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Preeti Sharma "ASEEM"

Fantasy

3  

Preeti Sharma "ASEEM"

Fantasy

हम आप के है कौन

हम आप के है कौन

4 mins
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निधि घर के कामकाज से फ्री हुई। दोपहर आधी से ज़्यादा तो निकल चुकी थी। आज सब शादी में गए थे । वो घर पर अकेली थी। सासु मां और पतिदेव ने उसे भी चलने को कहां था लेकिन घर के काम की वज़ह से उसने मना कर दिया कि आप जाओ, बच्चों को ले जाओ।  वह घर पर अपना काम खत्म कर लेगी दोपहर तक उसने पिछला पेंडिंग काम, ढेरों कपड़े धोकर सूखने डाल दिये थे। जो सफाई रह गई थी वो भी कर चैन की सांस ली और खाना तो आज सब शादी में खा कर आएंगे इसलिए उसके पास थोड़ा समय बचा हुआ था। उसने अपने लिए चाय बनाई और टीवी लगा कर बैठ गई।   

        अक्सर उसे खाना खाते या चाय पीने के वक्त ही टीवी की शक्ल देखने को मिलती वरना रोजाना रात के बारह बजे तक उसके काम ही नहीं खत्म होते थे । सारे काम खत्म कर मन में एक तसल्ली- सी थी । अब कल के काम कल देखेंगे । उसने लम्बी सांस ली।

     जैसे चाय लेकर बैठी चैनल बदलने के बाद एक चैनल पर फिल्म अभी स्टार्ट हुई थी फिल्म का नाम था ..........हम आपके हैं कौन .......चलो आज, यही फिल्म देखते हैं..... उसने मन में सोचा कि कितने साल पहले देखी थी।

क्योंकि निधि को घर के कामकाज से कभी इतना टाइम मिलता ही नहीं था कि वह एक साथ तीन घंटे की फिल्म देख पाए बैठकर ।

   कभी कुछ काम कभी कुछ काम। हां ......बीच-बीच में बहुत- सी फिल्में कई -बार देख ली थी। फिल्म के साथ, उसके मन में भी फिल्म चल रही थी......जिंदगी कैसे बदल जाती है । लगता है कि सब हमारे साथ है, सारा परिवार है हम सबके हैं और सभी हमारे हैं। लेकिन फिर भी जिंदगी के उस रूटीन में निधि अपने आप से अक्सर.... पूछ लिया करती थी। कितने सपने ... उसने जिंदगी जीते हुए उम्मीदों के साथ -साथ देखना शुरू कर दिये थे।

        हमारा कोई अपना हमारे लिए यह करें, वह करें और हम उसके लिए यह करें कि उसको खुशी दे सके हर पल उसके लिए कुछ अच्छा कर सके। ताकि उसे लगे कि उसे कितनी परवाह है लेकिन यह क्या............इतना करने के बावजूद भी निधि ने......अक्सर देखा है कि परिवार में वह सब के लिए कर तो रही है लेकिन किसी को भी उस से फर्क नहीं पड़ता सब को लगता है कि यह उसका काम है। हां..........अच्छे की कभी तारीफ भले ना हो......लेकिन कुछ खराब बन गया या बिगड़ गया तो उस बात को मजाक बना कर कई महीनों तक जब सब इकट्ठे होकर बैठते तब बात हंसी -हंसी में मजाक में जरूर चलती।

 निधि की आंखें टीवी पर फिल्म देख रही थी और मन में जिंदगी की फिल्म के उतार-चढ़ाव चल रहे थे। फिल्मों की जिंदगी हकीकत से कितनी अलग हो जाती है हम सोचते हैं कि फिल्मों की तरह हमारी जिंदगी भी चले लेकिन चाह कर भी...........अगर एक चलना चाहे तो दूसरा उस चाहत से अनजान ही रह जाता है। जिंदगी सपने देखती रहती है। ऐसा होगा..........ऐसा होगा जबकि जिंदगी की सच्चाई इससे बिल्कुल अलग होती है जिसमें खुश होने के बहाने ढूंढने पड़ते हैं।  

एक कोशिश करता है दूसरा इस बात से बे -खबर हर बात पर यही कहता है..... रियालिटी में जीना चाहिए। फिल्म में तो तीन घंटे की है जिंदगी में थोड़ा ऐसे होता है।

  सही कहा जिंदगी में ऐसा नहीं होता..... बिल्कुल फिल्म में हो सकता हैं।

....... हम आपके हैं कौन.......बहुत सुंदर जवाब होंगे। जब फ़िल्म में पूछे गये जबकि हकीकत में आप किसी के होकर भी तलाशते रह जाते हैं कि हम आप के हैं कौन।

क्या जगह रखते हैं और जिंदगी निकल जाने के बाद भी लगता है कि हम उनके लिए कुछ है....ही नहीं और जिसने अपनी सारी जिंदगी दूसरों की खुशी के लिए निकाल दी हो और सब अपना मतलब निकाल कर आगे बढ़ गए हो। तब लगता है जिंदगी........सवाल करती है कि हम क्या है इनके लिए। निधि आईने में अपनी परछाई देख कर अक्सर सोचती, खुद से पूछती.....कि सब अपनी अपनी खुशियां तलाश करते हैं लेकिन आप किसी की खुशी के लिए जीते हैं और उसके अनदेखे व्यवहार को देख कर मन अन्दर से पूछता है कि.....हम आपके हैं कौन। काश!!!!!जिंदगी इतने कड़वापन से यह जवाब ना देती। तीन घंटे का ही सही फिल्म जैसा कुछ वहम तो बना कर रखती।


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