दिवस (द इंडियन म्यूटन) भाग - 5

दिवस (द इंडियन म्यूटन) भाग - 5

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शाम को सभी पूरी तैयारी के साथ रजौरा गांव में दाखिल हुए और वहाँ चल रहे मेले में मिलजुल कर अपनी डांस पार्टी का पूरा सेट लगाए। खुद ही बैनर बनाये जिस पर" च्विंगम डार्लिंग डांस पार्टी" का नाम लिखा और टिकट पचास रुपए का एलान। दिवस ने बैनर देखकर कहा," हे भोलेनाथ ,रंगीले ने यह क्या फालतू बैनर बनाया है कितना गंदा नाम रखा है मैने तो सोचा भी नहीं था कि वह यह नाम रखेगा। अब तो भगवान ही मालिक हैं कि यह रंगीला अंदर डांस पर कौन सा भद्दा गाना बजायेगा।लेकिन अब हो भी क्या सकता था कि पूरा सेट लग चुका था।

डीजे शुरू हुआ फिल्मी बोल्ड गाने बजने लगे। वहाँ मेले में घूमते लोगों से, पुलिस वालों से दिवस ने कहा, उस गरीब किसान की गाय बिक जायेगी कट जायेगी, बेटी की बारात लौट जायेगी उसकी मदद कर दो। सभी बोले, यार एक रूपया नहीं है देख रहे हो बैंक से पैसा नहीं मिल रहा जाओ यार । कोई भी उस गरीब किसान की मदद को आगे नहीं बढ़ा, हाँ "बेबी डार्लिंग", "मस्त कली" कह कर ज़ेहनी अय्याशी का मज़ा खूब लिए ! लोग कहते यह नाम पहली बार सुना है चल यार देखा जाये। रात होते-होते च्वींगम डांस पार्टी फुल थी और लोगों के ऊपर लोग चढ़े थे कि चारों तरफ नीले पीले बल्बों की चकाचौंध रोशनी में किन्नर नीलम और उर्वशी हीरे की तरह चमक रही थीं और जब उन्होंने गानों पर नाचना शुरू किया तो जनता लगातार पैसे उड़ा रही थी। दिवस और रोशनी अंदर बहुत खुश थे रूपया खूब आ रहा था। रात दो बज गये थे भीड़ बढ़ती ही जा रही थी। तभी दिवस ने कोने से झांक कर देखा तो हैरान रह गया कि आस -पास के सभी बड़े अधिकारी विधायक नेता वहाँ शराब पीकर झूम रहे थे और विधायक जी उन खूबसूरत परियों के ऊपर रूपया उड़ाये जा रहे थे। दिवस यह सब देख दंग रह गया। पीछे से रोशनी ने कहा," बस एक घंटे और ऐसी भीड़ रही तो बहुत पैसा होगा। उस गरीब की बेटी की शादी बहुत अच्छे से हो जायेगी और माँई के इलाज के लिये भी पैसे निकल आएंगे और घटा तो मैंने जो गहने बनवाये थे वह सब बेच कर अच्छा इलाज हो जायेगा। तभी रूद्र ने फोन करके बताया कि भैया में बाहर टिकट बना रहा हूँ गज़ब की भीड़ है। दिवस ने कहा, यह भीड़ एक झूठ का रूप है । तभी नीलम स्टेज छोड़कर दिवस के पास आकर बोली," मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है अगर अब और नाची तो उल्टियाँ करने लगूंगी पेट में भी दर्द हो रहा है । दिवस ने कहा, तुम आराम करो। रोशनी बोली, रूको मेरे पर्स में है दर्द की टेबलेट। रोशनी ने उसे दवा देकर कहा यहीं लेट जाओ । एक को नाचता देख जनता चिल्लाने लगी तो दिवस ने कहा तुम सब जाओ बसंती तुम गुलाबो को भेजो। रोशनी ने रूद्र से कहा, बाहर रेखा, सुरेखा से कहो कि वह लोडर तैयार रखें हम लोग जल्दी ही निकलेगें रूपया सब बैग में भर लिया है । दिवस और रोशनी ने बाहर झांक कर जनता का मिजाज़ भांप लिया था। दिवस ने मौके की नज़ाकत देखते हुये कहा, रोशनी पहना दे मुझे लहंगा ओढ़ा दे मुझे चुनरी और सजा कर बना दे मुझे सुन्दरी। फिर क्या था रोशनी उसे स्पीड में सजाने लगी और बाहर मंच पर जनता जूते चप्पल फेंकने लगी तभी दिवस का फोन बजा तो रोशनी ने देखा कि जैनीफर का कॉल है उसने फोन ऑफ कर दिया। अब उर्वशी मंच से भाग कर पीछे आ गयी और बोली, हम लोग पीछे से सब सामान बैग सहित लोडर पर जाकर बैठते हैं यह सुनकर दिवस ने कहा, जैसा उचित जनता उठ -उठ कर जाने लगती है तभी गाना बजता है "रूको मतवालों ज़रा नज़र हम पे भी डालो "तुम्हारी दीवानी आयी च्वींगम जवानी

