Sanjeev Arya #साहिब

Abstract

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Sanjeev Arya #साहिब

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चु#@#या

चु#@#या

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क्या बात करूँ?? जिंदगी अजीब से सवाल छोड़ जाती है!! फिर साला सारी उम्र निकल जाती है उसके जवाब ढूंढ़ने में .... और जब किसी को उसी तरह की हालत मैं देखो और वो कुछ और कर जाये तो हम कहते फिरते हैं की ऐसा ही कुछ तो मेरे साथ हुआ था , साला मुझे क्यों ये बात नहीं सूझी .अब और क्या बात बताऊँ . पिछले साल की ही बात ले लो , मेरे पड़ोस की एक लड़की से मेरा अफेयर हो गया , सुन्दर थी और प्यारी भी पर अपन तो सच्चे प्यार के चक्कर मैं थे .


"नहीं यार, ऐसा कुछ गलत नहीं करना है हमें " मैं उसे बताता जब भी हम अकेले मैं मिलते . कभी कभी पूरी रात बिता देते ऐसे ही एक दूसरे की बाँहों मैं . वो कभी कभी थोड़ा आगे बढ़ने की कोशिश भी करती पर मैं कहता," नहीं , अभी नहीं , मैंने तुम्हे प्यार किया है न की तुम्हारे जिस्म को".


वो भी रुक जाती. मान जाती वो , पर उसकी आँखों मैं एक इच्छा सी जरूर नजर आती और कभी कभी थोड़ा रूखापन भी .पर हम तो आशिक थे कामी नहीं.


ये चलता रह कुछ ३- ४ महीने . इतने दिनों मैं हमने उसे २ बार ही चूमा था . अरे हमने कहाँ , उसने ही चूमा था . एक बार गाल पर एक बार होंठो पर . बस और हम सोचते थे की बहुत कुछ कर दिया.इसी पाप से मुक्ति के लिए सोमवार के उपवास भी रख लिए . 



एक दिन देखतें हैं की साथ वाले पडोसी के लोंडे प्रकाश को पुलिस उठा कर ले गयी .


"क्या हुआ, क्या हुआ " हमने पूछा


"अरे तुम्हे पता है की , "प्रकाश कल रात मिश्रा जी की लड़की के साथ पकड़ा गया "


कया ??????????????????????????????


अरे यार वो नहीं हे, रजनी उनकी बेटी , उसके साथ कल रात वो उन्ही की छत पर गुटरगूं गुटरगूं कर रहा था . मिश्रा जी ने देख लिया , पहले तो रात को ही बांध लिया मारा पीटा " फिर इज़्ज़त के डर से चोरी का इलज़ाम लगा कर पुलिस को बुला कर पकड़वा दिया .


"साला" , लोंड़िया के चक्कर मैं पड़ना ही बेकार है "


"पर यार , रजनी ऐसी लगती तो है नहीं ."


"अबे ओये, जो लगती नहीं वो ही होती हैं, समझा ".


"देख साली कैसे मौसम्मी खा रही है आराम से, लोंडा पकड़वा कर ".


"पर साला प्रकाश को क्या जरुरत थी मरवाने की "


"बक्क निपोरा " "वो मरवाने नहीं, ... मारने गया था , पर हाँ , "अब जरूर उसकी मारी जाएगी"


हम सतब्ध खड़े थे , ये मोसम्मी खाने वाली वो ही रजनी थी , जिसकी बाँहों मैं हम भी रात गुजार देते थे . पर इसे तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता . और हम आज के अंजाम को देख कर सिहिर उठे . शुक्र है भगवान का जो बच गए पर हमारा प्यार ?????


"चल छोड़ न प्यार को, इज़्ज़त के साथ साथ पीठ टूटने से बच गई" हमने खुद को ही कहा . 


तीन दिन बाद प्रकाश छूट कर आया . पता चला की पहले खुद लड़की ने उसे फोन कर के बुलाया, फिर ग़लती से जब बाप ने देख लिया तो उसने चोर चोर चिल्ला दिया और उसको ही फंसा दिया .


साथ वालों पूछा," साले कुछ किया ही या खाली पिट कर आ गया",


"कोई छोड़ता है क्या ???".....प्रकाश ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया.


और मैं भूतिया सा बना खुद को देख रहा था और सोच रहा था "मैंने तो छोड़ दिया ......"


अब बताओ , मैं चु ि **या था जो कर कुछ नहीं पाया पर इज़्ज़त बचा ली, या वो, जो कर तो गया पर....या लड़की ???? 


नहीं यार लड़की कभी बेवकूफ नहीं होती ! शी इज अलवेयस स्मार्टर देन स्मार्ट !








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