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हैलो की आत्मकथा

हैलो की आत्मकथा

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आप ने मेरा नाम सुना है। अक्सर बोलते भी हो, जब आप के पास टैलीफोन आता है तब आप यही शब्द सब से पहले बोलते हो मगर आप ने सोचा है कि आप यह शब्द क्यों बोलते हो ? नहीं ना ?

चलो ! मैं आप को बताती हूँ, इस के शुरुआत की एक रोचक कहानी है, मैं यह कहानी आप को बताती हूँ। आप इसे ध्यान से सुनना, यह मेरी आत्मकथा भी है।

हैलो ! नाम को हरेक की जबान पर चढ़ाने का श्रेय अलेक्जैंडर ग्राहम बैल को जाता है। हां, ठीक समझा, ये वही महान आविष्कारक ग्राहम बैल हैं, जिन्होंने टैलीफोन का आविष्कार किया था।

हैलो ! चौंकिए मत, मेरा नाम हैलो ही है, मैं एक जीती जागती लड़की थी। मेरा पूरा नाम था मारग्रेट हैलो, ग्राहम बैल मुझ से बहुत प्यार करते थे, मैं उन की सब से प्यारी दोस्त थी, वे मुझे हैलो कह कर पुकारते थे।

वे भी मेरे सब से अच्छे दोस्त थे, इस वजह से हम अपनी बातें आपस में साझा किया करते थे, वे अपनी सब बातें मुझे बातते थे, मैं भी अपनी सब बातें उन्हें बताती थी, जैसा अकसर दोस्तों के बीच होता है, वैसा हमारे बीच बातों का आदान-प्रदान होता रहता था।

यह उन दिनों बात की है जब वे टैलीफोन का आविष्कार कर रहे थे, तब वे उस फोन का परिक्षण मुझे फोन कर के करते थे। इस के लिए उन्होंने एक फोन का एक चोंगा मुझे दे रखा था, दूसरा चोंगा उन के पास रखा हुआ था।

उस में उन्होंने कई सुधार किए, इस के बाद वे मुझे फोन करते। देखते सुधार के बाद कुछ अच्छा हुआ है। इस के लिए वे अक्सर फोन लगाते थे। तब वे सब से पहला शब्द में मेरे नाम बोलते थे— हैलो !

ऐसा उन्होंने अनेकों बार किया। इस बात को उन के मित्र भी जानते थे, परिक्षण के दौरान भी उन्होंने सब से पहला शब्द- हैलो ही बोला था। तब से यह शब्द टैलीफोन करने वालों के लिए एक संबोधन बन गया। जब भी कोई किसी को टैलीफोन करता या किसी का टैलीफोन उठाता सब से पहला यही शब्द बोलता था।

इस से यह शब्द टैलीफोन के लिए चल निकला।

यह शब्द ग्राहम बैल की देन है, इन्हों ने टैलीफोन सहित अनेक आविष्कार किए है। इन के अविष्कार ने ग्राहम बेल को अमर बना दिया हैं मगर आप यह जान कर हैरान हो जाएंगे कि आज तक उन का नाम इतनी बार नहीं बोला गया होगा जितनी बार मेरा नाम— हैलो बोला गया है। हमेशा बोला जाता रहेगा।

वे टैलीफोन के आविष्कारक और मेरे सब से अच्छे दोस्त थे। उन्होंने मेरा नाम अमर कर दिया, मुझे उन की दोस्ती पर नाज है, ऐसा दोस्त सभी को मिले, यह आशा करती हूँ।

चुंकि ग्राहम बैल ने सब से पहले मुझे ही टैलीफोन किया था, इस हिसाब से टैलीफोन की सब से पहली स्रोता मैं ही बनी थी। इस तरह दो प्रसिद्धि मेरे साथ जुड़ गई है, जिस ने मुझे सदा के लिए अमर बना दिया....

आशा है आप को मेरी यह आत्मकथा अच्छी लगी होगी.......


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