मेरा नशा वोदका ये भी भारी

कर देगी घायल च्वींगम जवानी

सारी जनता देख हैरान हो जाती है इतनी सुन्दर लड़की कसम से च्वींगम है मेरी तो नज़र ही नहीं हट रही मानो नज़र चिपक गयी है हुस्न पर। लोग सीटियां बजा रहे थे दिवस अंदर ही अंदर टूट रहा था कि वह यह क्या बन गया।तभी उसके दायें बायें रोशनी टूट के नाचने लगी और दिवस भी हाथ फैलाकर घूमने लगा वह भी झूम कर नाच उठा और नाचता ही रहा नाचता ही रहा सारी जनता उसे छूने और पास से देखने को मचल पड़ी। तभी विधायक और उसके साथी ऊपर स्टेज पर आकर दिवस का हाथ पकड़ कर नाचने लगे और उसे चूमने लगे.दिवस दूर हटा तो जेब से नोटों की गड्डियाँ निकाल कर सब बरसा दी और उसे बार -बार चूमने को भागने लगे पूरी जनता सीटियां बजा रही थी।गाना बज रहा था "शीला मुन्नी को भूलो वो लोकल जवानी"।अरे! ऑरिजनल है च्वींगम डार्लिंग की जवान

दिवस ने मन ही मन कहा, कितना भद्दा गाना बजाया इस रंगीले ने इसको यही गाना मिला था। यह जनता मुझे नोंच खायेगी। दूर खड़े रूद्र ने सोचा इससे पहले कि इस विधायक के गुर्गे दिवस की जान ले लें मुझे कुछ करना पड़ेगा | यही सोचते हुये रूद्र ने तुरंत कुछ जाकर पूरे मेले की बिजली ही काट दी और चारों तरफ अंधेरा हो गया तो रूद्र ने माइक से कहा कृपया आप सभी लोग अपनी-अपनी जगह बैठे रहिये। इतना कहकर सभी दौड़कर पीछे खड़े लोडर में बैठ गये और वहाँ से रफूचक्कर हो गये ।

अब वह सब बस्ती में आकर जैसे ही घर के अंदर आये।तो दिवस चुपचाप सिर पकड़ कर बैठ गया। सभी एक टक दिवस को देख रहे थे तो दिवस ने सवालिया नज़रों से कहा,क्या हुआ ? तो रूद्र आईना देकर बोला, खुद ही देख लो । दिवस खुद को देखता ही रह गया और फिर आईना किनारे रख दिया। रूद्र ने कहा, रोशनी भैया आप हूर लग रहे है जो देखे पागल हो जाये । दिवस कहता है मैं चेंज करके आता हूँ । रोशनी कहती है कि लगभग पचास हज़ार रूपया आ गया है डांस पार्टी से अब उस किसान बेटी की शादी खूब धूमधाम से शादी हो जायेगी । दिवस बोला, यह शादी मंदिर में दो फूलमाला से हो जाया करें तो गरीब को राहत मिल जाये। रोशनी कहती है सबकुछ बदल सकता है बाबू पर समाज की ये रिवाजें नहीं बदलने वाली हम सब इसमें पिस रहे हैं और पिसते रहेंगे।

