माँगने वाली लड़की
माँगने वाली लड़की
नया साल है कुछ दे दो - वो लड़की झोला लिए हुए फिर आ गई सुबह सुबह दुकान में।
यह लो बिस्कुट खाओ, और ले भी जाओ - मैंने बिस्कुट के पैकेट से बचे हुए सारे बिस्कुट उसे देते हुए कहा
नहीं, पापा बोले हैं पैसे लेकर आओ, बिस्कुट तो तुम लोगों के लिए ही होता है।- मैंने उसकी मनोदशा का अवलोकन किया कि आखिर वो रोज झोला लिए गल्ला और पैसा ही क्यों लेती है। नमकीन बिस्कुट और खाने का समान नहीं लेती।
शनिवार को अधिकतर वो माँगने के लिए आती है।
एक दिन मैंने उससे पूछ ही लिया कि आखिर तुम माँगती ही क्यों हो। कुछ काम करो तो ज्यादा पैसे मिलेंगे। लोग डांटकर भगाएंगे नहीं।
वो बोली आप नहीं जानते मेरी मां जब तक थी मैं उसके साथ काम में जाती थी। पर उसके मरने के बाद मेरी बड़ी बहन घर में रहती है, मैं और मेरी छोटी बहन माँगने जाते हैं। जो मिलता है गल्ला उससे खाना बनता है, और रुपया पापा हमसे छीन लेता है और रात में दारू पीता है।
रोज हमें कहीं ना कहीं माँगने भेजता है।
इस बार नए साल में उसको दस रुपये की नोट और बिस्कुट देते हुए जाने दिया, पता नहीं अगली बार कब आएगी। माँ के जाने के बाद पिता भी जालिम हो जाता है। जब वो पिता बेवड़ा निकल जाए तब तो और।
