एक साल कैद का
एक साल कैद का
"मैं घर आ गया" सागर ने घरेलू चप्पल पहनते हुए कहा। और अंदर आ गया। "देखो मेरी जान मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूं। तुम्हारी पसंद की साड़ी बिल्कुल वैसी ही है जैसे तुम्हें पसंद है लाल रंग की। अब तो मान जाओ। कब तक नाराज रहोगी मुझे माफ कर दो ना प्लीज!!" सागर ने दरवाजे के बाहर से कहा रीमा ने दरवाजा अंदर से बंद कर रखा था और रोनित धीमा को दरवाजे के बाहर से मना रहा था।
"यह दरवाजा नहीं खुलेगा" रीमा ने अंदर से ही चिल्ला कर कहा। "रहो अपनी फेवरेट एक्टर के साथ। बहुत ज्यादा पसंद आ रही है तो रहो उसी के साथ" रीमा का गुस्सा सातवें आसमान को छू रहा था।
"अरे भाई तुमने भी अपना फेवरेट एक्टर बताया था मैं तो बुरा नहीं मान रहा मैंने बता दिया तो तुम इतनी नाराज हो रही हो" सागर ने सफाई दी। मगर रीमा ने दरवाजा नहीं खोला
"आह!! बाप रे बहुत जोर से लग गई" सागर चिल्लाया।
"क्या हुआ सागर तुम ठीक तो हो?" रीमा ने घबराकर दरवाजा खोला। सागर आराम से खड़ा हंस रहा था।
"बहुत बुरे हो तुम। मैं कितना डर गई थी!! आई हेट यू!" रीमा ने उस पर मुक्के बरसाने शुरू कर दिए।
"बट आई लव यु!! " सागर ने रीमा को गले लगाया।
ऐसे ही छोटी बड़ी नोक झोंक के साथ दोनों ने खूबसूरत 2 साल बिताए थे। जिंदगी के उतार-चढ़ाव में दोनों ने एक दूजे का भरपूर साथ दिया।
सागर भारत की इंटेलिजेंस ब्यूरो का अफसर था और जब कभी किसी प्रोजेक्ट पर जाना पड़ता तो वापसी वापस आ सकेगा या नहीं इस बारे में वह खुद भी नहीं जानता था इसलिए जिंदगी के हर छोटे-बड़े लम्हे को खुलकर जीता था। वह एक जासूस था जानता था किसी इंसान के द्वारा अगर पकड़ा गया या मारा गया तो उसका देश उसे पहचानने या स्वीकार करने से मना कर देगा मगर फिर भी देशभक्ति का जज्बा बेनामी की मौत से ज्यादा बड़ा था।
ब्यूरो में सागर के सही फैसला और समझदारी का सिक्का चलता था। सब जानते थे उसे किसी मिशन पर भेजा जाए तो वह बिना पूरा किए वापस नहीं आएगा। ऐसे ही एक मिशन पर उसे भेजने का निर्णय लिया गया। पड़ोसी देश में छुपे सूत्रों के अनुसार कुछ जानकारी मिली थी जिसकी छानबीन करना जरूरी था। मामला संगीन था किसी और पर भरोसा नहीं किया जा सकता था इसलिए सागर को बुलाया गया।
"जय हिंद सर!" रोनित ने अपने सीनियर को सलूट करते हुए कहा। मैं जानता था किसी जरूरी काम से बुलाया गया होगा इसलिए अपने जाने की तैयारी पहले ही कर आया था।
"सामने रखी फाइल पढ़ ली होगी तुमने जैसा कि तुम्हें पता है। हमारे देश के कुछ लोग पड़ोसी देश के दुश्मनों के साथ हाथ मिलाकर देश के साथ गद्दारी करने की कोशिश कर रहे हैं मैं चाहता हूं तुम पड़ोसी देश जाओ और इस मामले की छानबीन करो बस इतना याद रखना कि तुम्हें हर चीज पर नजर रखनी है बिना नजर में आए"
"आप मुझ पर भरोसा कर सकते हैं सर मैं आपको निराश नहीं करूंगा" सागर ने पूरे आत्मविश्वास से कहा।
"ठीक है फिर जाने की तैयारी करो। कल सुबह की फ्लाइट से तुम्हारे जाने का इंतेजाम कर दिया है"
"जी। जय हिंद सर!" सागर ने कहा और बाहर चला गया।