दिवस ने पूछा, नीलम सो गयी क्या ? रोशनी ने बताया, वह दवा खाकर लेटी है अब आराम है उसे । तभी रंगीला बोला, कुछ भी कहो दिवस आज हॉट लग रहा था क्या कला है मेकअप भी । रोशनी बोली, एचडी मेकअप था तो दिवस बोला,इतना भद्दा गाना बजाया तुमने ,रंगीले ने कहा, मंदिर नहीं था जो भजन बजाता जैसा दर्द वैसी दवा दी जाती है क्या गज़ब पैसा आया। दिवस बोला, तुम से बहस करना ही बेकार है । यह सुनकर रंगीले ने कहा, भैया जब देशभक्ति की और सामाजिक कविता या भजन लिख कर फेसबुक पर पोस्ट करता हूँ तो एक दो लाइक बस और इस तरह के गाने पोस्ट करता हूँ तो हज़ारों में लाइक और कमेन्ट्स आते हैं अच्छी चीज़ कोई नहीं पढ़ता सुनता नहीं भैया । दिवस ने कहा, देशभक्ति और भजन गीत मैं पढ़ूंगा चलो मुझे पोस्ट करो पर अब कभी ऐसे अश्लील शब्द मत लिखना माता सरस्वती जी का व अक्षरों का अपमान होता है । रंगीले ने कहा, ठीक है प्रॉमिस । रंगीले ने कहा, भैया मेरा फेसबुक अकॉउण्ट बना दो मेरा पहले वाला किसी ने हैक कर लिया । दिवस ने कहा, तुम्हीं बना लो मुझे गुस्सा आता है । रंगीले ने दिवस से कहा, फेसबुक अकाउण्ट बनाने से गुस्सा बढ़ता है क्यूँ भाई ? दिवस ने कहा, मार्क जुकरवर्ग ने फेसबुक में मेल और फीमेल ऑप्सन रखे हैं वह भी हम लोग थर्ड जेण्डर को नज़रदांज कर गये। बस सब सोच कर मेरा गुस्सा भड़क जाता है। नौकरी के फॉर्म में भी महिला /पुरूष विकल्प छपा होता है । हम लोग क्या पशु हैं जो नौकरी नहीं कर सकते । रंगीले ने कहा, दिवस भैया शांत हो जाओ एक दिन अपनी भी किस्मत बदलेगी, बदलाव ज़रूर होग सुबह पांच बजे थे सब नहा धोकर तैयार हुये भगवान शिव की पूजा करके वह सब उठे तो वह दोनों धाकड़ किन्नर गाली बकते हुये अंदर आये और बोले, क्या हुआ सरोज को ? यह पैसा रख लो और अस्पताल का पता दो । तभी उनकी नज़र दिवस पर पड़ी जो चुन्नी में उलझे सैफ्टीपिन को निकाल रहा था। वह दोनों बोले, यह कौन नवा गुलाब खिला और तेजी से उठ कर दिवस की तरफ बढ़ी तो दिवस ने दरवाजा बन्द करना चाहा तो उन्होंने धक्के से खोल दिया और बोली," वाह.. क्या बात है और उसके गालों को चूमकर गलत हरकतें करनी लगीं। दिवस ने दरवाज़े में इतना ज़ोर का धक्का मारा कि पूरा दरवाज़ा खुल गया और सब चिल्लाये अम्मा ये दिवस है क्या कर रही हो। दिवस ने कहा," आपकी उमर का लिहाज कर रहा हूँ वरना इतना कमज़ोर नहीं कि अपनी रक्षा न कर सकूँ । हाँ हम किन्नर हैं तो क्या हमारी कोई इज्ज़त नहीं है जब चाहे तब किसी की मजबूरी का फायदा उठा लो ,गलत कर लो ? वह बोली, उस दिन तेरा मुंह टेप से बंद था तो मज़ा पूरा न हुआ ज़रा चिल्लाता तू तब मज़ा ज्यादा आता । यह सुन दिवस को वो रात पूरी फ़िल्म की तरह दिमाग में घूम गयी । वह बोली ," जो भी हो नवेले आ !आ! न मेरे पास । यह सब देख रंगीले ,रूद्र और बिजली ने कहा,यह लो अपने पैसे और निकलो अब। बहुत सहा आपको अब आपका टाईम गया। फिर कभी नज़र आये आप लोग तो थाने में रिपोर्ट क कुछ देर बाद सभी सरोज से मिलने अस्पताल पहुंचे। रोशनी ने कहा, डा. साहब आप ऑप्रेशन की तैयारी करें बस दस मिनिट में पैसा लाते हैं । तभी पीछे से रूद्र आकर कहता है यह लो पैसा । पूरा पैसा काउण्टर पर जमा हो जाता है तो दिवस कहता है ," रूद्र यह पैसा ? रूद्र कहता है, मैने अपनी बाईक बेच दी । यह सुनते ही दिवस, रोशनी और रूद्र तीनों गले मिल जाते हैं।

डा. कहता है बाहर चलिये भीड़ मत लगाइये ।

अब सभी पूरा टैण्ट का सामान बर्तन व हलवाई पूरी व्यवस्था के साथ रजौरा गाँव पहुंचते हैं। दोपेहर तक सब व्यवस्था हो जाती है । वह गरीब पूरा सजा घर देखकर हैरान रह जाता है कि कितना अच्छा इंतजाम है । वह गरीब चिल्ला के कहता है कि धन्य हो आप लोग जो मेरी बेटी की डोली आपके वजह से उठ रही। वह किसान कहता है कि मेरे लिये तो आप सब देवता हैं आप सभी के पांव पखारना चाहता हूँ । दिवस कहता है, जिसकी यह शादी है वह हम सब की छोटी बहन है अगर आपका बेटा यह सब करता तो क्या आप उसके पांव पखारते ?हमें देवता ना कहो बस एक बार बेटा कह कर सीने से लगा लो। दिवस उस गरीब किसान के पांव छूता है तो वह किसान उसे सीने से लगा लेता है और फिर सभी एक साथ होकर गले लगते हैं ।

किसान कहता है बेटा कुछ ही देर में बारात आ जायेगी। समय हो तो विदाई तक रूकें आप सब । तभी एक लड़की आकर कहती है आप सबको पार्वती बुला रही है। किसान कहता है मेरी बेटी पार्वती आप सब से मिलना चाहती है । पार्वती कहती है दिवस भैया मेरी एक इच्छा है कि शादी में थोड़ा पैसा बचाकर मेरे बापू के नाम से गौकथा करवा देना जिससे मेरे बापू गौ बेचने जा रहे थे न उस पाप से बच जायें। दिवस और खड़े सभी लोगों की आंखे डबडबा आयीं उसने कलावा वाला धागा तोड़- तोड़ कर सभी किन्नरों को बांध कर कहा आज से आप सब मेरे भाई । दिवस ने उसके पांव छूकर उसे गले लगाया और कहा मैं गौ कथा ज़रूर कराऊँगा । तभी दिवस की नजरें सामने टूटी पड़ी अँगवारी पर गयी जिसमें ''वाटर ऑफ इंडिया'' यानि एक प्रकार का कलश जिसे जादू दिखाने वालों अपने प्रोग्राम में प्रमुखता से प्रयोग करते हैं, पर गयीं। वह तुरंत उस गरीब से बोला आप जादूगर हैं ? यह सुनकर उस गरीब ने कहा, हैं नहीं था। इस वक्त तो सिर्फ़ कर्ज में डूबा हुआ गरीब किसान या कहे कि मजदूर हूँ बस। दिवस के दिल में यह बातें खंजर की भाँति धँस गयी कि हमारे भारतीय जादूगरों और किसानों का यह हाल! तभी सामने एक छोटी बच्ची की तस्वीर देख दिवस ने कहा, यह तुम हो पार्वती ?पार्वती ने कहा, नहीं भैया यह मेरी छोटी बहन है जो अब भगवान के पास है।

दिवस ने कहा, वह बीमार थी क्या ?

