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अनिल श्रीवास्तव "अनिल अयान"

Drama

4  

अनिल श्रीवास्तव "अनिल अयान"

Drama

होलिका का वरदान भी

होलिका का वरदान भी

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यहां होलिका जल उठी, चित में था अभिमान।

होलिका का वरदान भी, बना गया समसान।।


बालक था प्रह्लाद पर, भक्ति बनी वरदान।

दहन होलिका का हुआ, बढ़ा भक्ति का मान।।


रंग खेलते लोग सब, हैं रंग बिरंगे रूप।

जीवन में बन जाएगे, हर मन में प्रारूप।।


बैर क्रोध औ अहंकार, होली में जल जाए।

प्रेम और स्नेह का, रंग यहां मिल जाए।।


रंगोत्सव का संदेश है, बिखरे खुशियों के रंग।

हर पल हो इंद्रधनुष, मिलें सभी जब संग।।


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