गुस्ताखी माफ
गुस्ताखी माफ
चलो कहीं और चलेंं गुफ्तगु थोडी तो कर लें
खूबसूरत शाम मे मिले सितारो से बाते कर लें
गुलशन के कोने की कलीयां के इशारे चले
समंदर की लहरे जोडे नाता रेत से होले होले,
आबाद हो जाये सूरज की किरनों के हो चले
कैसे कहूँ तुम से जूडी जान, ना संभल के चले
परिंदा का बचपना जले, शामिल करके चले
गुस्ताखी माफ, खूबसूरत लम्हें उदास चलें
खिले हुये फूल मे छुपा एक उदास फूल बोलें
वक्त ने जेहमत उठानी प्यार की कहानी बोलें
चूपके से चली आई परी ओ की रानी अब बोलें
खयालें जुस्तजू, ख्वाहिशे इम्तहां खामोश चलें
मुंह पे होके मौन का ताल, पांव तले कुचल चलें
प्यारी वो शिकायतें, शेतानी परेशानियां बोलें!