यह सुन पार्वती फूट-फूट कर रो पड़ी।बताई कि शाम को खेत पर शौच के लिये गयी किसी ने उसके साथ दुष्कर्म किया और वह मर गयी तब वह महज़ सात साल की थी । पैसे नहीं थे वरना अच्छा इलाज होता तो बच जाती।

यह सुन कर दिवस की आंखें बरस पड़ीं । वह आँसू पोछकर बोला, यह अपने देश,धर्म समाज के लिए एक अज़ाब,श्राप से क्या कम है या फिर बदकिस्मती कह लें कि,जिस देश समाज मे कन्याएं पूजी जाती हैं उसी देश समाज की कन्याएं आज सुरक्षित नही,कब कोई उसे बाजार बना दे,कब कोई किसी सरे राह आबरू तार तार करें,कब कोई किसी को जीते जी मौत के मुँह में ढकेल दें,कुछ नही कहा जा सकता। हमारे देश में आज भी करोड़ों लोग खुले में शौच जाते हैं लेकिन इसकी चिंता किसे है,शायद किसी को नही और एक बड़ा खास कारण यह है कि जैसे अपने इस देश समाज का वो सिस्टम ही सड़ गल चुका जिस पर कभी हमें नाज़ पास में खड़े सभी रिश्तेदार और गाँव के लड़के दिवस की बातें सुन कर ताली बजाकर बोले,आपने बिल्कुल सही कहा दिवस भैया , जानते तो सब हैं पर मानता कोई नहीं । तभी रोशनी का फोन बजा, रोशनी ने पर्स में हाथ डाला तो फोन कट चुका था। उसी पर्स में दिवस का फोन पड़ा था तो रोशनी ने दिवस से कहा, ये लो अपना फोन । दिवस ने अपना फोन ऑन किया तो देखा दर्ज़न भर मिस कॉल व मैसेज पिता जी श्रजित मल्होत्रा के थे और उस से दो एक कम जैनीफर व अन्य का मिस कॉल व मेसेज था। उसने सोचा पिता जी और जेनिफर को खुद कॉल मिला कर बात कर लें तभी रूद्र ने कहा, दिवस शहर में आतंकी हमला हुआ है देखो अपना ब्यूटी पार्लर और उसके आस-पास की सभी दुकानें खत्म। दिवस यह देखो व्हाट्सअप पर आई तस्वीरें ।इस बीच दिवस अपने पिताजी का मैसेज पढ़ते ही, तेजी से बाहर निकला पीछे-पीछे रूद्र और रोशनी भी । दिवस ने कहा, तुम लोग व्यवस्था सम्भालो मैं आता हूँ और फिर वह सरपट दौड़ पड़ा और दौड़ता ही गया । रूद्र ने रोशनी से कहा. कुछ तो हुआ है.. तुम यहीं रूको मैं पीछे जाता हूँ । रोशनी ने कहा, यह लो चाबी, कार से निकल जाओ । तभी रास्तें में दिवस का फोन बजा , दिवस ने वह कॉल अनसुनी कर दी तो लगातार आतीं कॉल देखकर उसने कॉल रिसीव की तो उधर से डाक्टर ने कहा," सॉरी सरोज इज़ नो मोर" ।दिवस के अंदर दुखों का पहाड़ फट पड़ा, वह भागता रहा | रास्ते में रूद्र ने गाड़ी रोक कर उसे ज़बरदस्ती गाड़ी में बिठाया दिवस पत्थर बना खामोश बैठा रहा । रूद्र ने कहा, कहाँ जाना है भैया? पर दिवस पत्थन बना चुप बैठा रहा। यह देख रूद्र ने दिवस के हाथ से फोन ले लिया कॉल रिकार्ड चेक और मैसेज बॉक्स चेक किया तो रूद्र भी रो पड़ा और उसने सरोज के पास न जाकर सीधे दिवस को ले कर पिताजी के घर शेखूपुर पहुँचा | वहां कस्बें व आस-पास के गांवों से आये लोग पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे और चारों तरफ वंदे मातरम् के नारे गूंज रहे थे | दिवस के फ़ौजी भाई का शव फूलों से ढ़का था । दिवस जैसे ही रोते अशिन भाई के अंतिम दर्शन करने के लिए आगे बढ़ा तो पिताजी ने गुस्से से कहा, दिवस तुम यहाँ से चले जाओ अश्विन की अंतिम इच्छा थी कि तुम्हारा साया भी उस पर न पड़े। विश्वास नहीं होता तो यह मैसेज देखो । दिवस बोला, भैया ऐसे कभी नहीं लिख सकते। दिवस रोते हुये बोला, माँ कहाँ है पिताजी ? वह बोले, यह ख़बर सुन कर कल रात वह चल बसी , मैने तुझे रात में कई बार फोन किया सुबह भी किया पर तू पता नहीं कहाँ बिजी था। तभी वहाँ खड़े कुछ रूढ़िवादी लोग बोले," हिजड़ों को भगाओ वरना अश्विन उस अगले जन्म में हिजड़ा होगा"।दिवस के लिए यह सारे शब्द भंयकर दर्द बनकर इस कदर हावी हुये कि वह अपने दिल और दिमाग का संतुलन ही खो बैठा। उसने बदहवासी में दूर से ही अशिन भैया को सैल्यूट किया तभी उसकी नज़र दूर पेड़ के पीछे छिपे अनजान व्यक्ति पर पड़ी जो अशिन भैया के पास खड़े कमाण्डर पर निशाना साध रहा था। यह देख बिना एक पल गँवाये दिवस तुरन्त कमाण्डर को धक्का देता है और गोली दिवस के सीने के पार हो जाती है । यह देख श्रजित जी बेहोश हो जाते हैं और वहां खड़े सभी लोग उस गोली मारने वाले के पीछे दौड़ पड़ते हैं चारों तरफ अफरा-तफरी मच जाती है। रूद्र दौड़कर दिवस को अपनी गोद में उठाकर गाड़ी में लिटाकर वहाँ से तेजी से अस्पताल की तरफ निकल जाता है। रास्ते में दिवस का फोन बजा। रूद्र ने वह कॉल देखी तो दिल्ली के डाक्टर का वॉयस मैसेज था।दिवस "आओ आपका ब्लड बहुत कीमती है कब आ रहे हो" ?

