"गुरु का सम्मान"
"गुरु का सम्मान"
"भीषण गर्मी में दोपहर के तकरीबन दो बजे मैं कॉलेज जाने वाले मुख्य मार्ग के चौराहे पर में अपने परम मित्र का इंतजार कर रहा था। तभी मैं देखता हूँ कि मेरे तरफ आ रही एक नौजवान लड़की अचानक मेरे चरण को स्पर्श कर मुझे प्रणाम करती है मैंने भी आशीर्वाद के रूप में लड़की को यशस्वी भवः कह दिया, लेकिन मैं अचंभित हो गया कि यह लड़की कौन है जो मेरे पाँव छू रही है जबकि इस शहर मैं तो किसी लड़की को जानता तक नहीं। मैंने उस लड़की से पूछा कि आप इस तेज दोपहर में क्यों मेरा पाँव छूकर मुझे प्रणाम कर रही है। आप कौन हो जरा आप अपना परिचय दोगे ओर मुझे कहाँ से जानती हो जरा आप बताने का कष्ट करेंगे।
लड़की बताना शुरू करती है कि मैं आपको कैसे जानती हूँ और मेरा आपका पाँव छूने का क्या मतलब- दर्शल बात यह है कि आज से दो साल पहले आप मेरे घर में किराये पर दो भैया रहते हैं जो कॉलेज में पढ़ते हैं उनके कमरे में आप अक्सर बैठने आया करते थे पहले मैं आपको प्रणाम नहीं करती थी। आपको मैंने पहचान लिया कि आप तो मेरे महाविद्यालय मित्र के मकान मालिक की बेटी हो। आप तो उस समय दस में पढ़ रही थी आपने दस पास कर दिया है, लड़की ने कहा मैंने इंटर पास कर दिया है और इस समय महाविद्यालय में बीए प्रथम वर्ष में दाखिला लिया है। गुरुजी आपके वजह से मैंने हाई स्कूल एवं इंटर पास किया है। नहीं तो मैं दस पास भी नहीं हो पाती क्योंकि आपने मुझे ओर मेरे सहेली को जो सच्ची ज्ञान देकर जो मार्गदर्शन दिया उसकी वजह से मैं आज महाविद्यालय में पढ़ रही हूँ। मैंने कहा कम से कम से आपने अमल तो किया और मुझे आज जो सम्मान दिया यह मेरे जीवन में एक यादगार उपलब्धि है। मैंने तो आपको और आपके सहेली को एक दिन कुछ घण्टे के लिए पढ़ाया ओर समझाया जिसमें आपने जीवन के उद्देश्यों को सीखा।
दर्शल बात उन दिनों की है जब मुझे महाविद्यालय की पढ़ाई पूरे किए हुए एक साल ही हुए थे उस समय मैं सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रहा था। मेरा कमरा महाविद्यालय के पास ही था और मेरा महाविद्यालय मित्र का कमरा भी मेरे कमरे से कुछ ही दूरी पर दूसरे कॉलोनी में था मेरा कॉलेज के दिया से ही घनिष्ठ मित्रता थी हम दोनों एक दूसरे के कमरे में अक्सर आया जाया करते थे। ऐसे ही हर दिनों की तरह मैं शाम को तकरीबन सायं को चार बजे उसके कमरे में बैठने के लिए चला गया। जैसे ही सके कमरे में पहुँचा तो उसका कमरा सहयोगी अपने मकान मालिक की बेटी और उसकी सहेली को पढ़ा रहा था मैंने जाते ही मित्र के कमरा सहयोगी से पूछा कि भाई क्या बात ट्यूशन पढ़ा रहे हो आप, तभी मेरा मित्र दूसरे चारपाई में बैठा हुआ था।
