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एक आपबीती

एक आपबीती

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कोई तीन चार महीने पहले की बात है! अप्रैल 2016 की किसी तारीख की बात! करीब साढ़े पांच बजे के करीब मैं कोई काम निपटा कर घर आ रही थी! सड़क पर कम ही लोग थे! मैंने अपना बैग हाथ में पकड़ा हुआ था! बैग में कन्धे पर टांगने वाली बेल्ट नहीं थी,  इसलिये थोड़ा जागरूक थी! वैसे भी दिल्ली की इन सड़कों पर बेफिक्र होकर तो चला ही नहीं जा सकता! तभी अचानक एक गली में से एक बाइक तेजी से निकली जिस पर तीन जवान लड़के सवार थे! अचानक एक लड़के ने तेजी से मेरे बैग पर झपट्टा मारा, पर वह बैग छीन नहीं पाया! जितना ही वह छीनने की कोशिश करता उतनी ही मेरी बैग पर पकड़ मजबूत हो जाती, इसी जद्दोजहद में लड़का बाइक से नीचे उतरकर पूरी कोशिश से बैग खींचने लगा,  पर मुझमें न जाने कौन सी शक्ति काम कर रही थी कि बैग नहीं छोड़ा तो नहीं छोड़ा!  दोनों हाथों से बैग को मजबूती से पकड़े मैं इस बात से पूरी तरह बेखबर थी अक्सर ऐसे में ये लोग हथियारों का भी इस्तेमाल करते हैं उस पर वो तीन थे और मैं अकेली नारी! पर ऐसा कुछ नहीं हुआ! इस समय मैं सामान्य स्त्री नहीं बल्कि दुर्गा सरीखी एक मजबूत नारी थी जिसे हारना पसन्द नहीं ..तभी दिमाग में एक विचार कौंधा कि सामने बाइक पर खड़े लड़कों को तो लात मारकर गिरा देती हूँ,  और बैग वाले लड़के के हाथ में काट लेती हूँ, और तभी चमत्कार हो गया,  जैसे ही मैंने अपने विचार को कार्यरूप देने के लिये अपने भीतर शक्ति भरी लड़के बैग छोड़ नौ दो ग्यारह हो गये, मैंने होश संभाल चारों तरफ देखा, कोई नहीं था आस पास! थोड़ी दूर पर दो स्त्रियाँ डरी सहमी सी खड़ी यह सब देख रही थी! मैं आराम से यह सोचकर उन दोनों के पास जा खड़ी हुई कि शायद वे हारे हुए दोबारा लौटकर आएंगे! वो बताने लगी ये लड़के यहां बहुत देर से चक्कर काट रहे थे! इसीलिये हम यहां साइड में खड़ी हो गयी थी! तभी उनमें से एक ने कहा, "वो लड़की कहाँ गयी जिसका उन्होंने बैग छीना!"
ऐसे संकट में भी अपने लिये ऐसे शब्द सुन मन गुदगुदा गया! वैसे भी जो संघर्ष तीन लड़कों और एक अकेली स्त्री वो देख रही थी उससे ज्यादा वो कुछ सोच भी नहीं सकती थी! मैंने सहज रूप से मुस्कराकर कहा,  "वो लड़की मैं ही थी!"
उन्होंने अवाक् हो पहले मुझे ऊपर से नीचे तक देखा फिर आपस में एक दूसरे को! अब इस कहानी में जो कि शत प्रतिशत सच है कौन सी शक्ति ने काम किया कहा नहीं जा सकता मेरी आत्मशक्ति,  मेरी किस्मत या फिर लूटने वालों का नौसिखियापन या फिर उनके पास किसी हथियार का ना होना...कुछ भी!

 

 


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