चोर
चोर
वैसे तो मैं एक स्नातक हूँ पर नौकरी मिली ही नहीं। ख़ाली पेट कई दिन रहा फिर मजबूर होकर, बसों में जेब काटना शुरू कर दिया पर आज एक ऐसी जेब कटी है कि जो मुझे सोने नहीं दे रही। इस बटुए में करीब 20,000 रूपए हैं और साथ में हैं एक चिट्ठी, जो ऐसा लग रहा है कि जैसे किसी ने अपनी पत्नी को लिखी है। आप लोग भी पढ़िए-
“प्रिय कमला,
मुझे पता है कि 20,000 रूपए काफ़ी नहीं हैं और हमारी बिटिया “सिमर” कल मर भी सकती है, संत जोसफ हॉस्पिटल वालों को कम से कम 50,000 रूपए ऑपरेशन के लिए चाहिए।
अभी मैं इतना ही कर पाया हूँ और इसे दोस्त के हाथ भेज रहा हूँ। मैं कल ऑपरेशन से पहले पहुँचने की कोशिश करूँगा और संभव हुआ तो और पैसे के साथ आऊंगा।
मुझे माफ़ करना, अगर मैं आ न सकूँ.।
एक नाकारा पिता,
राजन”
मैं इस चिट्ठी को कई बार पढ़ चुका हूँ और मुझे बुरा लग रहा है. मैं खुद मिलते जुलते हालात झेल चुका हूँ।
तो मैंने अब एक चिट्ठी लिखी है, इसे भी देखिये।
“प्रिय कमला,
मेरे मित्र ने 50,000 रूपए हॉस्पिटल में जमा कर दिए हैं। डॉक्टर को बोल की जल्दी से ऑपरेशन शुरू करें। मैं कल तुम्हें ऑपरेशन से पहले मिलूँगा और शायद कुछ और पैसे लेकर आऊंगा।
तुम्हारा,
राजन।
मैंने अपना कमरा बंद किया और इस चिट्ठी और 50,000 रूपए के साथ हॉस्पिटल को निकल गया।
भगवान सिमर को बचा लेना।