चेहरा प्यार का
चेहरा प्यार का
वह एक झल्ली सी लड़की है- सोनू। जिसका जीवन बस अपने सपनों के राजकुमार के इर्द गिर्द ही घूमता है। उसके घर में उसकी कल्पनाओं के निशान उन तस्वीरों में दिखाई देते है जो उसने कैनवास पर रंगों से सजाई है। बिना किसी चेहरे के बनी हुई उन सभी तस्वीरों में उसकी मोहब्बत का चेहरा साफ दिखाई देता है। वह बिना किसी उम्मीद के अपनी दुनिया मे उसे जगह दे रही थी क्योंकि वह जानती है कि प्यार किसी चेहरे का मोहताज नहीं। उसकी जिंदगी में पहले भी तो प्यार एक चेहरा लेकर आया था और उसने उसकी जिंदगी से जाते हुए उसे जिंदगी का, प्यार का अर्थ समझा दिया था।
दस साल पहले सोनू यानी सजल अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की तैयारी मे लगी हुई थी। उसका सपना अपनी पढ़ाई पूरी कर एक पेंटर बनने का था। उसकी नजर दुनिया की हर बेजान चीज में भी एक कहानी ढूंढ लिया करती थी।
ऐसे ही एक दिन जब वह अपनी नजर कैनवस पर ठहरा कर अपनी किसी कहानी को जिंदगी देने की कोशिश कर रही थी कि तभी प्यार एक सौम्य मुस्कान लेकर उसकी जिंदगी में आया, जिसका नाम था मोहन।
मोहन का चेहरा सजल की कल्पनाओं को सच करता हुआ वह चेहरा था जिसमें सजल अपने अस्तित्व को मिटते हुए देखना चाहती थी।
“मिस सजल। क्या हुआ, आप मुझे इस तरह क्यो देख रही है? आई होप मैंने आपको डिस्टर्ब नही किया। अगर मेरी वजह से आपको कोई तकलीफ हुई हो तो आई एम सॉरी।”
मोहन के इतना कहते ही सजल अपने ख्यालों से बाहर आई।
“ओह नो। ऐसी कोई बात नही। वो मैं जब भी पेंटिंग करने बैठती हूँ तो फिर घँटों तक यूँही खाली कैनवास से बातचीत हुआ करती है। इसमें आपकी कोई गलती नहीं। वैसे आपको पहली बार देखा है यहाँ। शायद अभी ही आए हैं इस कॉलेज में।”
“नही नही। आज से पहले कभी हमारी टाईमिंग आपस मे टकराई नही तो शायद आपको पता न चला हो। मैं यहाँ तीन साल से म्यूजिक क्लासेज ले रहा हूँ।”
“ओह तब तो आप हमारे सीनियर है। आई एम सो सॉरी। मुझे पता नहीं था इसलिए…..।” सजल हड़बड़ाते हुए बोली।
“डोंट वरी मिस सजल मै इतना भी सख्त नही हूँ। आपके बारे मे सुना था और आज आपसे मिलना भी हो गया। माफ कीजियेगा अभी मुझे चलना होगा। चलिए अब जब भी कभी ऐसा कुछ होता है तो हम तब मिलेंगे।”
उस दिन के बाद से सजल की पेंटिंग में जिंदगी की एक नई झलक देखने को मिलने लगी। वह अपनी हर पेंटिंग मोहन को ध्यान मे रख कर बनाने लगी। उसे तो मोहन की पहचान तक मालूम नहीं थीं। वह बस मोहन के अस्तित्व में ही अपनी पहचान ढूंढने लगी।
तीन महीने बाद फिर से उसे मौका मिला उसी कला विद्यालय में मोहन से मिलने का, जहां आज मोहन और उसके बैच के सभी साथियों का विदाई समारोह रखा गया था। मोहन सफेद रंग के लिबास में आसमान के किसी फ़रिश्ते से कम नही लग रहा था।
जब मोहन से अपनी इस कला यात्रा के बारे मे दो शब्द कहने का अनुरोध किया गया तो वह बोला-
“आज से लगभग चार साल पहले जब मैं इस जगह, आप सभी के बीच संगीत की शिक्षा लेने आया था तो मुझे खुद पर जरा भी विश्वास नहीं था कि मैं यहाँ पर कुछ सीख भी सकता हूँ लेकिन ईश्वर की कृपा और आप सब के सहयोग से आज मैं अपनी इस यात्रा को सफलता पूर्वक पूरा कर पाया हूँ। अपनी इस सफलता का श्रेय मैं उस एक इंसान को भी देना चाहता हूँ जिसने मुझे समझाया कि संगीत सीखने के दिल में प्यार को जगह देने की जरुरत होती है किसी चेहरे को नहीं। प्यार को किसी एक चेहरे में बांध लेने का मतलब आप ईश्वर को बाँधना चाहते हैं।”
“उसकी इस बात ने मुझे बहुत हिम्मत दी जिसकी वजह से मैं आज आप सब के समक्ष प्रस्तुत हूँ। वह इंसान आज मेरे साथ नही है लेकिन उसके विचार सदा ही मुझे हिम्मत देते रहेंगे। वह मेरी पत्नी सिद्धि है जिससे मैं बहुत प्यार करता हूँ।”
“ भई सोनू अपने रंगों की दुनिया में हमें भी थोड़ी जगह दे दो। हम भी तो देखे कि तुम्हारी यह दुनिया कैसी दिखाई देती है। हम ही तुम्हारी तस्वीरों के चेहरे ढूंढ लाए।”
“नही मरियम इन तस्वीरों को चेहरे की जरूरत नहीं क्योंकि प्यार का कोई चेहरा नहीं होता।”