इधर दिवस को बेहोशी में भी वह सभी शब्द साफ सुनाई दे रहे थे "अश्विन तुम्हारी छाया भी देखना नहीं चाहता था".. "माँ गुज़र गयी तू कहाँ था" । दिवस सोचता है मैं नाच रहा था और माँ अंतिम श्वांस ले रही थी । तभी हल्की बेहोशी में उसे एक मंज़र दिखता जिस में कोई चीख रहा था " दिवस कहाँ हो ..जल्द आओ आपका ब्लड बहुत कीमती है जिससे कई बच्चों की जान बचायी जा सकती है वग़ैरा... "। दिवस के दिमाग वो बच्चे घूम रहे थे जो सर्पदंश से पीड़ित अस्पताल में पड़े ज़िन्दगी और मौत से जूझ रहे थे । वह दिवस को पुकार रहे थे। दूसरी तरफ रोशनी का आतंकी हमले में बर्बाद हो चुका ब्यूटीपार्लर दिखता है। रूद्र भी गाड़ी रोक कर दिवस की हालत देख व अशिन भैया को सोचकर फूट-फूट कर रो पड़ता हैं कि शहादत सबसे महान होती है यही सोचकर आज मैं सरोज माँई के पास नहीं जा सका। वह सोच कर बैचेन हो उठता है अब मैं घायल दिवस को अस्पताल ले जाऊँ या सरोज मांई के पास जाऊँ।फिर उसे ख्याल आता पहले दिवस को अस्पताल ले चलते हैं उस के बाद माँई के पास हॉस्पिटल चलेंगे। रूद्र दिवस को ले कर पास के एक सरकारी अस्पताल पहुंचा वहाँ डाक्टर ने उससे कहा यहाँ ब्लड बैंक की सुविधा नहीं हैं आप शहर निकल जाओ जाम न मिला तो एक घंटा लगेगा। रूद्र चिल्लाता है यह अस्पताल है या बस मेडिकल स्टोर । वह बहुत स्पीड में कार दौड़ाता हुआ पूरे एक घंटे बाद शहर के एक प्राईवेट हॉस्पिटल में पहुंचा वहाँ डाक्टर नेे उस से कहा, ''बेड खाली नहीं है सभी मलेरिया डेगूं के मरीज़ों से भरे हैं ।'' वह चिल्लाकर कहता है शहीद के भाई के लिये बेड नहीं है या फिर कुछ और चाहिये? बुलाऊँ मीडिया को? तो दिवस को एक सिंगल रूम दे दिया गया। इसी दौरान रूद्र का फोन बजा,रूद्र ने कॉल रिसीव किया,बताने वाले ने जो बताया उसे सुन कर रूद्र अपना सिर पकड़ कर चीख़ पड़ा । डाक्टर ने पूछा, क्यरूद्र ने भरी आँखों से जवाब दिया ,"डाक्टर साहब रजौरा गांव की शादी में मेरा पूरा परिवार रोशनी, नीलम, रंगीला, और मेरी बहन पार्वती सब के सब बम धमाके में मारे गये । यह बात भी बैड पर लेटे हुये दिवस ने साफ सुनी तो उसकी आँख खुल गईं वह चीखना चाहता था पर आवाज़ गले से बाहर नहीं आ रही थी । वह पागलों की तरह चिल्ला रहा था पर आवाज़ कहीं खो चुकी थी । डाक्टर ने रूद्र से कहा इस रूम से बाहर निकलो हमें कुछ ही देर में आपके इस पेसेन्ट का ऑपरेशन करना होगा। रूद्र दिवस की तरफ देखते हुए उस रूम से बाहर निकलता है तभी उसके पास एक अननोन कॉल आती है कि इस एड्रैस पर तुरंत चले आओ अगर उस राजौरा गांव धमाके के बारे में जानना चाहते हो।

