वादें और यादें
वादें और यादें
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वादे और यादें ये दोनों वो हैं कि वादों को निभाना पड़ता है और यादों को संजो के जीना पड़ता है पर अच्छी यादें इंसान को आगे बढ़ाती है तो वही वादा खिलाफी इंसान के रिश्ते में खटास। तय करना इंसान के हाथ होता है कि वो अपनी ज़िंदगी को किन शर्तों पे जीता है। छोटी-सी ज़िन्दगी की अहमियत को समझिये और मुस्कुराकर हर परीक्षा को दीजिये। सफलता और असफलता हमारे हाथ नहीं। है तो बस शिद्दत से कर्म करना।