STORYMIRROR

Vandana Singh

Romance

4  

Vandana Singh

Romance

दीदार चाँद का

दीदार चाँद का

2 mins
307

बिस्तर पर सुबक सुबक कर रोते उसे पता ही न चला कब चाँद उसकी खिड़की पर आ टिका था। उसने अपने हाथ पैरों पर बंधी जंजीरों को देखा जिन्होंने उसे विवश कर रखा था। उसकीआँखों में आँसू उतर आये ।  चाँद उसकी प्रतीक्षा में था। निग़ाहें मिलते ही बोल उठा- 

"क्यों रोती हो? मुझे पता है तुम मुझसे मिलने उठ कर नहीं आओगी मेरे पास! फिर भी देखो न, मैं अनंत आकाश में घूमने वाला कब से यहीं खड़ा हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा में! "

चाँद की ओर एक उचटती सी निगाह डालकर उसने निगाहें फेर ली । आँसुओं से भीगे चेहरे को आँचल से पोछ कर वह सख्त लहजे में बोल उठी- "क्यूँ आये हो तुम मेरे पास? तुम्हारे लिये आसमां में कितने ही तारे - नक्षत्र हैं, तुम जाओ उनके पास! तुम आज आकर फिर चले जाओगे और मुझे मेरी विवशता का और ज्यादा अहसास कराओगे। "

कह कर उसने मुँह मोड़ लिया। बेचारा चाँद उसकी बेरुखी के बावजूद रोज आता उसे निहारता मुस्कुराता। रोज रोज चाँद के आने से उसकी शीतलता से उसके आँसू सूखने लगे थे और उसका मुरझाया चेहरा खिलने लगा था। 

धीरे धीरे उसे आदत सी हो गयी चाँद की। लगता था उसे, कोई उसकी भी परवाह करता है। 

वो रोज उसका इंतज़ार करती, खिड़की पर टकटकी लगाए। 

पर जब वो आता निगाहें फेर लेती। बेरुखी अब भी थी पर वो बनावटी थी। 

धीरे धीरे चाँद से उसकी दोस्ती यूँ परवान चढ़ी कि वो दिन में भी उसके दीदार की तलब रखती। 

वो उस चाँद को छूना चाहती थी, जिसके आने पर उसकी बेड़ियाँ खुल जाती और उसका मनमयूर नाच उठता। 


एक रात बड़े जोर की हवा चली। खिड़कियों के पल्ले जोर जोर से खुल बन्द हो रहे थे। पता नहीं, शायद वो अमावस की रात थी या कोई और... जब तूफान थमा खिड़की का एक पल्ला चौखट से जा मिला था। दूसरा अभी भी पूरा नहीं मिला था चौखट से। थोड़ा सा आसमां तो अब भी दिख ही रहा था। 

वो चाहती थी, उठना। उठकर खिड़कियों को खोलना कि पूरा आकाश दिखे और उसका चाँद भी। पर बहुत कोशिश करने पर भी वो उठ न सकी। बाहर शायद मौसम बदला था... शायद बादल थे... या शायद... अमावस की रात थी या फिर.... उस खिड़की का दोष..... उसके पार जो कुछ भी थोड़ा सा दिख सकता था... उसने देखने की कोशिश की पर....... चाँद नहीं दिखा! 


"क्या हुआ मेरे चाँद को? क्या अब मैं उसे कभी देख पाऊँगी? " ऐसे सवालों से उसका दिल घबराने लगा। 

उसको निराशा के बंधनों से आजादी का अहसास दिलाने वाला चाँद आज खो गया था, शायद वो भी वक़्त के थपेडों के आगे मज़बूर हो गया था। शायद वो खुद भी कैद हो गया था! 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance