होली आयी रे
होली आयी रे
आज फूलों की बगिया में चहल पहल है। लोग रंग बिरंगे फूलों से अपने आंचल भर रहे है। सुबह की हल्की धूप में फूलों को फैलाया जा रहा है। महिलाएं फागुन के गीत गा रही है। चारों ओर हर्षोल्लास का वातावरण है।
घर की रसोई में हम बच्चे अपना डेरा डाले गुजिया मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। एक बड़ी कड़ाही में गुजिया की भरावन भरी रखी थी लेकिन हमें छूने की सख्त मनाही थी।
जब गुजिया बन कर तैयार हो गई तो हम सब बच्चे कतार में खड़े हो गए। हमें साल के होली वाले दिनों का इंतजार होता था क्योंकि यही वो दिन होते थे जब हमें गुजिया खाने के लिए मिलती थी और हम बोलते थे- होली आयी रे।