Anuradha Sharma

Others

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Anuradha Sharma

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बीमार

बीमार

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आज सुबह ही मन विचलित हो गया। बीना के घर में पाँच प्राणी हैं। बीना को पति ने स्कूल में छोड़ दिया, पर किसी ने नहीं देखा कि अनेक बीमारियों की स्वामिनी बीना,हड्डियों का ढांचामात्र, सुबह हड़बड़ाहट में या समझो दिमागी स्थिति ठीक ना होने के कारण सुबह बस सलवार के साथ सर्दियों की मोटी जैकिट पहन स्कूल में आ गई बीच की कमीज या कुरता पहनना भूल गई पहला पीरियड भी ले लिया। बीमारी में या इसी कारण लोगों की उपेक्षा की शिकार बीना की दिमागी स्थिति डगमगा गई थी लेकिन संस्कार में स्त्री की स्वभाविक लज्जा अभी सजग थी,अत:बीना ने कुछ अनइजी़ महसूस होने पर जब खुद को ध्यान से देखा तो गहन पीड़ा चेहरे पर उभर आई। वो चुपचाप मेरे पास आई और दैन्यभाव से मेरे कन्धे को छूकर इशारा करते हुए बोली, "मैम, मैं कुरता.. भूल गई!" मैंने  देर किये बगैर, घर पास होने के कारण एक कुरता लाकर उनको दे दिया। पर इस घटना से मन भीतर तक कांप गया। सैंकड़ों प्रश्न मन में कुलबुलाने लगे। घर से चलते क्या किसी ने भी नही देखा? ..एक बीमार प्राणी के लिए  पति समेत बाकि सभी स्वस्थ प्राणियों की दृष्टि कहाँ लोप हो गई? विद्यालय में भी किसी की नज़र ना गई? स्मार्ट और खूबसूरत स्त्रियों की पौशाक का कई दिन तक का हिसाब रखने वाली नजरें बीना तक पहुंची ही नहीं। कल ही तो बीना ने अपनी पुरानी परिवार सहित हंसती खेलती फोटो दिखाई थी। सबकी चहेती, एक सुघड़ स्त्री के सारे उत्तरदायित्वों को पूरा करती बीना चालीस की उम्र में ही साठ साल की बीमार उपेक्षित बुढ़िया-सी हो चली। समझ में आ गया कि बार-बार समझाने पर भी डायबिटीज़ के साथ किडनी व हार्ट की मरीज बीना 'वीआरएस' क्यों नही ले रही? कमाते-कमाते यह हाल है तब बाद में क्या! क्या व्यक्ति तभी तक उपयोगी है जब तक कमाता रहे, काम करता रहे! तब तो... बुढ़ापा ऊपर से बीमारी...कितना घोर अभिशाप है! तभी स्वास्थ्य के प्रति अत्यन्त लापरवाह मैंने बाबा रामदेव के योग, गुरूदेव की 'जीवेम् शरदः शतम्' को जीवन का हिस्सा बना लेने का दृढ़ संकल्प ले लिया।


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