ब्रह्मास्त्र
ब्रह्मास्त्र
मैं बाजार से लौटकर अपनी गली में पहुँचा तो देखा कि मेरी पत्नी हाथ में बेलन और पड़ोसन झाड़ू लिए खड़ी है। मैं सोचने लगा कि आखिर क्या माजरा है? फिर याद आया कि घर से निकलते समय पड़ोसन से नजरें मिलते ही मेरी पलकें झपक गयी थीं।
मेरा मन आशंका और अनहोनी से डर गया। मेरी समझ में आ गया कि पड़ोसन ने तीली घिस दिया है और मेरी शामत आने वाली है। थोड़ा आगे बढ़ा तो पड़ोसन को कहते हुए सुना... "मेरे प्रेमी पर किसी ने बेलन चलाया तो मैं उस पर झाड़ू बरसाऊँगी।"
मैं एक बार बेलन और झाड़ू पर नजर दौड़ाया फिर चिल्ला पड़ा -"मेरे होते हुए मेरी पत्नी की ओर कोई आँख भी उठाया, तो उसकी आँखें फोड़ दूंगा।"
पड़ोसन झट से अंदर चली गयी और दरवाजा बंद कर लिया। फिर मैंने पत्नी से पूछा-"ये बेलन लेकर क्यों टहल रही हो?"
पत्नी ने बोला -"कुछ नहीं, बस धुलने जा रही थी... आप कपड़े बदल लीजिये. हाँ... आप चाय लेंगे या कॉफी?"
मैंने कहा -"आप जो पिला दो, सब अमृत ही है।"
पत्नी मुस्कराते हुए किचन में चली गयी और मैं भी कमरे में।
शुक्र है ऊपरवाले का जो सही समय पर ब्रह्मास्त्र की याद दिला दी वरना आज मेरा कर्ण बनना तो तय था।