से चीख पड़ा । "ये जो मजा आज मुझे मिला है , मैं ऐसा मज़ा पूरे देश को देना चाहता हूं । ऐसा करो कि इस जलेबी की मार्केटिंग देश विदेश में करो । जलेबी बनाने की फैक्ट्री हर गांव हर शहर में खोल दो । अपने चुनावी मेनीफेस्टो में लिखवा दो कि हम हर आदमी को नाश्ते में रोजाना एक पाव जलेबी मुफ्त में देंगे" । कहते कहते युवराज नाचने लगा ।
सूजे मुंह वाला युवराज के बदलते तेवरों को देखकर खुश हो गया और चरण वंदना करते हुए कहने लगा "माई बाप ! जब हरियाणा में अपनी सरकार आ जाए तो अपने सबसे खास चमचे को जलेबी सप्लाई का ठेका देना मत भूलना । अपनी तो सात पीढ़ियां निहाल हो जायेंगी उस एक ठेके से" । सूजे मुंह वाला होने वाले प्रॉफिट का हिसाब लगाने में जुट गया ।
तब से जलेबी सातवें आसमान पर है । नीचे आने का नाम ही नहीं ले रही है ।