रूद्र जब उस अनजान कॉलर के बताये एड्रेस पर पहुंचता है तो सामने से आते हुये एक नकाबपोश ने रूद्र को तुरंत गोली मार दी।रूद्र वहीं लड़खड़ाते हुये गिर पड़ा ।

इधर हॉस्पिटल में दिवस के पास कोई आता है और उसे एक बहुत ही ख़तरनाक ज़हर का इंजेक्शन लगा कर चला जाता है। दिवस को हल्की बेहोशी में उस इंजेक्शन लगाने वाले की छुअन से पता चल जाता है कि यह कौन है ।दिवस ने आंख खोलकर देखा तो वहाँ कोई नज़र नहीं आयावह अनजान कॉलर, दिवस को ज़हर का इंजेक्शन लगाने वाले को कॉल करता है कि रूद्र को गोली मार दी है वह यहीं बेहोश पड़ा है। दिवस को जहर का इंजेक्शन लगाने वाला कहता है, अपना यह फोन रूद्र के कान में तो लगाना । रूद्र उस कॉल में जानी पहचानी आवाज़ सुनता है जिसने कहा " मैने तेरे दिवस को वो ज़हर दिया है कि अबतक वह भी मर चुका होगा। रूद्र ने चौंक कर कहा "तो आप ने किया ये सब"! मुझे तो विश्वास नहीं होता और हाँ शायद तुम नही जानते कि उस पर किसी ज़हर का कोई असर नहीं होने वाला इसलिए आप अपना मिशन फेल ही समझो और इतना कहकर रूद्र बेहोश होने का नाटक करके वहीं पड़ा रहता है। रूद्र को बेहोश होते देख वहाँ खड़े अनजान कॉलर हँस कर कहने लगा ''बेकार गोली बर्बाद की यह तो बोली से ही मर गया"। इतना कहकर वह रूद्र की पॉकेट सेे उसका फोन निकाल कर पास में रखे एक पत्थर से कुचल देता है और वहां से चला जाता है। उस अनजान कॉलर के वहाँ से जाने के बाद खून से लतपथ रूद्र भागता गिरता किसी तरह सड़क तक आया तो कुछ पत्रकारों की नज़र उस पर पड़ गई,पत्रकारों को रुद्र ने अपनी आपबीती सुनाते हुए दिवस के कातिल का नाम भी बता दिया। और यह भी बता दिया कि उसका दोस्त दिवस पास के ही मदर टेरेसा हॉस्टपिटल में एडमिट ज़िन्दगी और मौत के बीच जूझ रहा है जिसे उसी क़ातिल ने उसके शरीर मे धोखे से कोई जानलेवा ज़हर इंजेक्शन के माध्यम से चढ़ा दिया है।उसे जान का खतरा है उसे जाकर बचा लीजिये। इतना कहकर खून से लतपथ रूद्र वहीं गिर पड़ता है । पत्रकार उसे तुरन्त मदर टेरेसा अस्पताल में एडमिट करवाने के लिये रवाना हो जाते है लेकिन इस से पहले के वो रुद्र को अस्पताल के बेड तक पहुंचा पाते रूद्र ने दम तोड़ दिया। सभी मीडियाकर्मी वहांं भीड़ लगाकर बातचीत कर ही रहे थे कि तभी सेना के कमांडर के .सी.त्यागी भी दिवस से मिलने उसी अस्पताल में पहुंच गये अस्पताल के मैन गेट पर मीडिया की इतनी भीड़ देख वह मीडिया वालों से पूछे यहां इतनी भीड़ कैसी? तो मीडिया के कुछ लोगों ने उन्हें पूरी बात विस्बता दी। कमांडर पूरी बात सुनकर तेज कदमों से दिवस के रूम की तरफ बढ़े लेकिन डॉक्टर ने उन्हें अंदर जाने से यह कह कर मना कर दिया कि ओ. पी. डी में दिवस का ऑपेरशन चल रहा है। कमांडर ने कहा ठीक है जबतक उसे होश नहीं आता तब तक मैं यहीं रूम के बाहर खड़ा इंतजार करूंगा । रात लगभग एक बजे डाक्टर ने बताया " दिवस अब खतरे के बाहर है" अब आप उससे मिल सकते हैं। कमाण्डर दिवस के पास जाकर पूछते हैं कैसै हो दिवस?