रीमा को बताया फिर किसी ट्रेनिंग के कारण उसे दूसरे देश भेजा जा रहा है वह जल्दी लौट आएगा मगर रीमा जानती थी वह झूठ बोल रहा है फिर भी उसे शुभकामनाएं दें और मन ही मन उसके सही सलामत लौटने की प्रार्थना करने लगी।
सागर जब वहां पहुंचा तो उसे कोई लेने आने वाला था। मगर वहां कोई नहीं आया सागर शाम तक इंतजार करता रहा। फिर कुछ ऐसा हुआ जिसका सागर ने सोचा भी ना था। अचानक अफरा-तफरी मची और पुलिस ने सागर को गिरफ्तार कर लिया इससे पहले के सागर कुछ समझ पाता उसे हथकड़ियां पहना दे गई। उसे किसी विदेशी की तरह रहना था और उसने पूरी कोशिश कि वह एक विदेशी की तरह विरोध करें मगर सब नाकाम रहा। उसे गिरफ्तार करके कालकोठरी में बंद कर दिया गया।
पहले पूछताछ के बहाने उसे एक कमरे में ले जाते और खूब मार पिटाई की जाती। कभी गर्म पानी में डुबोया जाता कभी बर्फ की सील पर लिटाया जाता। सागर के शरीर पर इतने जख्म थे कि उसे समझ नहीं आता किस जख्म पर कराहे। मगर वह बहादुर था चट्टान की तरह मजबूत था इन सबके आगे नहीं टूट सकता था। फिर वह भी समझ गए इससे कोई फायदा नहीं होगा। उन लोगों ने दूसरा पैंतरा अपनाया। और एक अफसर को भेजा जो कहता था कि वह भी भारतीय है और उसकी मदद करेगा पहले तो सिर्फ प्यार से पूछ कर दबाव बना रहा था ताकि वह अपने मिशन की सारी जानकारी दे दे। मगर सागर को इन सब बातों का अच्छी तरह पता था वह अपनी बात से 1 इंच भी पीछे नहीं हटा वह बार-बार यही कहता रहा कि वह एक विदेशी है और यहां काम के सिलसिले में आया था उसे कहा गया था कि वह एक इंपोर्ट एक्सपोर्ट बिजनेस मैन की तरह रहेगा बस वह भी वही कहे जा रहा था। जब मारपीट करके कोई जानकारी ना मिल सकी और सागर ने किसी भारतीय द्वारा पूछे जाने पर भी कोई जानकारी नहीं दी। तो टॉर्चर का एक नया आरंभ हुआ। वह भी इतना दर्दनाक शरीर का कोई हिस्सा ऐसा ना था जहां से खून ना बहता हो। इस सबके बीच सागर यह जरुर सोचता कि जो आदमी उसे लेने आने वाला था उसके साथ क्या हुआ होगा क्या वह भी गिरफ्तार हो गया है ? या फिर मार दिया गया होगा। कभी उस पर गुस्सा आता कभी उसके लिए फ़िक्र होती। 4 महीने बीत गए मगर सागर अपनी बात से पीछे ना हटा और वह लोग भी उसे टॉर्चर करते रहे। फिर जैसा उन्होंने हार मान ली सागर को कालकोठरी में बंद कर दिया और मानो उसे भूल गए हो।
कुछ वक्त तक सागर दिन रात का हिसाब लगाता रहा। 2 दिन में एक बार खाने को दे दिया जाता जिसमें कोई एक फल और दाल खिचड़ी जैसी कोई चीज होती। हर बार जब सगर ऐसे बेस्वाद खाने खाता उसे रीमा की बड़ी याद आती। रीमा का अपने हाथों से स्वादिष्ट पकवान बनाना और सागर को मजे लेकर खाते हुए देखना बहुत याद आता।
उस काल कोठरी में सागर को दिन रात का पता ना चलता बस अंदाजा लगा लिया करता इस समय दिन होगा अभी रात होगी चांद चमक रहा होगा जैसे रीमा के माथे पर बिंदी चमकती है तारे टिमटिमा रहे होंगे जैसे रीमा की आंखें टिमटिमाते हैं जब वह सागर को देखती है। वह ख्यालों में अक्सर रीमा से बातें किया करता।
" सुनो! तुम अपना बहुत ख्याल रखना। मेरी मोहब्बत पर भरोसा रखना मैं वापस आऊंगा बहुत जल्दी तुम मेरा इंतजार करना। करोगी ना!!"
