दादी
दादी
एक बूढ़ी औरत जात की जुलाहा थी।
अम्मा उसको दादी बोलती थी इसलिए हम लोग भी उसको दादी बोलने लगे दादी की उम्र 80 साल थी।
इस उम्र मैं भी वो जवानों का कान काट ती थी। उनका कोई बेटा नहीं था। बस दो बेटी थी जिनकी शादी हो गई थे इनकी बेटी के पोता नाती की भी शादी हो चुकी थी।
दादी की कब्रिश्तान के यहाँ पर एक झोपड़ी थी।
दादी अकेले रहती. दादी दिन भर दूसरों के घर का काम करती। जब 80-90 साल मैं औरतें बिस्तर पाकर लेती है दादी उस उम्र में जाटा पर दाल दर लेती। सूई मैं धागा डाल कर खेंड़ा सील लेती या सब देख मुझे बहुत हैरत होता।
आखिर मैंने उनसे पूछा ही लिया दादी तुम्हें बिना चश्मा का कैसे दीखता है।
उन्होंने हँसते हुए कहा, हमरे ज़माने में मोबाइल नहीं था