दिवस इशारे में कहता है ठीक हूँ सर। कमांडर कहते हैं, ''दिवस" कई लोगों ने तुम्हारे बारे में मुझे बहुत कुछ बताया। यह पास में खड़े चर्चित क्राइम रिपोर्टर माइटी इकबाल (ऐमी) जी हैं जिन्होंने यह भी बताया कि तुम बहुत ही नेक इंसान, काबिल लड़के हो। तुमने मेरी भी जान बचायी है थैंक्स दिवस । दिवस ने उन क्राइम रिपोर्टर ऐमी से कुछ बोलना चाहा पर उसकी ज़ुबान ने साथ नही दिया,वह कुछ बोल नहीं सका तभी डाक्टर ने बताया कि किसी ने इसे ख़तरनाक ज़हर का एक ऐसा इंजेक्शन दे दिया था जो सायनायड से भी अधिक खतरनाक है। यह सिरेंज पड़ी मिली है और यह देखो! हाथ की नस से खून निकल कर जम गया है पर यह ज़िन्दा है। रात डाक्टरों की टीम ने टेस्ट में पाया कि इसका ब्लड बहुत स्पेशल है जिसपर किसी भी तरह के प्वॉयजन का असर नहीं हो सकता।अभी डॉक्टर कमांडर को केस की डिटेल बता ही रहे थे कि तभी कमांडर का फोन बजने लगा,कमांडर ने फोन रिसीव किया और अपने मित्र की पूरी बात ध्यान से सुनी और फिर कमांडर के.सी त्यागी ने दिवस को एक खुशखबरी सुनाते हुए कहा, '' दिवस! वह पकड़ी गयी जिसने तुम्हारे भाई को नेट से मैसेज किये उन्हें कॉल करके तुम्हारे खिलाफ भड़काया तुम्हें आतंकी हमले में लिप्त होने की झूठी कहानी सुनाई बाद में उसी के कारण तुम्हारे भाई की सरहद पार आतंकी की गोली लगने से उसकी जान भी गयी।और अब जो भारतीय सेना के सेनाध्यक्ष की जान लेने का जाल बुन रही थी, वही जिसने तुम्हारी बहन पार्वती की शादी उजाड़ दी, तुम्हारे अपनों की जानें लीं जिसने तुझे ज़हर जिसने तुम्हें धोखा दिया जिसने तुम्हारे साथ-साथ इस देश को भी धोखा दिया। जानना चाहोगे वो गद्दार कौन है ? दिवस ने तुरन्त हाँ में सिर हिला दिया।तो कमाण्डर ने कहा," वह कोई और नहीं तुम्हारी गर्लफ्रेंड जैनीफर है जो सीमापार के आतंकियों की जासूस है। उस जासूस का प्लॉन था हमारे देश के म्यूटन यानि सुपर पॉवर विशेष शक्ति रखने वाले भारतीयों को खत्म करना और उसके इस मकसद के बीच में जो आया वह मारा गया उसे पता चल गया था दिवस कि तुम एक विशेष व्यक्ति हो जो बिना थके सैंकड़ों किलोमीटर रफ़्तार से दौड़ सकते हो और बेहद ईमानदार ही उस ने सोचा अगर यह भारतीय सेना में भर्ती हो गया तो भारतीय सेना बहुत मज़बूत होगी। शायद इन्हीं कारणों से उसने तुमको अपना शिकार दिवस ने यह सब सुनकर अपनी आँखे बन्द कर लीं उसे वो छुअन याद आयी जो इंजेक्शन देकर भागी थी। दिवस चुपचाप पत्थर की तरह पड़ा रहा। पास में खड़े पत्रकार ने कहा," इतना ही नहीं उस जैनीफर ने तुम्हारे दोस्त रूद्र को भी मरवा दिया वो भी अब इस दुनिया में नही रहा।

पत्रकार ऐमी ने एक बड़ा खुलासा करते हुए आगें कहा कि जो नकाबपोश जैनिफर के साथ पकड़ा गया जिसने रूद्र को गोली मारी वह नकाबपोश कोई और नहीं बल्कि खुद श्रृजित जी का छोटा बेटा आशय मल्होत्रा था जिसने गलतफहमी में दिवस से अपने बड़े भाई अशिन मल्होत्रा की मौत का बदला लेने हेतु दिवस के भाई जैसे दोस्त रूद्र को मार दिया वह भी जैनीफर के साथ मिलकर।

यह सच सुनते ही दिवस के आँख से आँसू निकल पड़े। कमांडर बोले," बैडलक मि.दिवस श्रजित जी ने भी एक गलतफहमी में आकर अपने बेटे के गम में खुद ही अपने सर में गोली मार कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली ।दिवस यह सुन कर अपनी पूरी ताकत को समेंटते हुये जोर से चीखा और पल भर में बेहोश होकर वही लुढ़क गया।

तभी पास ही खड़े दूसरे पत्रकार स्यामल ने कहा," श्रजित जी अपनी प्रापर्टी का एक बड़ा हिस्सा दिवस के नाम कर गये हैं। कुछ देर बाद डाक्टर दिवस की नब्ज़ चेक करते हैं तो मुस्कुराकर कहते हैं कि अब दिवस बिल्कुल ठीक है। यह सुनकर पत्रकार कहते हैं बधाई हो दिवस ये तो बताइये कि पिता से मिले इस प्रापर्टी और पैसे का आप क्या करोगे?

