गलती से मिली सीख
गलती से मिली सीख
मैं आठवीं वर्ग में था, पढ़ने में भी सबसे आगे मैं रहता था। उसी समय तऱंग प्रतियोगिता का आयोजन होने वाला था, मैम ने मुझसे बिना पूछे ही मेरा नाम क्विज के लिए भेज दिया, मैंने मैम से कहा- "मैं नहीं जाऊँगा क्योंकि मैंने तैयारी नहीं की है,आप किसी और को भेज दे।"
मैम मना करते हुए बोली- "मैं यह सब कुछ नहीं सुनना चाहती, मैंने नाम भेज दिया, तुम्हें जाना ही पड़ेगा। जाकर नॉलेज का टेस्ट करो, सिर्फ पढ़ने से कुछ नहीं होता।"
मना तो कर नहीं सकता था, जब क्विज में बैठा तो बेहद ही आसान सवाल थे, मैंने सबके जवाब दिए, फर्स्ट भी आया। पूरे विद्यालय और टोले में चर्चित हुआ।
फिर अगले स्तर पर गया। वहाँ के स्टूडेंट को देखकर मुझे लगा हार जाऊँगा, सारे स्टूडेंट मुझसे बड़े और सुंदर कपड़े पहने थे, आधे पहले राउंड में ही बाहर हो गए। अंत में मैं और शिवम सत्यार्थी नाम का लड़का डटे हुए थे और दोनो के बराबर प्वाइंट थे। मुझसे एक सवाल किया गया- "दूध से दही जमना कौन सी प्रतिक्रिया है ?"
मैं जवाब जानता था "रासायनिक प्रतिक्रिया" मैंने गलत होने के डर से जवाब नहीं दिया और शिवम जवाब देकर फर्स्ट आ गया।
मैं अगले दिन स्कूल गया सबने मेरी तारीफ की, कम से कम इतना प्रयास तो किया पर मैंने यह मैम को यह नहीं बताया कि मैं गलत होने के डर से जवाब नहीं दिया, बाद में दोस्त को बताया।
दिन गुजरते गए, मेरी स्कूल की पढ़ाई खत्म हो गई, पर मन में यह बात चुभती रही है कि मैंने अपनी गलती मैम को नहीं बताई, शायद वो ये पोस्ट पढ़े।
पर मैंने तब से गाँठ बाँध ली कि 'गलती हो जाने से डरना नहीं है बल्कि सीख लेना है।'