मैं अपने मित्र के साथ बैठ गया और आपस में हल्की सी आवाज में बात करने लगे तभी मित्र का कमरा सहयोगी मित्र ने कहा मुझसे कि आप पढ़ाओ इन दोनों लड़कियों को मेरा जिम का समय हो गया है मैंने कहा दोस्त मुझे कहाँ आता है पढ़ाने आपने देखा कभी मुझे पढ़ाते हुये आप पढ़ा रहे हैं तो मैं बीच में कैसे पढ़ा सकता है दोस्त आप वैसे भी मास्टर हो थोड़ी देर में वह मित्र चले गया जिम करने। मैं उस मित्र की कुर्सी में बैठ गया दोनों लड़कियां मुझे देखकर पहले हँसने लगे कि मैंने उनसे पूछा कि आप दोनों कौन सी कक्षा में पढ़ते हो, आज किस विषय को पढ़ रहे हो तभी दोनों लड़की ने जवाब दिया हम दोनों कक्षा- दस में पढ़ते हैं पिछले साल फैल हो गए आज हम विज्ञान विषय को पढ़ रहे हैं। मैंने कहा आप दोनों अपने-अपने नाम बताओ और विद्यालय का नाम भी बताओ दोनों ने अपना नाम बताया और दोनों लड़की ने विद्यालय का नाम भी बताया जो सरकारी इंटर कालेज में पढ़ रहे थे। पहले मैंने दोनों को विषय से हटकर जीवन की प्राथमिक विषय की जानकारी दी फिर विषय का महत्व बताया और फिर इन्हें जीवन में ग्रहण करने की सलाह दी उसके बाद विषय के बारे में बताया दो-चार सवाल भी बताया। उन दोनों लड़कियों की माँ उन्हें बुलाने आयी लेकिन वे दोनों भी दरवाजे से मुझे ओर अपने लड़कियों को चुपचाप देखकर रहे थे फिर वापस चले गए मेरा मित्र बगल चरपाई से यह नजारा देख रहा था मैंने यह कक्षा शाम के पाँच बजे से लेकर रात के नौ बजे तक ली। मेरे मित्र ने बीच में दो बार चाय बनाकर मुझे पिलाया लेकिन वह यह नजारा देख रहा था। नौ बजे ट्यूशन वाला मित्र भी आ गया कि आप तो कह रहे थे कि मुझे पढ़ाने नहीं आता लेकिन आप तो अभी तक पढ़ा रहे मैंने कहा नहीं मित्र में ऐसे ही समझा रहा था फिर मैंने उन दोनों लड़कियों को अपने घर जाने के लिए कहा और साथ ही कहा कि जो भी मैंने आज आप दोनों को पढ़ाया समझाया उसे अपने जीवन में अमल करना दोनों लड़कियां अपने-अपने घर चले गए।
मैंने भी कहा मित्र मैं चलता हूँ अपने कमरे पर रात हो गयी है तभी दोनों ने कहा आज यहीं रह ले रात काफी हो गयी है मैंने ठीक है आज यही रहता हूँ। तभी मेरा मित्र अपने सहयोगी से कहने लगा आप तो बहुत ही अच्छा पढ़ाते ओर समझाते हो आपने तो आज उन दोनों लड़कियों की अच्छे से क्लास ली।
मैंने कहा सही में क्यों आप दोनों मजाक कर रहे हो मैंने कहा पढ़ाया मैंने तो सिर्फ एक कदम आगे बढ़ने के लिए कहा और कुछ नहीं।
तब समझ में आया कि वह लड़की मुझे क्यों प्रणाम कर थी क्योंकि उस लड़की को मेरा समझाया पढ़ाया अपने जीवन में अमल किया और मुझे उस दिन जो सम्मान दिया वह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान मिला। मैंने पढ़ाया भी एक दिन ही था एक दिन का पढ़ाया समझाया भले आज के समय में क्या याद रहता है लेकिन उस लड़की को याद था और मुझे बीच चौराहे में जो पाँव छूकर प्रणाम कर जो आदर दिया वह गुरुजी के लिए एक बहुत सम्मानजनक बात है।। "वैसे भी गुरुजी का महत्व इस संसार में सबसे ऊँचा है।।"
"मैंने इस कहानी में नाम, स्थान वह सभी पात्र का जिक्र नहीं किया है। यह एक प्रेरणा देने वाली एक सच्ची आधारित कहानी लिखी है।।"