चाहत
चाहत
अनुज वेंटीलेटर पर था… उसके घर वाले हाथ जोड़े आईसीयू के बाहर भगवान से मिन्नतें करते हुए …" भगवान हमारे बच्चे को स्वस्थ करो…!!"
दो दिन पहले ही एक्सीडेंट हुआ था उसका… आफिस से घर के लिए निकला ही था कि घर से कुछ दूर पहले ही …तेज रफ्तार गाड़ी में पीछे से टक्कर मार दी थी । आफिस से अनुज को देखें वालों का तांता लगा हुआ था …!!
विशाखा भी आई थी … बेहद खूबसूरत … सांवला रंग …स्टेप्स में कटे बाल… लाँग कुर्ती और मैचिंग प्लाजो में बेहद आकर्षक लग रही थी…!!
उसकी आंखों पर लगे चश्में के पीछे छुपे …आंसुओं के सैलाब को सिर्फ तीन लोग ही महसूस कर सकते थे… एक अनुज …दूसरी वो खुद… तीसरी उसकी दोस्त महक…!!
आईसीयू के बाहर बैठे अनुज के घरवालों से बातचीत महक नें की… अपना फोन नंबर दिया अनुज के छोटे भाई को…"कुछ भी सुधार हो मुझे फोन करना…!!" महक नें विशाखा का हाथ पकड़ रखा था उसे भावनात्मक सहारा देनें के लिए…!!
विशाखा महक के साथ कार में बैठ कर फूट-फूटकर रो पड़ी।
विशाखा बोली," मेरी किस्मत ही खराब है महक…!! उस दिन शाम को मिलना था हमें कॉफी शॉप में…अनुज की बातों से लग रहा था उस दिन प्रपोज करने वाला है…!! और देखो ना… क्या से क्या हो गया…!!"
महक नें कहा ,"सब ठीक हो जाएगा विशाखा हिम्मत रख…!!"
विशाखा बोली ,"पिछले तीन सालों से सिर्फ उसके प्यार को महसूस करती रही… मैंने मां बाप को बचपन में खो दिया था… मुझे लगता था कि मेरी किस्मत ही खराब है…पर जब से अनुज मेरी जिन्दगी में आया … रौनक ही रौनक भर गई।"
विशाखा फिर बोली," मैंने सोचा था …अनुज से दूर ही रहूंगी…कहीं उसे भी ना खो दूँ…!! पर अनुज की बातों में आ गई मैं… उससे मिलने को तैयार हो गई… "" फफक-फफक कर रो पड़ी विशाखा।
महक नें उसे अपनें गले से लगा लिया और कहा," वो तुझसे बहुत प्यार करता है विशाखा… मैंने उसकी आंखों में तेरे लिए बहुत कुछ देखा है…!!"
विशाखा बोली ," जानती हूं मैं…मैंने भी महसूस किया था …जितना मैं उसे चाहती हूं …उससे कहीं ज्यादा वो मुझे चाहता है…!! पर मेरी किस्मत देखो महक…!!"
विशाखा के आंसू नहीं रुक रहे थे । महक भी रो रही थी…
महक नें कहा ," डॉक्टर कह रहें हैं विशाखा …कोमा से बाहर निकलते ही आधी परेशान खत्म हो जाएगी…तू परेशान मत हो…सब ठीक हो जाएगा…!!"
विशाखा बोली ," हे भगवान …!! मेरे प्यार में जरा सी भी सच्चाई है …तो उसकी जिंदगी बख्स दे…जान ही लेनी है तो मेरी ले ले…!!"
महक बोली ," पागल हो गई है क्या…!!"
विशाखा दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक कर बेतहाशा रोते जा रही थी…उसकी आंखों में अनुज का खिलखिलाता चेहरा घूम रहा था…तो कभी… उसकी काली गहरी आंखें…तो कभी खामोशी से उसकी तरफ देखना और देखते ही चले जाना…!!विशाखा नें मन ही मन सोचा भगवान उसे कुछ नहीं होना चाहिए मुझे ले लो आप…कोई नहीं है मेरे आगे पीछे रोने वाला…मुझे ले लो…प्लीज मुझे ले लो…!!
आफिस के बाहर गाड़ी से उतरते ही एक अनियंत्रित ट्रक नें रौंद दिया विशाखा को…
महक चीख पड़ी…विशाखा…!!!
भीड़ जमा हो गई…!! तभी महक का फोन बजनें लगा … अनुज के भाई नें किया था… ," महक दी … भइया कोमा से बाहर आ गए… … !!!""""