Gulafshan Neyaz

Drama

5.0  

Gulafshan Neyaz

Drama

गेंदा

गेंदा

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बसंत का आगमन हो चूका था। मौसम बहुत सुहाना था। पक्षी अपने मधुर आवाज़ मै कलोल कर रहे थे

ठंडी ठंडी हवाएं चल रही थी। मदन ने सोचा क्यों ना आज थोड़ा खेतो का रुख किया जाए थोड़ा फसलों का हाल जाना जाए। उसने अपने कंधे पर गमझा डाला और खेतो की तरफ अपना रुख किया।

यू तो मदन ग्रेजुएट था । पर उसने नौकरी करने के बजाई अपने बाबु के खेतो मे ही काम करना उसे पसंद था । इसलिए तो उसने एग्रीकल्चर से बी एस सी की थी। वो चाहता था खेतो से भी अच्छा पैसा कमाया जा सकता हैं

बस जरूरत हैं अच्छी सोच और उच्च तकनीक इसलिए उसने गेंदे की खेती की थी। लोगो ने उसका मज़ाक भी उड़ाया था। क्या कर लेगा गेंदा की खेती कर।

मदन ने गमझा बंधा और साइकिल पर बैठ कर अपनी खेतो का रुख किया उसने दूर से देखा उसके खेतो मे दूर से ही गेंदा के फूल बसंत की हवाओ के साथ मस्ती मे झूल रहे थे रंग बिरंगी तितलया फूलों के साथ अटखेलिया कर रही थी बड़ा मनोरम दृश्य था

गेंदा के फूलों की सुगंध ने मदन के दिमागों को तरो ताज़ा कर दिया जिसमें वो खो गया । तभी उसके कानो मे किसी की हँसी की आवाज़ गई उसने पीछे मूर कर देखा तो एक लड़की पीला सूट पहने हाथों मे मोबाइल लिए गेंदा के फूलों के साथ फोटो लेने मे वयस्त थी।

मदन को वो भी गेंदा की फूलों की ही तरह लगी लड़की मदन को देख शर्मा कर भाग निकली पर मदन के आँखों मे उसकी छवि बस गई । अब वो गेंदा के फूलों को देखने रोज़ आता है और वो लड़की भी फोटो लेने रोज़ आती है । गेंदा की फूलों की अच्छी पैदावार होई और मदन को अच्छा मुनाफा भी होवा मदन ने गाँव के लोगों के सामने मिसाल पेस की अब फिर बसंत आया है फिर मदन गेंदा को देखने जाता है पर इस बार वो स्कूटी से जाता है आगे स्कूटी उसकी पत्नी चलाती है उसका नाम तो प्रिया है पर गेंदा के फूलों ने उन दोनों को मिलाया इसलिए वो उसे प्यार से गेंदा बुलाता है।


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