जबान की आत्मकथा

जबान की आत्मकथा

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आप मुझे जानते हो? जबान ने कहा तो बेक्टो ने 'नहीं' में सिर हिला दिया, तब जबान ने कहा कि मैं एक मांसपेशी हूँ।

बेक्टो चकित हुआ बोला— तुम एक मांसपेशी हो, मैं तो तुम्हें जबान समझ बैठा था।

इस पर जबान ने कहा— यह नाम तो आप लोगों का दिया हुआ है, मैं तो आप के शरीर की 600 मांसपेशियों में से एक मांसपेशी हूँ । यह बात और है कि मैं सब से मजबूत मांसपेशी हूँ, जैसा आप जानते हो कि मैं एक सिरे पर जुड़ी होती हूँ, बाकी सिरे स्वतंत्र रहते हैं।

मैं कई काम करती हूँ, बोलना मेरा मुख्या काम है, मेरे बिना आप बोल नहीं सकते हो। अच्छा बोलती हूँ, सब को मीठा लगता है, बुरा बोलती हूँ, सब को बुरा लगता है। इस वजह से लोग प्रसन्न होते हैं, कुछ लोग बुरा सुन कर नाराज़ हो जाते हैं ।

मैं खाना खाने का मुख्य काम करती हूँ। खाना दाँत चबाते हैं, मगर उन्हें इधर उधर हिलाने डूलाने का काम मैं ही करती हूँ । यदि मैं नहीं रहूं तो तुम ठीक से खाना चबा नहीं पाओ, मैं इधर उधर खाना हिला कर उसे पीसने में मदद करती हूँ।

मेरी वजह से खाना स्वादिष्ट लगती है, मेरे अंदर कई स्वाद ग्रथियां होती है, ये खाने से स्वाद ग्रहण करती है। उन्हें मस्तिष्क तक पहुँचाती है, इस से ही आप को पता चलता है कि खाने का स्वाद कैसा होता है। जब शरीर में पानी की कमी होती है तो मेरे द्वारा आप को पता चलता है, आप को प्यास लग रही है। कई डॉक्टर मुझे देख कर कई बीमारियों का पता लगाते हैं, इसलिए जब आप बीमार होते हो तो डॉक्टर मुंह खोलने को कहते है ताकि मुझे देख सकें।

मैं दाँतों की साफ सफाई भी करती हूँ, दाँत में कुछ खाना फंस जाता है तब मुझे सब से पहले मालूम पड़ता है। मैं अपने खुरदुरेपन से दाँत को रगड़ती रहती हूँ , इस से दाँत की गंदगी साफ होती रहती है। मुंह में दाँतों के बीच फंसा खाना मेरी वजह से बाहर आता है।

मेरे नीचे एक लार ग्रंथि होती है, इस से लार निकलती रहती है, यह लार खाने को लसलसा यानी पानीदार बनाने का काम करती है। इसी की वजह से दाँत को खाना पीसने में मदद मिलती है, मुंह में पानी आाना— यह मुहावरा इसी वजह से बना है, जब अच्छी चीज देखते हो मेरे मुंह में पानी आ जाता है।

कहते हैं जबान लपलपा रही है, या जबान चटोरी हो गई, जब अच्छी चीजें देखते है तो जबान होंठ पर फिरने लगती है। इसे ही जबान चटोरी होना कहते हैं। इसी से पता चलता है कि आप कुछ खाने की इच्छा रखते हैं।

यदि जबान न हो तो इनसान के स्वाभाव का पता नहीं चलता है, वह किस स्वभाव का है, इसलिए कहते हैं कि बोलने से ही इनसान की पहचान होती है। यदि वह मीठा बोलता है तो अच्छा व्यक्ति है, यदि कड़वा या बेकार बोलता है तो खराब व्यक्ति है।

यह सब मस्तिष्क करवाता है। मगर, बदनाम मैं होती हूँ, मन कुछ सोचता है उसी के अनुसार मैं बोल देती हूँ । इस कारण मैं बदनाम होती हूँ, मेरा इस में कोई दोष नहीं होता है। जबान इतना बोल रही थी कि तभी बेक्टो जाग गया, जबान का बोलना बंद हो गया ।

ओह — यह सपना था, बेक्टो ने सोचा और आँख मल कर उठ बैठा, उसे पढ़ कर स्कूल जाना था। मगर, उस ने आज बहुत अच्छा सपना देखा था, जिस में वह जबान से अपनी आत्मकथा सुन रहा था, इसलिए वह बहुत प्रसन्न था।


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