D Kumar

Action Others Children

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एक_पिता_का_दर्द.....

एक_पिता_का_दर्द.....

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एक लड़की और उनके पिता/


आज पूनम लव मैरिज कर अपने पापा के पास आयी, और अपने पापा से कहने लगी पापा मैंने अपनी पसंद के लड़के से शादी कर ली, उसके पापा बहुत गुस्सें में थे, पर वो बहुत सुलझें शख्स थे,

उसने बस अपनी बेटी से इतना कहा, मेरे घर से निकल जाओ, बेटी ने कहा अभी इनके पास कोई काम नहीं हैं, हमें रहने दीजिए हम बाद में चलें जाएंगे, पर उसके पापा ने एक नहीं सुनी और उसे घर से बाहर कर दिया.........


कुछ साल बीत गये, अब पूनम के पापा नहीं रहें, और दुर्भाग्य वश जिस लड़के ने पूनम ने शादी की वो भी उसे धोखा देकर भाग गया, पूनम की एक लड़की एक लड़का था, पूनम खुद का एक रेस्टोरेंट चला रही थी, जिससे उसका जीवन यापन हो रहा था.........


पूनम को जब ये खबर हुई उसके पापा नहीं रहें, तो उसने मन में सोचा अच्छा हुआ, मुझे घर से निकाल दिया था, दर दर की ठोकरें खाने छोड़ दिया, मेरे पति के छोड़ जाने के बाद भी मुझे घर नहीं बुलाया, मैं तो नहीं जाऊंगी उनकी अंतिम यात्रा में, पर उसके ताऊ जी ने कहा पूनम हो आऊँ, जाने वाला शख्स तो चला गया अब उनसे दुश्मनी कैसी, पूनम ने पहले हाँ ना किया फिर सोचा चलो हो आती हूं, देखूँ तो जिन्होंने मुझे ठुकराया वो मरने के बाद कैसे सुकून पाता हैं...............


पूनम जब अपने पापा के घर आयी तो सब उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी कर रहे थे, पर पूनम को उनके मरने का कोई दुख नहीं था, वो तो बस अपने ताऊजी के कहने पर आयी थी, अब पूनम के पापा अंतिम यात्रा शुरू हुई, सब रो रहें थे पर पूनम दूर खड़ी हुई थी, जैसे तैसे सब कार्यक्रम निपट गया, आज पूनम के पापा की तेरहवीं थी, उसके ताऊ जी आए और पूनम के हाथ में एक खत देते हुये कहा, ये तुम्हारे पापा ने तुम्हें दिया हैं, हो सके तो इसे पढ़ लेना.............


रात हो चुकी थी सारें मेहमान जा चुके थे, पूनम ने वो खत निकाला और पढ़ने लगी,

उसने सबसे पहले लिखा था, मेरी प्यारी गुड़िया मुझे मालूम हैं, तुम मुझे से नाराज हो, पर अपने पापा को माफ कर देना, मैं जानता हूं, तुम्हें मैंने घर से निकाला था, तुम्हारे पास रहने की जगह नहीं थी, तुम दर दर की ठोकरें खा रही थी, पर मैं भी उदास था, तुम्हें कैसे बताऊँ....


"याद हैं तुम्हें जब तुम पाँच साल की थी, तब तुम्हारी माँ हमें छोड़ के चली गयी थी, तब तुम कितना रोती थी, डरती थी, मेरे बिना सोती नहीं थी, रातों को उठकर रोती थी, तब मैं भी सारी रात तुम्हारे साथ जागता था, तुम जब स्कूल जाने से डरती थी, तब मैं भी सारा वक्त तुम्हारे स्कूल के खिड़की पर खड़ा होता था, और जैसे ही तुम स्कूल से बाहर आती थी, तुम्हें सीने से लगा लेता था, वो कच्चा पक्का खाना याद हैं, जो तुम्हें पसंद नही आता था, मैं उसे फेंक कर फिर से तुम्हारे लिए नया बनाता था, की तुम भूखी ना रहो, याद हैं तुम्हें जब तुम्हें बुखार आया था, तो मैं सारा दिन तुम्हारे पास बैठा रहता था, अंदर ही अंदर रोता था, पर तुम्हें हंसाता था, की तुम ना रोओ वरना मैं रो पड़ता था,

वो पहली बार हाईस्कूल की परीक्षा जब तुम रात भर पढ़ती थी, तो मैं सारी रात तुम्हें चाय बनाकर देता था,

याद है तुम्हें जब तुम पहली बार कालेज गयी थी, और तुम्हें लड़कों ने छेड़ा था, तो मैं तुम्हारे साथ कालेज गया और उन बदतमीज लड़कों से भिड़ गया, उम्र हो गयी थी, और मैं कमजोर भी, कुछ चोटें मुझे भी आयी थी, पर हर लड़की की नजर में पापा हीरों होते हैं, इसलिए अपना दर्द सह गया................


"याद हैं तुम्हें वो तुम्हारी पहली जीन्स वो छोटे कपड़े, वो गाड़ी, सारी कालोनी एक तरफ थी की ये सब नहीं चलेगा, लड़की छोटे कपड़े नहीं पहनेगी, पर मैं तुम्हारे साथ खड़ा था, किसी को तुम्हारी खुशी में बाधा बनने नहीं दिया, तुम्हारा वो रातों को देर से आना कभी_कभी शराब पीना, डिस्को जाना, लड़कों के साथ घूमना, इन सब बातों को कभी मैंने गौर नहीं किया, क्यूंकि जिस उम्र में था उस उम्र में ये सब थोड़ा बहुत होता हैं, ......................


