Abhishek Gangan

Romance

5.0  

Abhishek Gangan

Romance

जादुई नगरी

जादुई नगरी

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इस झंझट की दुनिया से बहुत दूर,

जहाँ किसी का ख्व़ाब भी कभी दस्तक ना दे सकेगा,

ऐसी एक जादुई नगरी में हमारा घर होगा।

तुम गोद में मेरे सिर रखकर गाने गुनगुनाती रहना,

और मैं आँखों में तुम्हारी, गुमराह होता रहूँगा।


वहाँ बहता समंदर भी होगा, पर तुम्हारी

बहती ज़ुल्फों से खूबसूरत कहाँ होगा !

पंछी आसमान में आज़ाद उड़ेंगे, पर तुम्हारी

खिलखिलाहट जितने आज़ाद कहाँ होंगे !


आसमान में शान से नाचता चाँद भी होगा

वो किसी मूल्यवान रत्न जैसा चमकता होगा

तुम्हारी खूबसूरती को देख के लेकिन,

वो भी शर्माता होगा !


और वहाँ आसमान को ज़मीं से मिलाता पूल भी होगा

वो शहरों के फ्लाय-ओवर्स से काफी अलग होगा।

उस पर सफर करते हम उन नक्षत्रों को छुएंगे,

उस माहौल में स्वरों के कई तारों को छेड़ेंगे।


फिर कहीं दूर हम समंदर में डुबकी लगाते लोग देखेंगे,

और फिर उन्हें अनदेखा कर,

हम एक दूजे की आँखों में डूबना पसंद करेंगे।


और फिर शाम की रात, रात की सुबह कब होगी

और फिर शाम की रात, रात की सुबह कब होगी

आँख खुलेगी फिर

और फिर मेरा ये हसीन सपना भी टूट जाएगा !


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