हथियार
हथियार
उसने उन चारों को बुलाया था, उनमें एक धर्म-गुरु था, दो अलग-अलग धर्मों के अभिनेता थे और एक नेता था|उसने धर्म-गुरु को कहा, "तुम कल स्वतंत्रता दिवस पर यह वक्तव्य देना कि तुम्हारी कौम इस देश में असुरक्षित है|"
"लेकिन मुझे तो ऐसा नहीं लगता|" धर्म-गुरु ने उत्तर दिया
"कहीं कहीं है..." उसने कहा,
फिर उसने एक अभिनेता से कहा, "तुम तुम्हारे धर्म-गुरु के वक्तव्य से सबके सामने हामी भरोगे"
और दूसरे अभिनेता से कहा, "तुम धर्म-गुरु और अपने साथी अभिनेता के वक्तव्य का विरोध करोगे और देशभक्ति की बातें करोगे"
फिर उसने नेता से कहा, "तुम यह वक्तव्य देना कि धर्म-गुरु और पहले वाला अभिनेता सही कह रहे हैं"
"और इससे क्या फायदा?" चारों ने पूछा
"तुम चारों को मुंहमांगे दाम मिलेंगे, धर्म-गुरु की कौम की सुरक्षा बढ़ जायेगी, पता भी नहीं चलेगा और महंगाई थोड़ी बढ़ा देंगे, जनता कुछ दिनों के लिये अपने भूखे भाइयों को भूल जायेगी, दूसरे धर्म के तुरंत आने वाले चलचित्र से हम कमा लेंगे, धर्म-गुरु के सम्प्रदाय पर एक असुरक्षा वाला चलचित्र बन रहा है, वो भी चल जायेगा, कुछ और भी काम करने हैं जो ऐसे वक्त में ही हो सकते हैं|" उसने उत्तर दिया
"लेकिन यह सब होगा कैसे?"
उसने कहा, "तुम सभी के कहने के बाद पूरे देश के लोग भड़क कर विरोध करेंगे और बहुत बड़े हथियार का प्रयोग करेंगे, उस हथियार के बिकने पर भी हमें बहुत रूपये मिलेंगे|"
"कौनसा हथियार?" चारों ने चकित होकर पुछा
"सोशल मीडिया" उसने मुस्कुराते हुए कहा.