जीतोदय

जीतोदय

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कभी-कभी ज़िंदगी के इम्तिहान इतने कठिन लगते हैं कि उनके ज़वाब समझ में ही नहीं आते। आप अपने तरीके से कुछ अलग सोचते हैं पर दुनिया उसे अपने तरीके से सोचती है। काश! ज़िंदगी के इस पड़ाव को भी मैं समझ सकूँ और उस पर फ़तह हासिल कर सकूँ पर जनवरी 2020 से एक नए जीत का उदय होगा।

उन सारी विकृतियों और गन्दी आदतों को दूर करते हुए आप सभी को एक नए और दूसरे रूप में जीत को पेश कर सकूँ क्योंकि सीखते रहना ही तो जीत की ख़ूबी है। इस साल मैंने न जाने कितनी गलतियां की और न जाने कितनों का दिल दुखाया और शायद ही उन सबके लिए मैं ख़ुद को कभी माफ़ भी कर पाऊं। स्वयं के अंदर समाहित उन सभी भावनाओं पर काबू करने के साथ ही अपने द्वारा किसी की भी आंखों में आंसू या दुःख न दे पाने लायक बना सकूँ। ये साल कुछ अलग-सा रहा और आने वाला साल बिल्कुल अलग होगा, ये ख़ुद से वादा है बस उन सभी से दिल से हाथ जोड़कर माफ़ी जिनकी ज़िंदगी में मेरे कारण एक फ़ीसदी भी आंसू या दुःख या गुस्सा आया।

कोशिश है ख़ुद को बदलने की।

ख़ुद को निखारने की और कुछ अलग कर गुजरने की। मैं कोई पूर्ण या कहूँ perfect इंसान तो नहीं पर कोशिश है ख़ुद को अच्छा इंसान बनाने की।


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