एक पेंटिंग की मौत
एक पेंटिंग की मौत
आज सुबह एक बड़ा ही मजेदार वाकया हुआ।मेरी 'हाउस आर्गेनाइजर' ने गिलास में चाय डालकर रख दी।चाय ठंडी हो जाएगी तो जल्दी से पी लो कहते हुए वह चली गयी।गिलास की चाय देखते ही मैंने मन ही मन कहा," पता नही इसको कब समझ आएगी?इतनी भर भर कर मैं चाय कैसे पी पाऊँगी?" साथ मे ब्रेड के पैकेट को खोलने लगी।
अचानक धक्का लगा और धक्के से चाय का गिलास गिर गया और सारी चाय फर्श पर इधर उधर हो गयी।गिलास में एक भी बूँद चाय की नही बची।
अचानक समय ने करवट बदली।एक मिनट पहले मैं इतनी ज्यादा चाय कैसे पीयूंगी की सोच से परेशान हो रही थी और अब देखो मेरे पास एक बून्द भी चाय नही थी।
इसी बीच मेरी नजर फर्श पर गयी।और लगा कि जैसे वहाँ कोई खूबसूरत सी पेंटिंग बन गयी हो।
ऑफिस जाने की जल्दी में मैने फटाफट कपड़ा लेकर सफाई करना शुरू कर दिया।और फर्श को एकदम साफ कर लिया।
लेकिन दिल के किसी कोने में महसूस हुआ की एक खूबसूरत सी पेंटिंग को मैं सहेज कर ना रख पायी....
एक खूबसूरत सी पेंटिंग की बेवक़्त ही मौत हो गयी......
