मिशन पृथ्वी
मिशन पृथ्वी
"मैं जिम्पी ९९२३ अपने ग्रह जिम्पारीगो से यात्रा पर निकला हूँ , इस समय मैं अपने विमान में हूँ, और मुझसे कहा गया है कि मुझे अपनी पूरी यात्रा इसी तरह रिकॉर्ड करनी होगी, हमने एक ग्रह की है और मैं उसी ग्रह पर रह कर उसके बारे में जानकारी प्राप्त करूंगा, अब तक मिली जानकारी के अनुसार इस ग्रह का नाम है पृथ्वी , मैंने पृथ्वी की कुछ तस्वीरें इकट्ठा की है पृथ्वी के आसपास काफी विमान चक्कर काट रहे हैं जिससे पता चलता है कि पृथ्वी वासी तरक्की करने लगे हैं, कुछ देर में पृथ्वी पर मैं अपना विमान उतार लूंगा, आशा करता हूं पृथ्वी का यह सफर आसान होगा" जिम्पी ने रिकॉर्डिंग बंद कर दिया और लेंडिंग की तैयारी करने लगा।
जिम्पी के ग्रह पर सभी के पास शक्तियां होती हैं जैसे कि वह सभी बिना किसी की नजर में आए एक जगह से दूसरी जगह पर जा सकते हैं, आपकी भाषा सीख सकते हैं बिना आपको छुए, आकार में छोटे होते हैं मगर भारी से भारी सामान बड़ी आसानी से उठा लेते हैं, इनके चार पैर और चार हाथ होते हैं, लंबी नाक के बीच आंख इस तरह होती है जैसे मछली की हों, हर तरह के जीव जंतु से बात कर सकते हैं, आसानी से रूप बदल सकते हैं,
इन शक्तियों की वजह से जिम्पी आसानी से पृथ्वी में दाखिल हो गया, लैंडिंग के बाद जिम्पी अपने विमान से बाहर आया, और विमान को गायब कर दिया,
"मैं जिम्पी ९९२३ पृथ्वी पर आ गया हूँ , मैं ने रिकॉर्डर अपने कंधे पर लगा रखा है, यहां पर हमारे ग्रह जैसी वायु नहीं है, मगर इतनी बुरी भी नहीं है कि सांस न ले सकुं, मेरे सामने एक प्राणी खड़ा था मैंने पृथ्वी की जानकारी उसी प्राणी से प्राप्त की हैं जिसके चार पैर थे, और घांस खा रहा था, यहां पर सारे जीव जंतु एक समान नहीं होते, यहां पर सबसे ज्यादा एक ही जीव तरक्की कर रहा है और वह है इन्सान, इंसान बाकी जीवों की तरह नहीं दिखते, वह दो पैरों पर चलते हैं, मगर सभी प्रकार के प्राणीयो से तेज़ होते हैं, उनके पंख नहीं होते, मगर वह उड़ सकते हैं, वह बता रहा था कि बाकी सारे प्राणी उनसे डरते हैं क्योंकि इंसान दुसरे सभी प्राणियों को बन्दी बना लेते हैं, इतना बता कर वह भाग गया, हमारे डेटा बेस में इन्सानों की कोई जानकारी नहीं है, मैं आशा करता हूं कि वह उतने खतरनाक न हों जितना वह प्राणी बता रहा था " जिम्पी ने कहा और रिकॉर्डर बंद कर दिया।
थोड़ा और आगे बढ़ने पर उसने कुछ देखा और दुबारा रिकॉर्ड में बोलने लगा, "मैं समझ नहीं पा रहा यह कौन-सा जीव है, इसके पैर गोल है आकार भी आजीब सा है, इसे उठाकर देखा नीचे काफी सारे डिब्बे लगे हैं, शायद इस ओर कोई आ रहा है!!" जिम्पी ने खुद को अदृश्य कर दिया, और एक तरफ खड़ा हो गया, "इसके दो पैर हैं, पंख भी नहीं है ना बाकी जीवो की तरह कोई दुम है यह बिल्कुल अलग है कहीं यही इंसान तो नहीं!!, मैं इसके करीब जाकर इसका रूप लेने की कोशिश करूंगा, अपनी शक्ति से इसकी भाषा भी सीख लुंगा " यह कह कर जिम्पी करीब गया अपनी आंखें बंद की और अपना रुप बदल लिया,
" ओए!! कौन हो तुम? मेरी गाड़ी के आगे क्यों खड़े हो? और मेरे जैसे कपड़े क्यों पहने हुए है" इंसान ने कहा
"मेरा नाम जिम्पी है, क्या तुम इंसान हो?" जिम्पी ने पुछा,
" पुछ ऐसे रहे हो जैसे तुम एलियन हो!!" उस आदमी ने हंसते हुए कहा,
"एलियन ?? तुम्हें कैसे पता चला?" जिम्पी हैरान था, भला इंसान कैसे जान सकता है कि वह एक एलियन है!? इनके पास तो कोई शक्ति नहीं होती,
"ह हा ह हाा ! अच्छा मज़ाक करते हो दोस्त, मेरा नाम राजु है! जिम्पी यही नाम बताया ना तुमने, यहां कभी देखा नहीं तुम्हें !"