"हां। मैं सारी जिंदगी तुम्हारा इंतजार करूंगी" यहां रीमा सागर के दिल की आवाज को सुनते हुए जवाब दे देती फिर अपने आसपास देखकर सोचती कि उसने किस से और क्यों यह कहा। वह घर में अकेली थी सन्नाटा गुंजता रहता था सारे घर में। रीमा का मन नहीं करता था कि वह सजे। खुद को संवारे या खुद को आईने में निहारे मगर इस उम्मीद में कि पता नहीं कब सागर आ जाए वह रोज सजती। घर की हर दीवार पर लगी अपनी और सागर की तस्वीरों को देर तक निहारती। जब से सागर लापता हुआ था उसने घर से बाहर निकलना और लोगों से मिलना जुलना छोड़ दिया मानो खुद को एक कमरे में कैद कर लिया हो जहां सागर के सिवा कोई आ नहीं सकता। रीमा को बस इतना पता था कि सागर एक मिशन पर गया था मगर कहीं लापता हो गया कहां है? कैसा है? जिंदा है भी या नहीं कोई नहीं जानता था।
"एक्सक्यूज मी!। क्या मैं आपसे बात कर सकती हूं?"
"जी !! मैंने आपको पहचाना नहीं!"
"आप मुझे नहीं जानते मगर मैं आपको अच्छी तरह से जानती हूं"
"वह कैसे?"
"26 जनवरी पर हमारे कॉलेज में आपने देश भक्ति पर स्पीच दी थी बस में सभी से आपकी फैन हो गई हूं"
"धन्यवाद। सिर्फ सुनने से कुछ नहीं होता मैंने जो कहा उस पर गौर कीजिए और आगे देश के काम आना"
"जरूर! बस देशभक्ति ही जानते हैं आप? देशभक्तों के भी काम आइए"
"मैं समझा नहीं"
"मेरा नाम रीमा है मैं सोशियोलॉजी में मास्टर कर रही हूं। जब कॉलेज में आपको पहली बार देखा तो लगा अपनी जिंदगी में आप ही का इंतजार कर रही थी। आप मुझे पसंद है शादी करना चाहती हूं आपसे" रीमा ने एक ही बार में अपने दिल की बात कह दी।
"ज..जी….! यह आप क्या कर रही हैं?"सागर ने कहा
"जो मेरे दिल में था वह मैंने कह दिया। मुझे अपनी जिंदगी में जगह देना ना देना आपकी मर्जी है। जिस कॉलेज में आप आए थे मैं वही उस कॉलेज के हॉस्टल में रहती हूं अगर लगे क्या मैं इस काबिल हूं कि आपके साथ जिंदगी गुजार सकूं तो आप मुझसे मिलने आ जाना" रीमा ने कहा
"मगर…"
"अगर आपकी ना है तो मुझे कुछ मत बताइए मैं अपने ख्वाब अपनी आंखों के सामने टूटते हुए नहीं देख सकती" रीमा ने हाथ उठाकर सागर को कुछ भी कहने से रोक दिया और चली गई।
अगले कुछ दिनों तक सागर रीमा के बारे में सोचता रहा। यह पहली बार नहीं था जब किसी लड़की ने इस तरह की बात की थी। मगर पहली बार सागर किसी लड़की के बारे में सोचने से खुद को रोक नहीं पा रहा था। एक लड़की जिसने दिनदहाड़े कैप्टन साहब का चैन छीन लिया था उसे कोई तो सजा मिलनी चाहिए। सागर ने सोचा जिस दिन पूरी दुनिया प्यार का दिन मनाती है जिस दिन सारे प्यार करने वाले एक दूसरे से मोहब्बत का इजहार करते हैं क्यों ना रीमा से उसी दिन अपने दिल की बात कहीं जाए।
'14 फरवरी' यह बहुत दिन था जब कॉलेज से वापस अपने हॉस्टल जाती हुई रीमा को रुका था सागर ने और बड़े फिल्मी अंदाज में घुटनों पर बैठकर लाल गुलाब आगे करके कहा था
"मुझसे शादी करोगी?" सागर इतना फिल्में नहीं देखता था। मगर रीमा के आगे झुकने में उसे कोई शर्म महसूस नहीं हुई।
कुछ देर तक रीमा को यकीन ही नहीं हुआ कि सागर ने सच में हां कह दिया और अब सबके सामने शादी का प्रस्ताव रख रहा है।
"अब बोल भी दो ज्यादा देर घुटने पर नहीं बैठ सकता। मेरे पैर दर्द हो रहे हैं" वैसे तो कैप्टन साहब किसी भी अवस्था में कितनी भी देर तक बिना हिले रह सकते थे मगर यह तो दिल था जो बेचैन हो रहा था रीमा की हां सुनने के लिए।
