हमारी अधूरी कहानी
हमारी अधूरी कहानी
बात उन दिनों की है जब मै स्नातक द्वितीय वर्ष में था । मैं पढ़ाई में औसत छात्र था लेकिन कुछ जगहों पर मेरा इंप्रेशन अलग ही था , उसी के चलते उस वक्त तक मुझे प्यार , मोहब्बत ये सब महज एक बेवकूफी लगती थी ।
द्वितीय वर्ष के अंत तक मुझे तो बस यही समझ नहीं आ रहा था कि अगर मुझे प्यार हो जाएगा तो उसका निर्वहन कैसे होगा ।
खैर , इसी कशमकश में द्वितीय वर्ष बीत गया ।
और मैं बस इसी सोंच में पड़ा था कि अगर मेरा प्यार का सिक्का जम गया तो फिर आगे कैसे काम चलेगा , मुझे कैसे इसे आगे बढ़ाना है , यही सब सोचते सोचते अक्टूबर आ गया ।
मै अभी तक यही नहीं डिसाइड कर पाया कि अगर मुझे प्यार हुआ तो क्या होगा ?
मेरे कोचिंग इंस्टीट्यूट में एक लड़की थी उससे मेरी अच्छी बॉन्डिंग थी तो मैंने सोचा क्यूं न इसी से बात आगे बढ़ाई जाए ।
इसी बीच मुझे अपने करियर को संवारने की ओर अग्रसर होना था , अब मुझे लगता था कि ये कितना बड़ा धर्मसंकट है कि अगर हम उनसे इजहार करे तो रिलेशन अप्रैल (परीक्षा खत्म) तक ही चलेगा उसके उनका रास्ता मंजिल सब अलग हो जाएगा पता नहीं की डिस्टेंस रिलेशन कितना काम करेगा तो इस तीन माह की मुहब्बत से अच्छा है कि हमेशा की दोस्ती ही रखी जाए ।
आखिरकार मैंने सब कुछ दरकिनार कर दिया और 3 जनवरी को अपने प्रेम का इजहार कर दिया , उसके साथ उसकी फ्रेंड भी थी उसने उससे चलने को बोला , वो चल दी , मैंने उससे बिना झिझक के अपना उत्तर बताने को कहा था , उसने अपने फ्रेंड पता नहीं क्या बाते शेयर की जो उसने 3 जनवरी के बात मुझसे कभी बात नहीं की ।
और जब मैंने बात करने की कोशिश की तो उसने टालने की कोशिश की ।
कॉलेज परीक्षा का अंतिम दिन मै परीक्षा हॉल से 20 मिनट पहले ही आ गया लेकिन वो कहीं नजर नहीं आई ।
शायद इस रिश्ते में उसे प्यार था ही नहीं ...
लेकिन मुझे आज भी उसका इंतजार है..
और आखिरी सांस तक रहेगा....
क्यूंकि मुझे प्यार हुआ था
उसकी हंसी से ,
उसके बात करने के ढंग से ,
उसके बालों से ,
उसकी खुशबू से ..
हमें प्यार है....

