गणेशा" एक सकारात्मकता
गणेशा" एक सकारात्मकता


पार्वती नंदन गणेश और कार्तिक को गुरुकुल में शिक्षा हेतु भेजने का निर्णय हो रहा है। सब बोल रहे हैं कि गणेशा अलग है। सब बच्चों की भांति उसका शरीर दुर्लभ है। ओ के से शिक्षा पूरी कर सकेगा। गुरुकुल के आचार्य पार्वती माता और शिवजी को कहते हैं कि गणेशा कैसे शिक्षा ग्रहण कर सकेगा कैसे सब बच्चों की तरह अपनी शिक्षा में उतरीं हो सकेगा।
गणेशा ने कहा कि: माता हे पिता मुझे भी शिक्षा ग्रहण करनी है कृपया मुझे भी गुरुकुल जाने की अनुमति दीजिए।
गणेशा की सकारात्मकता देखकर शिवजी ने गुरुकुल के आचार्य से बात की और गणेशा को भी जाने की अनुमति मिल गई। आज गुरुकॢल का पहला दिन है सब बच्चे गुरुकुल पहुंच गए हैं। गुरुदेव क पेड़ के नीचे बैठे हैं। गुरुकुल के आचार्य को संदेह था कि गणेशा के कारण उसकी शिक्षा का अपमान होगा। गणेशा ने गुरुकुल में आते ही अपने गुरु के चरणों को प्रणाम किया और कहा की :
“हे गुरुदेव मुझे अपनी शिक्षा देने की अनुमति देकर आपने मुझ पर बहुत बड़ी कृपा की है भगवान”
सब गणेशा पर हंसते थे कोई उसका मित्र नहीं बना। सब उसे ताने मारते थे क्योंकि उसका शरीर बेढंग था। पर गणेशा हमेशा हंसते रहते थे किसी के साथ झगड़ा नहीं करते थे सबकी मदद करते थे। गुरु जो भी सिखाते थे उसे ध्यान से पढ़ते थे किसी की बातों का उस पर कोई असर नहीं होता था । 1 दिन गुरुकुल में मिट्टी का मंदिर बनाने की प्रतियोगिता हुई। प्रतियोगिता नदी के किनारे की मिट्टी से बनानी होती थी। नदी से बिना किसी वस्तु का उपयोग करके जल लाना था। सब ने उस में भाग लिया गणेशा ने भी लिया सब ने मना किया कि गणेशा तुम्हारी लंबी सूट है बड़ा पेट है। छोटे-छोटे पाउ। तुम यह नहीं कर सकोगे। पर गणेशा ने हार नहीं मानी। यह प्रतियोगिता 2 दिन में पूर्ण करनी थी।
गणेशा सूर्यास्त से पहले जगते थे।अपने गुरु की सेवा करके मंदिर बनाने नदी के किनारे चले जाते थे। सब बच्चे सूर्यास्त के बाद जगते थे। मंदिर बनाने हेतु सब को 5 बार पानी लेने जाना पड़ता था। पर गणेशा एक ही बार में अपने सूढ में पानी भर लेते थे। गणेशा ने 2 दिन समाप्त होने से पहले ही अपनी कड़ी मेहनत से सबसे अच्छा मंदिर बनाया। गणेशा का मंदिर गुरु जी को बहुत पसंद आया। गणेशा प्रत्योगिता में जीत गए। उसके माता-पिता को, गुरु को, सबको उस पर गर्व हुआ।
सब छात्र उसके मित्र बन गई।
जो अपनी कमजोरी को ताकत बना लेता है उसे इस दुनिया में कोई नहीं हरा सकता।
जीवन की सकारात्मकता अपनी सबसे बड़ी ताकत होती है।