Geeta Sharma

Horror Tragedy Crime

3.7  

Geeta Sharma

Horror Tragedy Crime

बंद करो अब तो

बंद करो अब तो

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बंद करो! अब तो यह भेदभाव

कन्या को अपना ही जानो


क्यों नहीं होता है तुम्हें दर्द ?

जो कन्या को सताते हो


क्या तुम्हारी रूह नहीं कांपती

ऐसा अत्याचार करते हुए ?

अरे ! कुछ तो सोचो क्या होगा

तुम्हें ऐसे जबरन क्षणिक सुख


प्राप्ति की हवश से ?

अंजाम देखो -तुम्हारा काल।


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