जब से हुआ है प्यार भाग 20
जब से हुआ है प्यार भाग 20
भाग 20
नंदिता का ध्यान उसके पापा कि बात से टूटता है, वह सोच से बाहर आती हैं, उसके पापा कहते हैं "कहां खो गई थी कब से आवाज़ दे रहा हूं, कुछ खायेगी।"
वह पापा को देखती है और सोचती है की उसने कितना दुखी किया पापा को फिर भी वह उसका कितना ख्याल रखते हैं उसकी सारी गलतियां को माफ भी कर दिया , सारी गलती उसी की है, कहां ये प्यार व्यार के चक्कर में पड़ गई थी, वह पापा से कहती है "बहुत जोर की भूख लगी है पापा।"
और वह उठकर पापा के गले लग कर सॉरी बोलती है, उसके पापा भी उसके सर पर हाथ फेरने लगते हैं, उसकी मां की आंखों में आंसू आते हैं।"
अर्पित सुमन के साथ बैठा कॉफी पी रहा है आज सुमन ने उसे जबरन कफेचीनो पिलाती है, अर्पित नंदिता को फोन ट्राई करता है पर उसका स्विच ऑफ ही बताता है, उसे उसके बाप कही बात याद आने लगती है कि अगर तुमने इसका पिंड नहीं छोड़ा, तो मैं इसे ही मार दूंगा ,उसे लगता है कि कहीं उसके सनकी बाप ने उसको मार ना दिया हो, फिर खुद ही से कहता है की अभी तो 6 घंटे भी नहीं हुए हैं उनको निकले वह तो कल तक अपने गांव पहुँचेंगे, वह सब चूरू के रहने वाले थे, तो वहां तक पहुंचने में समय तो लगेगा, वह सोचता है क्यों ना वह फ्लाइट से जयपुर जाए और वहां से चुरू चला जाए या जो भी एयरपोर्ट उसके आस पास हों।
सुमन उस से पूछती है, "क्यों कहां खोए हो डियर, इतनी सुंदर लड़की सामने बैठी हो और उसके बाद भी लड़का इस पर ध्यान न दे तो इसका मतलब है कि वह किसी के प्यार में पागल है, और वो तो तुम हो, पर अब वह छोड़ गई तुमको , अगर उसे तुम्हारा ख्याल या तुमसे प्यार होता तो कही नहीं जाती चाहे कुछ भी हो जाता, मुझे देखो तुमसे प्यार है, भले तुमको मुझसे नहीं है, पर मैं पूरा ध्यान रखती हूं तुम्हारा, रखती हूं कि नहीं।"
वह उसे देखता है और सोचता है कि एक यह लड़की है जो मेरे पीछे पड़ी यह जानते हुए भी कि मेरा किसी के साथ चक्कर है , फिर भी हमेशा मेरा केयर करती है और एक वह है जिसे मैं चाहता हूँ और वह भी चाहती हैं पर बात करने को तैयार नहीं है, वह बड़ा ही कश्मकश में पड़ जाता है, वह एक बार चूरू जाकर नंदिता से मिलना चाहता है, वह नेक्स्ट डे ही जाने का प्लान बनाता है।
वह सुमन से कहता है*" तुम भी मुझे बहुत पसंद हो काश तुम पहले मिली होती, मैं कल चुरू जा रहा हूं ,वहां एक बार मैं उस से मिलना चाहता हूं , ताकि मेरे दिल में कोई कसक न रह जाए ,पर एक बात के लिए अभी से सॉरी बोल रहा हूँ की अगर वह कहीं मुसीबत में फसी होगी तो मैं उसे निकाल कर ले आऊंगा और मैं अकेले आया तो तुम्हारा हो जाऊंगा।"
सुमन कहती है, "तब तो जाओ ही मत, तुम अकेले ही आओगे, और मेरे ही बनोगे, कहीं जाने की जरूरत नहीं है, मैं फूफा जी से बोलकर तुम्हारे मामा से बात करवा लूंगी।"
अर्पित उसका मुंह देखता रह जाता है, इतनी मुंह फट साफगोई लड़की उसने अब तक नहीं देखा था, वैसे नंदिता भी ऐसी ही थी पर यह तो कुछ ज्यादा ही थी, वह कहता है, सिर्फ एक बार अपनी तसल्ली के लिए वह जायेगा उसके बाद फिर जो भगवान की मर्जी होगी वही होगा।"
सुमन उसे प्यार से देखकर कहती है, "जाओ अगर मैं सच्ची हूं और मेरा प्यार सच्चा है तो तुम खाली हाथ आओगे, और अगर तुम उसके साथ आए तो मैं पूरी जिंदगी तुम्हारे नाम पर गुजार दूंगी।"
सुमन और अर्पित पूरा दिन भटकने के बाद घर आते हैं , सुमन उसको छोड़ कर घर आती हैं तो मिताली घर में ही थी ,वह कहती है कि " कमाल है, बॉयफ्रेंड मिल गया तो मुझे भूल गई, कितनी बार कॉल किया पर तुम ने तो उठाया ही नहीं।"
सुमन कहती है, "अरे यार सब कुछ बहुत गड़बड़ हुआ पड़ा है वह बहुत ही टैंशन में है।"
वह मिताली को सब बताती हैं, मिताली आश्चर्य से उसको देख कहती है " तू भी कमाल है, इतना सब करवा दिया उसे पाने के लिए, और तू इतना कॉन्फिडेंट भी है की वह आएगा, धन्य है तू।"
सुमन उसे देख मुस्कुराती है, तभी उसकी बुआ का फ़ोन आता है और वह पूछती है की क्या हो रहा है, वह बुआ को सब कुछ बताती है।
बुआ कहती हैं, "तू तो बड़ी कॉन्फिडेंट है, चल भगवान तेरी सुन ले बस एक बहुत बड़ा बोझा सर से उतर जायेगा।"
वह कहती है " क्या बुआ अब आपको भी भी बोझ लगने लगी।"
आगे कि कहानी अगले भाग में पढ़िए..
क्रमशः

