दिल है कि मानता नहीं
दिल है कि मानता नहीं
आज कई सालों बाद उसे रेस्टरां में देखा, देखते ही रह गया नज़र हटने का नाम ही नहीं ले रही थी धड़कन तेज हो गई थी। १५साल हो गए लेकिन आज भी उतनी ही खूबसूरत दिख रही थी। वहीं चाल ढाल वहीं नैन नक्श कॉलेज के दिनों में हर कोई दीवाना था उसका और मै सिर्फ उसका तब भी चुप चुप कर देखा करता था और आज भी एकटक देखता ही रह गया। मन कर रहा था उसके पास जाऊँ। उससे बात करूँ उसे यूँ ही देखता रहूँ।
पर फिर अचानक मेरा भ्रम टूटा और मेरी नजर पास बैठी रिया पर पड़ी। रिया मेरी हमसफ़र मेरी जीवनसंगिनी मेरे बच्चों की मां, जिसने पिछले १२ सालों से मेरे हर सुख दुख में मेरा साथ दिया। कभी उफ्फ तक नहीं किया और मै क्या सोच रहा हूँ उसी के साथ बईमानी।
करता भी क्या कभी उसे पूजा के बारे में बताया भी तो नहीं।
बताता तो भी क्या ? याद है मुझे आज भी वह कॉलेज का आखरी दिन जैसे ही उससे बात करने गया। मेरे मुंह पर हाथ रखकर बोली कुछ मत कहना। मैं तुम्हें कोई झुठी उम्मीद नहीं देना चाहती। बड़े नाजो से पाला है पापा ने मुझे। मां के जाने के बाद किसी चीज की कमी नहीं होने दी। उन्होंने मेरा रिश्ता तय कर दिया है और मै उस रिश्ते से खुश हूं। तुम जानते हो ना अखिल को हमारा सिनियर पापा के दोस्त का बेटा है उसी के साथ। अखिल कि मां रमा आंटी ने भी मुझे मां जैसा प्यार दिया है। मैं उन्हें निराश नहीं कर सकती। मुझे माफ़ करना।
कभी हिम्मत नहीं हुई प्यार जताने की और आज जब हिम्मत जुटाकर बात करने आया तो कुछ कहने से पहले ही पूजा ने इतना कुछ कह दिया कि मैं बस मौन होकर सब सुनता रहा। उस समय की बात अलग थी जब मां बाप की इज्ज़त से बढ़कर कुछ नहीं था। आजकल के युवाओं जैसे नहीं की बात बात पर बगावत पर आ जाए।
फिर क्या मैंने भी सोचा अब किसी और से प्यार तो नहीं होगा तो पापा मम्मी की पसंद ही सही फिर रिया मेरी जिंदगी मै आई और मेरे जीवन को प्यार से भर दिया।
अब मै बिल्कुल नहीं चाहता था कि पूजा मुझे देखे। वरना फिर बात होगी, मुलाकात होगी और फिर बार बार मिलने का मन करेगा। इसीलिए मैंने रिया से कहा चलो यार कहीं और चलते है। यहां बहुत भीड़ है पता नहीं कब नंबर आए। भूख के मारे बुरा हाल हो रहा है उसने भी हामी भरी। क्या करें यार दिल है कि मानता नहीं।