" मैं यहां पहली बार आया हूँ , एक जरूरी काम से" जिम्पी ने कहा, जिम्पी डर रहा था कहीं राजू उसे भी बंदी ना बना ले, इसीलिए अपने आने का कारण नहीं बताया,
" ठीक है, जिम्पी काम तुम्हें यहां है या शहर में, मैं भी शहर जा रहा हूं अगर चाहो तो साथ चलो" राजु ने कहा,
"शहर क्या होता है?" जिम्पी ने पुछा,
"तुम तो सच में नए लगते हो यहां, अरे !! शहर जहां पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग होती है गाड़ियां होती हैं बहुत कुछ होता है" राजु को लगा जिम्पी किसी बहुत गरीब गांव से पहली बार आया है,
"अच्छा ! यह क्या है?" जिम्पी ने गाड़ी की ओर इशारा किया,
"दोस्त यह गाड़ी है इस गांव में सिर्फ मेरे पास है, शहर चलोगे तो ऐसी और भी देखने को मिलेगी" राजु ने गाड़ी का दरवाजा खोला और अंदर बैठ गया, जिम्पी भी बैठ गया,
"एक सवाल पूछूं? मैं ने सुना है तुम इंसान ….! मेरा मतलब है हमारे पंख नहीं होते फिर कैसे उड़ सकते हैं?" जिम्पी ने पुछा, साथ ही खुद को याद दिलाया कि इस समय वह भी इंसान के रूप में है, इसीलिए अब उसे इंसानों की तरह बात करनी होगी
" हां बिल्कुल, हमारे पास हवाई जहाज होते हैं जिनकी मदद से हम पक्षियों से ज्यादा तेज और सकते हैं और हमारे पास गाड़ियां होती हैं जिसकी मदद से हम किसी पर जानवर से ज्यादा तेज आगे बढ़ सकते हैं" राजु ने बड़े फख्र से बताया,
" अच्छा तो यह बात है" जिम्पी चुप हो गया, कुछ देर बाद बोला " यह कैसा जीव है? न इसके हाथ पैर दिख रहे हैं न यह चल फिर रहा है"
"जीव!!!! यह कोई जीव नहीं है, यह तो पेड़ है, जो हमें फल देता है हमारे सर पर छाया करता है, हमें ऑक्सीजन देता है, तभी तो हम सांस लेते हैं, क्या तुम्हारे गांव में कोई पेड़ नहीं है?" राजु ने कहा
"क्यों नहीं हमारे पास भी होते हैं मगर हम इन्हें जाया माया कहते हैं हम इन्हीं के अंदर रहते हैं और इसी की उर्जा से हम अपनी उर्जा बढ़ाते हैं" जिम्पी ने कहा
"बड़ी अजीब बातें करते हो तुम, मुझे तो समझ नहीं आ रही" राजु ने कहा, राजु को लगा कि वह कोई आदीवासी है इसीलिए इस तरह बात कर रहा है,
"यह लोग क्या कर रहे हैं ?? इन्हें रोको!!!" जिम्पी अचानक चिल्लाया,
"कुछ नहीं बस पेड़ काट रहे हैं, तुमने पहले कभी पेड़ कटते नही देखा क्या?" राजु ने कहा,
"कभी नहीं, अगर किसी कारण जाया माया गिर जाए तो उसमें रहने वाले भी मर जाते हैं, तुम्हें डर नहीं लगता कहीं कोई मर गया तो?"जिम्पी को यकीन नहीं हो रहा था,
"कौन मरेगा इन सब को आदत है यही तो इनका रोज का काम है" राजु ने बड़े आराम से कहा,
"रोज का काम क्या रोज यह लोग पेड़ काटते हैं?" जिम्पी ने पुछा
"हां भाई ! पेड़ नहीं काटेंगे तो कमाएंगे क्या, और कमाएंगे नहीं तो खाएंगे क्या!!" राजु को अब गुस्सा आ रहा था, "भला मामूली सा पेड़ ही तो है, कल था अब नहीं है, और वैसे भी दुनिया भर में लाखों पेड़ कटते हैं, इतना भावुक होने की जरूरत नहीं है, समझे!! और रही बात पक्षियों की जो पेड़ पर रहते हैं वह किसी और पेड़ पर अपना घर बना लेंगे हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है"
जिम्पी चुप हो गया, और सोचता रहा 'कोई बेवकूफ कैसे हो सकता है जहां से ऊर्जा मिलती है जहां से खाने को मिलता है वही काट देते हैं बड़े अजीब होते हैं इंसान' इंसानों के लिए डर थोड़ा और बढ़ गया।
रात के समय में गाड़ी रोक कर राजू ने रात के खाने का इंतजाम किया और आग जलाई....