"हा। हा। हा। हा…..!" रीमा खुशी से रो पड़ी और सागर के गले लग गई।
रीमा ने सागर को अपने माता-पिता से मिलवाया वह भी सागर से मिलकर बहुत खुश हुए। देश की सेवा करने वाला एक सैनिक उनकी बेटी का जीवन साथी बने इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती थी उनके लिए।
रीमा के माता पिता उसके दोस्तों और ब्यूरो के कुछ बड़े अधिकारियों की मौजूदगी में सागर और रीमा ने हमेशा के लिए एक दूसरे को अपना बना लिया।
सागर अनाथ था। इसलिए जानता नहीं था कि रिश्ते कितने खूबसूरत होते हैं। जिंदगी में पहली बार उसके पास भी कोई है जिसे वह अपना कह सकता है यह बात सागर को बहुत खुशी दे रही थी। कोई आपके साथ हो आपका ख्याल रखता हूं जिससे आपकी पसंद ना पसंद और हर छोटी से छोटी बात का ख्याल है ऐसा इंसान जिंदगी में हो तो आप क्यों ना खुद को आसमानों में उड़ता हुआ महसूस करें। बस कुछ ऐसा ही हाल था सागर का भी।
रीमा सागर को लगने वाली छोटी सी खरोच पर भी डर जाती और उसका बच्चे की तरह ख्याल रखती। हर सागर हंस कर कहता
"इतनी सी चोट पर घबरा गए तुम तो मैं एक सरकारी कर्मचारी हूं किसी दिन हो सकता है मैं तिरंगे में लिपटा हुआ आऊ तब तुम कैसे खुद को संभालोगी। बताओ!!"
"ऐसी बातें मत करो। तुम जहां भी रहो जितने भी टीम के लिए चाहो तो मिशन पर चले जाओ मगर हमेशा के लिए जाने की बातें मत किया करो"डरी हुई रीमा रोने लग जाती
"मेरे ना बोलने से हकीकत नहीं बदल जाएगी रीमा" सागर गंभीर आवाज में कहता।
"जानती हूं। मगर इस समय हम दोनों जिंदा हैं तो क्यों ना जिंदगी की बातें की जाए मोहब्बत की बातें की जाएं कैप्टन साहब!!"
"तुम बड़ी खतरनाक हो यार रोते-रोते भी रोमांटिक हो जाती हो" सागर की बात सुनकर रीमा शर्मा जाया करती।
रीमा की शर्म से झुकी आंखों पर सागर अपने होठ रख देता जब भी सागर रीमा को प्यार करने की कोशिश करता उसकी आंखें अपने हाथ से बंद कर देती
सागर की आंखें खुल गईं। कुछ इस तरह ही अब हर रोज जब भी सागर की आंख लगती उसे बीते लम्हे किसी फिल्म की तरह याद आया करते थे।
सागर ने अपनी आंखों पर हाथ रख दिया और दोबारा सोने की कोशिश की। शादी के बाद यह पहली बार था जब सागर रीमा से दूर हुआ था। ऐसा कोई पल नहीं था जिसमें सागर को रीमा का ख्याल नहीं आता हो। अगर अपने देश के लिए जान देना सागर का धर्म था तेरी मां को खुश रखना उसका ख्याल रखना उसके साथ रहना भी उसका कर्तव्य था। कभी वो अपने आप को रीमा का मुजरिम मानता था तो कभी खुद पर सागर को गर्व होता कि उसने अपने देश के प्रति पूरी निष्ठा से अपना धर्म निभाया है। उस कल कोठरी में करने को कुछ नहीं था इसलिए सागर सब कुछ याद करता जो शायद कभी वह भुल चुका था। स्कूल से जुड़ी शरारतें और प्यारी यादें याद करता। कभी कॉलेज में मिलने दोस्त और अच्छे विद्यार्थी वाले मेडल। कभी अपना फौज में भर्ती होने का सपना याद करता तो कभी सपने को पूरा करने के लिए उसकी कड़ी मेहनत। कभी अपना पहला मिशन और उसकी सफलता पर मिलने वाला पुरस्कार करता। और कभी रीमा से पहली मुलाकात और रीमा के साथ बिताए अच्छे बुरे पल मतलब जिंदगी की हर छोटी बड़ी याद सागर ने दोबारा जी ली।
सागर को कोई अंदाजा नहीं था कितने दिन बीत गए हैं।
