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Akanksha Gupta (Vedantika)

Drama

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Akanksha Gupta (Vedantika)

Drama

इश्क की नजर

इश्क की नजर

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हल्के गुलाबी रंग के लहँगे पर सफेद दुप्पटा उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहा था। हाथों में सफेद मोतियों का कंगन और गले मे मोतियों की माला किसी शिल्पकार की गढ़ी हुई मूर्ति पर रत्नों के समान थे।

अपूर्व अपने दोस्त की बहन की शादी में आया था जहाँ उसने प्रिया को पहली बार देखा था। वहाँ प्रिया दुल्हन की पक्की सहेली की भूमिका निभा रही थी। वह दुल्हन के साये की तरह उसके साथ साथ घूम रही थी। अपूर्व की नजर में उसका लिबास उसे दुल्हन से ज्यादा खूबसूरत बना रहा था।

विवाह संगीत से पहले जब प्रिया अपने लिए खाने की थाली लगा रही थी तब अपूर्व उसके पास आया और बातचीत शुरू की-

अपूर्व-“हेलो आई एम अपूर्व एंड यू ?”

प्रिया-“हेलो आई एम प्रिया।”

अपूर्व-“मे आई हेल्प यू ?”

प्रिया-“नो थैंक्स।”

यह बात प्रिया ने एकदम सपाट ढंग से कही। अपूर्व का चेहरा उतर गया। उसके बाद संगीत में प्रिया ने एक सादगी भरा नृत्य किया। अपूर्व इस शादी में जीजान से लगा हुआ था ताकि वह प्रिया से दोस्ती कर सके।

उसकी यह इच्छा जल्दी ही पूरी हो गई जब प्रिया ने उसकी मेहनत से प्रभावित होकर उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। दोनों ने अपने नम्बर आपस मे बदल लिये ताकि इस दोस्ती को आगे बढ़ाया जा सके।

धीरे धीरे दोनों के बीच बातों का सिलसिला शुरू हुआ। प्रिया अब अपूर्व से खुलकर बात करने लगी। अपूर्व भी अपने जीवन के महत्वपूर्ण फैसले प्रिया की सलाह लेकर ही करता था। प्रिया भी अपूर्व को पूरा सहयोग देती थी।

अपूर्व अपने मन की बात प्रिया से करना चाहता था कि वह उससे प्यार करता है लेकिन उसने गौर किया कि जब भी वह प्रिया से शादी से जुड़ी हुई कोई बात करता है तो प्रिया टाल मटोल कर दिया करती थी।

एक दिन वह दोनों कॉफी शॉप में बैठे थे। अपूर्व सहज नहीं था। उसने प्रिया से पूछा- “प्रिया मुझसे शादी करोगी ?”

इस तरह अचानक इस सवाल पर प्रिया झेंप गई लेकिन फिर स्थिर भाव से बोली- “नही।”

अपूर्व- “देखो प्रिया, मैं मजाक नहीं कर रहा। जब से तुम्हें देखा है, मुझे तुमसे प्यार हो गया है। मैं एक शरीफ इंसान हूँ जो तुम्हें बहुत खुश रखेगा।”

प्रिया-“तुम मुझे जानते कितना हो जो इतनी बड़ी बड़ी बातें कर रहे हो ?” क्या तुम जानते हो कि मेरा दिल कमजोर है। उसमें एक छेद है जिसे बंद करने की कीमत दस लाख रुपये है।”

उसकी बात सुनकर अपूर्व को सांप सूंघ गया। उसे चुप देखकर प्रिया आगे बोली- “क्यो, क्या हुआ ? तुम्हारी इश्क की नजर कहाँ गई ? मैं चाहती तो तुम्हें अपनी इस हालत के बारे मे बता सकती थी लेकिन मैं तुम्हें सबक सिखाना चाहती थी कि जिसे तुम प्यार समझ रहे हो, वह प्यार नही, तुम्हारा शौक है। उम्मीद है कि अब हम कभी नहीं मिलेंगे।"

उसके बाद प्रिया एक पल वहाँ नही रुकी।अपूर्व को एहसास हुआ कि वाकई उसकी इश्क की नजर बदल गई थी।


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