"यह क्या है?" जिम्पी आग को ध्यान से देखने लगा,
"तुम्हें यह भी नहीं मालूम यह आग है छूना मत वरना जल जाओगे" राजू ने सर पर हाथ मारते हुए कहा,
"यह किस काम आती है?" जिम्पी ने पुछा,
"खाना पकाने के लिए ठंड लगे तो गर्मी के लिए" राजु ने कहा
"ओह!! अच्छा" जिम्पी के लिए यहां सब कुछ नया था,
रात का वक़्त था ठंडी हवा चल रही थी राजू को ठंड लगने लगी,
"बहुत ठंड है आज, मैं कंबल निकाल लेता हूं हम सुबह शहर चलेंगे रात में यही आराम कर लेते हैं" राजु ने कहा
"ठीक है"
राजू को ठंड ज्यादा लग रही थी और हाथ जमने लगे थे राजू ने अपने हाथ आग के आगे किए और हाथों पर फूंक करने लगा,
"यह क्या कर रहे हो" जिम्पी ने ध्यान से देखा और पुछा
"अरे भाई तुम बड़े नादान हो अब यह भी नहीं मालूम मैं हाथों को फूंक रहा हूं क्योंकि ठंड ज्यादा है और मेरे हाथ जम रहे हैं" राजु को अब जिम्पी के सवाल खुद पर बवाल लग रहे थे,
"ऐसे करने से हाथ गर्म हो जाते हैं क्या?" जिम्पी ने अपने हाथ मुंह के पास ले जाकर पूछा, साथ ही हैरान भी हुआ के 'इंसानो की सांसे ठंडी चीज को गर्म कर सकती हैं!,
"हां बिल्कुल हो जाते हैं तुम भी करके देखो" राजु ने कहा
"ठीक है" उसे कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि उसे ठंड लग ही नहीं रही थी उनके ग्रह पर बर्फ ज्यादा होती थी इसीलिए यहां पर ठंडी हवा का चलना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी
कुछ देर बाद आग पर राजू ने आलू भूने, और खाने लगा,
"बहुत गर्म है" कह कर राजू आलू को फुंकने लगा,
" अरे यह क्या कर रहे हो तुमने कहा आलू गर्म है फिर फुँक क्यों रहे हो, वह और गर्म हो जाएंगे" जिम्पी ने पुछा
"लो भला !! गर्म क्यों होंगे मैं तो ठंडा करने के लिए फुंक रहा हूं" राजु ने कहा और फिर से फुंकने लगा,
"क्या मतलब तुम्हारी सांस से आलू ठंडा हो जाएगा!!!" इस बार तो हैरत और डर से जिम्पी को पसीने आने लगे
"हां भाई तुमने कभी कोई चीज को फुंक कर ठंडा नहीं किया क्या" राजू बेकार सवालों से परेशान हो चुका था
"मगर अभी तो तुमने कहा था कि तुम्हारे हाथ गर्म हो जाएंगे तुम्हारी सांस से और अब तुम कह रहे हो गरम आलू ठंडे हो जाएंगे"
"हां हमारी सांसो से हम चीजों को गरम भी कर सकते हैं और ठंडा भी, अब तो मुझे सचमुच लग रहा है तुम इंसान नहीं कोई एलियन हो, गलती कर दी तुम्हें अपने साथ लाकर भाई माफ कर दो मुझे जाओ यहां से अकेला छोड़ दो" राजू ने गुस्से से कहा
जिम्पी वहां से भाग निकला इसलिए नहीं कि राजू ने कहा था उसे जाने के लिए बल्कि इसलिए क्योंकि वह इंसानों से बहुत डर गया था, अपनी शक्तियों से वह एक पल में ही अपने विमान में आ गया और यह सब रिकॉर्ड करने लगा" इतने खतरनाक होते हैं इंसान के अपनी सांस से गर्म चीज को ठंडा और ठंडी को गर्म कर सकते हैं, न जाने ऐसी कौन सी शक्ति है उनकी सांस में, यह लोग बिना डरे पेड़ काट देते हैं, बड़े आराम से दूसरे जीवन को बंदी बना लेते हैं, शुक्र है मैं एक ही इंसान मिला मुझे बाकी इंसानों से मिलूंगा तो पता नहीं यह मेरे साथ क्या करेंगे कहीं मुझे भी बंदी ना बना ले, मैं अपने ग्रह पर वापस आ रहा हूं पृथ्वी खतरनाक है, नहीं पृथ्वी खतरनाक नहीं है इंसान खतरनाक है बहुत ज्यादा…!!!"