फिर एक दिन खाने में एक अलग सी रोटी थी जैसे फॉर्च्यून कुकी हो। सागर को कुछ अजीब लगा उसने जब वह रोटी तोड़ी अंदर एक कागज था इसमें लिखा था तुम्हें जल्दी से बाहर निकाल दिया जाएगा। सागर समझ गया कि उससे ढूंढ लिया गया है उसके अफसरों द्वारा। सागर की उम्मीद द्वारा बंद गई कि अब वह दुबारा अपने देश वापस जा सकेगा और रीमा से मिल सकेगा। मगर वह चौकन्ना था पूरी तरह कहीं यह कोई चाल न हो। और फिर वह दिन भी आ गया जब वह आजाद हो गया।
किसी ने सागर के दरवाजे को खुला छोड़ दिया। सागर को लगा कोई अंदर आ रहा है वो काफी देर इंतजार करता रहा और जब कोई न आया तो सागर ने दरवाजे को छूकर दिखा। दरवाजा खुला था। सागर की यादाश्त बहुत अच्छी थी। जब उसे लाया गया सागर की आंखों पर पट्टी बंधी थी। मगर सागर ने भी कड़ी ट्रेनिंग ले रखी थी। इसलिए वह दिशा नहीं भुला सागर खुद भी हैरान हुआ कि उसे अभी तक सारी दिशाएं याद थीं। फिर वह सब की नज़रों से बचते हुए बाहर आ गया। सब कुछ इतना आसान था मानो उसी के लिए तय किया गया हो। सागर को यह बात समझ नहीं आ रही थी। मगर उसके लिए इस वक्त यही काफी था कि वह आजाद हो जाए अपने देश लौट जाए किसी तरह। जेल की दीवार फलांग कर जब सागर बाहर आया तो वहां एक आदमी कार समेत खड़ा था।
"जय हिंद कैप्टन!। ज्यादा वक्त नहीं है हमारे पास यह आपका पासपोर्ट और जहाज का टिकट आप पानी के रास्ते से भारत वापस जाएंगे" उसने कहा और एक बैग सागर के हाथ में थमा दिया।
सागर में कोई जवाब देने से पहले बैग चेक किया। बैग में 2 जोड़ी कपड़े। पासपोर्ट और खाने पीने के कुछ सामान रखा था।
दोनों कार की ओर बढ़े और वहां से चल पड़े सागर इस समय कोई बात नहीं कर पा रहा था उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था कि वह कैद से आजाद हो गया है जो उसे लेने आया था सागर में उसका नाम तक नहीं पूछा क्योंकि अक्सर नाम गलत बताए जाते हैं ताकि एजेंट की गोपनीयता कायम रहे। सागर में बस एक सवाल पूछा
" आज दिन क्या है"
"आज 25 जनवरी 2021 है कैप्टन" उस आदमी ने कहा
"एक साल!"
"नहीं कैप्टन आप डेढ़ साल से कैद हैं"
"नहीं" सागर ने कहा और सोचता रहा। "काल कोठरी की बंद कमरे में मुझे कैद होगी 1 साल हो चुका है जबकि लगता था जैसे सदियां बीत गई है"
सागर को जहाज तक पहुंचा कर वह आदमी में वापस चला गया। जहाज के चलने के बाद सागर को यकीन हुआ कि यह कोई चार्ज नहीं है और अब वह आजाद है।
आज रीमा को बड़ा चैन महसूस हो रहा था आज भी बड़े दिल से तैयार हुई। न जाने क्यों से लग रहा था जैसे कोई खोई चीज उसे वापस मिलने वाली है। न जाने क्यों उसने आज सागर की पसंद के सारे पकवान भी बनाए थे।तैयार होने के बाद माथे पर बिंदी सजा रही थी के दरवाजे पर दस्तक हो गई।
"मैं घर आ गया" सागर ने कहा जैसे वह हमेशा कहता था।
रीमा को लगा उसके कान बज रहे हैं वह दौड़ती हुई बाहर आई और अपने सामने सागर को पाया।
"देखो मुझे ऐसे सपने बिल्कुल नहीं पसंद क्योंकि यह जब टूटते हैं तो मुझे बहुत दुख होता है" रीमा की आंखों में आंसू उतर आए।
"यह कोई सपना नहीं है चाहो तो छू कर देख लो" सागर मुस्कुराया और अपनी बाहें खोल दी।रीमा खुशी से रोते हुए उसकी बाहों में समा गई।
"आई हेट यू!! ऐसे भी कोई सताता है अब भला!? आई हेट यू" रीमा रोते हुए बड़बड़ाने लगी।
"बट आई लव यू!!!" सागर के विचलित मन को चैन मिल गया और अब वह और भी मजबूत हो गया था आने वाले वक्त में वह दोनों अपने देश के लिए ऐसी कई लड़ाइयां लड़ने और जीतने के लिए तैयार हैं।
