माँ-बाप
माँ-बाप
माँ-बाबा का साथ होना ख़ुदा का साथ होना है उस ख़ुशी को केवल वो बेटा ही शायद महसूस करता है जिसने अपनी जवानी के 23 साल बिना उनके प्यार के गवाएं हो। सच आज मैं इसलिए भी ख़ुश हूँ कि अब हर रोज़ मैं उनका आशीर्वाद पाउँगा। उनकी सेवा कर पाउँगा। उनके साथ बैठ कर वो चाय की चुस्कियां। उनका वो लाड़-दुलार, प्यार और फ़िक्र भरी डांट। कुछ चीज़ें उलझन देंगी क्योंकि उम्र का जो अंतर है पर इन चीज़ों का होना स्वाभाविक है पर सच अब ज़िन्दगी को और ख़ूबसूरती से जीने का सलीका आ जायेगा। आज से मेरे माँ-बाबा मेरे साथ होंगे। मेरे सोचने समझने की ख़ूबसूरती को वो नयी उड़ान मिलेगी क्योंकि अनुभव को रुपयों से हम खरीद नहीं सकते और माँ बाप से बढ़कर इस दुनिया में कोई हो नहीं सकते।
माँ-बाबा के चरणों को दबा करके तो देखो
ज़न्नत भी यही है और ख़ुदा भी वही हैं।
दीदार ख़ुदा का करो या न करो
माँ-बाप को ख़ुश रख लो तो इबादत भी यही है।।
न मंदिर देखो न मस्ज़िद देखो
माँ-बाप के चेहरे में वो ही ख़ुदा रहते हैं।
ज़नाब ज़रा-सी सेवा करके तो देखो
सुकून भी यही है और सुख भी वही हैं।।