पर एक दिन तुम एक लड़के से शादी कर आयी, वो भी उस लड़के से जिसके बारे में तुम्हें कुछ भी पता नही था, तुम्हारा पापा हूं, मैंने उस लड़के के बारे में सब पता किया, उसने ना जाने वासना और पैसे के लिए कितनी लड़कियों को धोखा दिया, पर तुम तो उस वक्त प्रेम में अंधी थी, तुमने एक बार भी मुझ से नहीं पूछा, और सीधा शादी कर के आ गयी, मेरे कितने अरमान थें, तुम्हें डोली में बिठाऊ, चाँद, तारों की तरह तुम्हें सजाऊ, ऐसी धूमधाम से शादी करूँ की लोग बोल पड़े वो देखो शर्माजी जिन्होंने अपनी बच्ची को इतने नाजों से अकेले पाला हैं, पर तुमने मेरे सारे ख्वाब तोड़ दिये, "खैर" इन सब बातों का कोई मतलब नहीं हैं,

मैंने तो तुम्हारे लिए खत इसलिए छोड़ा है की कुछ बात सकूं.....................


मेरी "गुड़िया" आलमारी में तुम्हारी माँ के गहने और मैंने जो तुम्हारी शादी के लिए गहने खरीदें तो वो सब रखें हैं, तीन चार घर और कुछ जमीनें है मैंने सब तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के नाम कर दी हैं, कुछ पैसें बैंक में है तुम बैंक जाकर उसे निकाल लेना,

"_और आखिरी में बस इतना ही कहूंगा गुड़िया काश तुमने मुझे समझा होता मैं तुम्हारा दुश्मन नहीं था, तुम्हारा पापा था, वो पापा जिसने तुम्हारी माँ के मरने के बाद भी, दूसरी शादी नहीं की लोगों के ताने सुने, गालियाँ सुनी, ना जाने कितने रिश्ते ठुकराया पर तुम्हें दूसरी माँ से कष्ट ना हो इसलिए खुद की ख्वाहिशें मार दी.......................


अंत में बस इतना ही कहूंगा मेरी गुड़िया, जिस दिन तुम शादी के जोड़े पर घर आयी थी ना, तुम्हारा बाप पहली बार टूटा था, तुम्हारे माँ के मरने के वक्त भी उतना नहीं रोया जितना उस वक्त और उस दिन से हर दिन रोया इसलिए नहीं की समाज, जात, परिवार, रिश्तेदार क्या कहेंगे...

इसलिए वो जो मेरी नन्ही सी गुड़िया सु_सु तक करने के लिए, सारी रात मुझे उठाती थी, पर जिसने शादी का इतना बड़ा फैसला लिया पर मुझे एक बार भी बताना सही नहीं समझा, गुड़िया अब तो तुम भी माँ हो औलाद का दर्द खुशी सब क्या होता हैं, वो जब दिल तोड़ते हैं तो कैसा लगता हैं, ईश्वर तुम्हें कभी ना ये दर्द की शक्ल दिखाए, एक खराब पिता ही समझ के मुझे माफ कर देना मेरी गुड़िया, तुम्हारा पापा अच्छा नहीं था, जो तुमने उसे इतना बड़ा दर्द दिया, अब खत यही समाप्त कर रहा हूं, हो सकें तो माफ कर देना, और खत के साथ एक ड्राइंग लगी थी जो खुद कभी पूनम ने बचपन में बनाई थी, और उसमें लिखा था आई लव यू मेरे पापा मेरे हिरो मैं आपकी हर बात मानूंगी...................


पूनम रो ही रही थी, उतने में उसके ताऊजी आ गये, पूनम ने उन्हें रोते_रोते सब बताया, पर एक बात उसके ताऊजी ने बताई, उसके ताऊजी ने कहा, पूनम वो जो तुम्हें रेस्टोरेंट खोलने और घर खरीदने के पैसे मैंने नहीं दिये थे, वो पैसे तुम्हारे पिताजी ने मुझ से दिलवाए थे, क्यूंकि औलाद चाहे कितनी भी बुरी, माँ_बाप कभी बुरे नहीं होते, औलाद चाहें माँ_बाप को छोड़ दे माँ_बाप मरने के बाद भी अपने बच्चों को दुआ देते हैं,

दोस्तों पूनम के पापा को सुकून मिलेगा या नहीं मुझे नहीं पता, पर उस खत को पढ़ने के बाद, शायद सारी जिंदगी, पूनम को सुकून नहीं मिलेगा...................


बस इतना ही कहूंगा, आखिर में दोस्तों, लव मैरिज शादी करना कोई गलत बात नहीं, पर यही अपने माँ_पिताजी की मर्जी शामिल कर लें, पत्थर से पानी निकल जाता हैं, वो तो माँ_बाप है ना कब तक नहीं टूटेंगे अपने बच्चों की खुशी के लिए, हर बाप की एक इच्छा होती हैं अपनी बेटी को अपने हाथों से डोली में विदा करने की हो सकें तो उसे एक सपना मत रहने दीजिए ।


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