जहन्नुम
जहन्नुम
क्लास में एक अजीब सी शांति थी। मैंने कुछ समय पश्चात किताब से नज़र उठा कर देखा तो नाज़िया जो मेरी क्लास की एक मासूम सी छात्रा है और मुस्लिम परिवार से है मुझे बहुत ही गौर से देख रही थी।
मैंने पूछा,"क्या हुआ नाज़िया, क्या देख रही हो।"
वो बोली मैडम एक बात पूछू।
मैंने बोला," हाँ पूछो।"
बोली,"मैडम भगवान और ख़ुदा एक ही होते हैं न"
मैंने कहा," हाँ"
फिर बोली, "हम मुस्लिम ख़ुदा को मानते हैं और आप भगवान को।"
मैंने फिर हाँ कहा। अब जो बात वो बोली उसे सुनकर तो मैं स्तब्ध रह गई।
बोलती है, "मरने के बाद तो सबको जहन्नुम ही मिलता ह
ै न"
मैंने कहा," नही बेटा , मरने के बाद तो जन्नत में जाते हैं"
वो बोली," नही मैडम जन्नत तो उनको नसीब होती है जो कोई गुनाह नही करते, लेकिन आप देखिये यहाँ तो हर शख्स कोई न कोई गुनाह करने में लगा हुआ है, तो फिर उसे जहन्नुम ही नसीब होगा न।"
उसकी बात कितनी सच्चाई थी कि मुझे अंदर तक झकझोर गई। हम तो अक्सर कह देते है कि अमुक स्वर्गवासी हो गए या उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हो गई, लेकिन एक 12 वर्ष की बच्ची ने मुझे बता दिया कि बहुत ही कम लोगो को स्वर्ग नसीब होता है। क्योंकि बेगुनाहों के लिए जन्नत बनी है लेकिन गुनहगार तो आज भी जहन्नुम में ही जाते हैं।