इश्क़-प्यार-मुहब्बत
इश्क़-प्यार-मुहब्बत
ये कहानी असली जीवन पर आधारित है। इसमें कुछ नाम लिए जाएंगे जो कि नकली है। क्यों कि मेरी प्रेरणा किसी को चोट पहुंचाने के लिए नहीं है। कृप्या गौर करना। इस कहानी का विषय -
" इश्क़-प्यार-मुहब्बत " है।
चलिए शुरू करते हैं।
एक लड़का है जिसका नाम मोहन है। वो नकोदर शहर का रहने वाला है। उसके घर के पास ही एक लड़की रहती है। जिसका नाम अरोमा है। उन दोनों की मुलाकात फेसबुक पर हुई। आपसी बातचीत करते करते दोनों दोस्त फिर दोस्ती से ये रिश्ता रिलेशनशिप में बदल गया। फिर धीरे - धीरे वो मिलने लगे। ऐसा करते करते तीन साल बीत गए। इन तीन सालों में उनके बीच प्यार - झगड़ा सब चलता रहा। फिर कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने कभी सोचा ना था। अरोमा की माता बहुत अमीर थी और इसी बात का उसे बहुत घमंड था। एक दिन अरोमा की माता को पता चला कि मोहन और अरोमा प्यार करते हैं। और वो मोहन से नफ़रत करने लगी क्योंकि मोहन गरीब परिवार से था। इतना ही नहीं अरोमा की माता ने मोहन को मारने के लिए गुंडे भी भेजे लेकिन मोहन ने उनका डट कर सामना किया। वैसे मोहन भी लड़ाई झगड़े में आगे था। अरोमा एक पंडित के पास जाती थी। उस पंडित पर उसको बहुत यकीन था। अरोमा की माता का एक दोस्त था जो कि पॉलिटीशियन था और वो भी बहुत अमीर था। इसलिए अरोमा ने अपनी बेटी का रिश्ता उसके लड़के के साथ तय किया था। एक दिन मोहन के माता-पिता अरोमा की माता के घर गए क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी का रिश्ता तय किया था। पर अरोमा की माता ने उन्हें कहा कि ना तो आपके घर में पंखा है और ना ही ए.सी है। ऐसी बातें बोलकर उन्हें शर्मिंदा करके भेज दिया। मोहन ये अब बर्दाश्त ना कर सका और उसने एक तरीका सोचा। मोहन ने पंडित की खिलाफ सबूत इकट्ठे करने शुरू कर दिए। और उसको एक ठोस सबूत मिला कि पंडित अपनी मैडम के पैसे चोरी करता है और मोहन ने इसी सबूत के ज़रिए पंडित को ब्लैकमेल किया ताकि वो अपने माता-पिता के अपमान का बदला ले सके। मोहन ने पंडित के ज़रिए अपनी मैडम को विश्वास दिलाया कि उसका दोस्त विष्णु इस शहर का बहुत बड़ा व्यापारी है। और एक दिन मोहन ने अरोमा की माता को अपने गांव में बुलाया क्योंकि वहां पर बहुत बड़ा त्योहार था। उसकी माता वहां आने को तैयार हो गई। मोहन ने धोखे से अरोमा की माता को अपने घर में रखा ये बोल कर कि ये घर विष्णु का पुश्तैनी घर है। और मोहन ने उन्हें यहां बिना पंखे और ए.सी के रखा। जब पॉलिटीशियन को पता चला कि अरोमा भी मोहन से प्यार करती है तो उसने मोहन को मारने के लिए गुंडे भेजे लेकिन मोहन ने उनका भी डट कर सामना किया। फिर एक दिन पॉलिटीशियन ने अरोमा और उसकी माता को किडनैप कर लिया। ताकि वो जबरदस्ती अरोमा की शादी अपने बेटे के साथ के सके। क्योंकि पॉलिटीशियन को अरोमा की माता की पूरी जायदाद चाहिए थी। जब मोहन को ये बात का पर चला तो वो भी वहां पहुंच गया। और उन सभी गुंडों का सामना किया। और आखिर में उन पर विजय प्राप्त की। फिर अरोमा की माता का घमंड टूट कर चकना चूर हो गया। और उसने मोहन को अपना लिया और खुशी-खुशी उनकी शादी करवा दी।