दिवस इशारा करता है कि कागज़ कलम दे दो ।वहीं खड़े पत्रकार ऐमी जी ने अपनी डायरी और पेन दिवस की ओर बढ़ा दिया।

दिवस ने उस पर लिखा उसमें मेरे हिस्से का पूरा धन-सम्पत्ति मैं भारतीय सेना को दान करता हूँ जिससे सैनिकों की रक्षाहेतु बुलेटप्रूफ जैकिटें खरीदीं जा सकें।नीचे वंदेमातरम् लिखकर उसके हाथ से क़लम छूट गयी। दिवस के आँखों में पूरे जीवन की फ़िल्म घूम रही थी| उसे कभी माँ दिखती तो कभी पिता जी, कभी उसे भाई का वह अंतिम मोबाइल मैसेज याद आता, तो कभी उसे बहन रोती-बिलकती हुई दिखती तो कभी सरोज माँई उसे अपने पास बुलाती हुई दिखतीं, जब वह इन दर्दनाक दृश्यों से बाहर निकलने की कोशिश करता तो उसे रूद्र की दोस्ती और जैनीफर का झूठा प्यार याद आता । कभी गौशाला , तो कभी लोगों से किये अपने वादे याद आते। याद आता कि आज बीएससी का पहला पेपर था जो वह दे नहीं पाया अभी यादों का सिलसिला उसकी नज़रों के सामने घूम ही रह था तभी उसे सामने डॉक्टर डिसूज़ा दिखीं।दूसरी तरफ़ वह सोचने लगा शायद अशिन भैया को जैनीफर के बारे में पता चल गया हो और उन्हें लगा होगा कि मैं भी उसके इस आतंकी मिशन का एक हिस्सा हूँ। काश! भैया को मैं सच बता पाता । काश! रजौरा गांव में सभी के हित के लिये फाउण्डेशन खोल पाता। काश! किन्नर समाज में बदलाव ला पाता। इन्हीं सब बातों ने दिवस के मन-मस्तिष्क में कोहराम मचा दिया था और फिर पता नहीं कौन सी बात उसके दिमाग में घर कर गयी कि कुछ देर बाद ही दिवस की आँखें धीरे-धीरे बंद होने लगीं। बंद होती आँखों से दिवस ने कमरे में चारों तरफ देखा और तभी उसे पास में रखी चमचमाती हुई स्टील की एक प्लेट दिखायी दी| दिवस उस प्लेट को उठाने की कोशिश कर ही रहा था कि तभी उसे देखने आये कमांडर ने उस प्लेट को उठाकर दिवस की तरफ बढ़ा दिया। दिवस अपनी पूरी ताकत बटौर कर उस प्लेट में अपना चेहरा आईने की भांति देखने लगा कि उसी समय ढ़ेर सारे किन्नरों की टोली दिवस के रूम के बाहर लगी खिड़की से अंदर की और झांकते हुये चिल्ला रही थीं कि नहीं रे! अपना मुँह न देख वरना अगले जन्म में भी यही यातना भुगतनी पड़ेगी, हटाओ इसे, मत देखो! अपना चेहरा। तभी वह प्लेट उसके मुँह पर गिरती है और एक ही पल में दिवस इस दुनियाँ से जा चुका होता है। यह देख पास में खड़े डॉक्टर, दिवस के चेहरे से प्लेट हटाते हुये उसकी नब्ज़ देखते हैं और "दिवस इज़ नो मोर" कह कर निकल जाते हैं। यह सुनकर बाहर खड़े सभी किन्नर फूट-फूट कर रोते हुए कहते हैं कि दिवस ने जानबूझ कर अंतिम वक्त में अपना चेहरा देखा, एक दिन वो फिर इसी सूरत में लौटेगा जिस सूरत को लेकर वह या हम तमाम उम्र खुशी का एक पल भी नही पा सके।पूरी ज़िंदगी शब्द "हिजड़ा" हमें किस्तों में घायल क अंतिम संस्कार करने की बात पर किन्नर बोले," दिवस का अंतिम संस्कार हम करेंगे । यह बात सुनकर सेना के कमांडर ने कहा,’दिवस ने भारतीय सेना की रक्षा की है। हम पूरे राष्ट्रीय सम्मान से उसका अंतिम संस्कार करेंगे तभी डा.डिसूज़ा अपनी टीम के साथ वहाँ पहुंच गई और दिवस को ‘द ग्रेट इण्डियन म्यूटन’ के नाम से पुकारती, वहां खड़े सभी लोगों को बताती हैं कि दिवस के पास नेचुरल सुपर पॉवर थी जिससे दिवस पर दुनिया के किसी भी तरह के घातर ज़हर का असर नहीं हो सकता था| आज दिवस हमारे बीच होता तो उसके ब्लड से ऐण्टीवैनम बनता जिससे लाखों सर्पदंश पीड़ितों की जान बचायी जा सकती थी। तो, हम आपसे निवेदन करते हैं कि यह बहुत पवित्र आत्मा का शरीर है। हम इसको कैमीकल से सुरक्षित करके रखेगें जब तक पृथ्वी रहेगी तब तक दिवस हमारे साथ होगा। बहुत समझाने के बाद वहाँ उपस्थित पूरा किन्नर समाज डा. डिसूजा की बात मान गया और फिर दिवस का शरीर हमेशा के लिये सुरक्षित कर लिया गया। सालभर बाद स्वंय भारतीय सेना के इन्हीं कमाण्डर-इन-चीफ के.सी.त्यागी जी ने और उनकी लेखिका बेटी जागृति त्यागी ने मिलकर एक किताब लिखी जिसका नाम दिया "दिवस द इंडियन म्यूटन"



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