इकरार
इकरार
जब पहली बार तुम्हारी आंखें देखीं तो लगा उनमें स्वप्न सी गहराई है, मैंने उन्हें झील लिखा और उन्हें जी भर देखता रहा..
फिर उसके बाद देखा तो लगा ये झील से गहरी प्रतीक्षारत हैं तो मैंने सागर लिखा और उनमें डूब जाना चाहा ...
पर अब जो देखता हूं तो जान पड़ता है तुम्हारी आंखों का कोई छोर नहीं, वे अनंत ब्रह्माण्ड की तरह अनसुलझी हैं तो अब बस मैं उनमें खोया रहता हूँ ...!!!
जब-जब तुम्हारा नाम मैं अपने होंठों से छूता हूँ ऐसा लगता है कि तुम सिर्फ मेरी हो
ठीक वैसे ही जैसे मीरा ने
श्री कृष्ण का नाम स्मरण करते वक़्त
उन्हें अपना सब कुछ मान लिया था
हर कोई अपने प्रेम को बस इतना ही तो पाना चाहता है
मैंने तुम्हें इतना तो पाया ही सपनों के उजालों में है...
मैं चाहता हूं यूं ही उम्र भर तुम्हारे लिए जीता रहूं, तुम्हारे हृदय को अपने प्रेम से पोषित करूं, तुम्हारे मन को शांति दूं अपने स्नेह से, तुम्हारी आत्मा को मोक्ष तक पहुंचाऊँ अपने जीवन की आहुति देकर, इस जीवन को मैं बस तुम्हारे लिए समर्पित कर देना चाहता हूं...!!!