बंद खिड़की भाग 6
बंद खिड़की भाग 6
बंद खिड़की भाग 6
फोरेंसिक रिपोर्ट से पता चला कि महिला के गले पर उँगलियों के कोई निशान नहीं थे। पर उसके कंधे पर किसी की कनिष्ठा उंगली की अस्पष्ट सी एक छाप मिली। उस रस्सी पर से उँगलियों का कोई निशान नहीं पाया गया जिससे लटक कर महिला मरी थी। स्टूल पर से कई निशान बरामद हुए। जिनके मिलान का काम काफी जान मारी का था। तुकाराम आगे की पूछताछ करने बस्ती में पहुंचा। वह सादी वर्दी में था और अपनी निजी मोटरसाइकिल से वहाँ पहुंचकर एक दुकान के बाहर जा खड़ा हुआ। यह दिगंबर के घर के सामने ही स्थित एक जनरल स्टोर टाइप का पतरे और काठ कबाड़ से बना हुआ एक ढांचा था जिसपर काफी लोग अपनी ज़रुरतों का सामान ले रहे थे। तुकाराम ने वहाँ से सिगरेट का एक पैकेट लिया और बगल में खड़े होकर सुलगाने का उपक्रम करने लगा लेकिन उसके आँख कान एकदम चौकन्ने थे। दो-तीन महिलाएं गायत्री की आत्महत्या पर ही वार्तालाप कर रही थीं।
"बेचारी! अब क्या होगा उसके छोटे छोटे बच्चों का?
"होगा क्या! दिगम्बर उनकी नई माँ लाएगा और क्या"
हाय अल्ला! एक बुर्काधारी महिला बोली, बिचारी इसी झंझट से कंटाल के लटक गई होगी फांसी पे। अल्ला कर्मामारी डायन को जहन्नुम में जलाए जिसने ये घर उजाड़ दिया।
वे महिलायें इस घटना को आत्महत्या मानकर ही वार्तालाप कर रही थी पर तुकाराम समझ गया कि दिगंबर का ज़रुर किसी और से चक्कर था। उन महिलाओं की बात ख़त्म होने पर तुकाराम घटनास्थल पर पहुंचा एक कांस्टेबल वहाँ तैनात था जिसने तुकाराम को पहचानकर एक सलाम ठोका। दो- तीन दिन यह कमरा खाली रखने की पुलिस की हिदायत के मद्देनजर दिगंबर और उसके बच्चे अगल-बगल में कहीं पनाह पाए हुए थे। तुकाराम ने बारीकी से पूरे घर का मुआयना किया परंतु उसे खिड़की और दरवाजे के अलावा कहीं से भी बाहर जाने का कोई मार्ग दिखाई नहीं दिया और घटना के बाद दोनों पर सिटकिनी लगी पाई गई थी तो आखिर हत्यारा फरार कैसे हुआ? तुकाराम अपनी गंजी खोपड़ी खुजलाने लगा। यह रहस्य उसकी समझ से बाहर था। उसने वहाँ से अपने मित्र और जासूसी कथा लेखक श्रीकांत को फोन किया और वहाँ आने को कहा। श्रीकांत का जासूसी कथा लेखन में बड़ा नाम था और वह बड़ी कुशाग्र बुद्धि का स्वामी था। पहले भी कई बार उसने पुलिस की मदद की थी और इसी सिलसिले में वह और तुकाराम मित्र बन गए थे। श्रीकांत थोड़ी ही देर में वहाँ पहुँच गया उसने आते ही तुकाराम से हाथ मिलाया और स्थिति की जानकारी ली। वस्तुस्थिति से अवगत होने पर वह भी असमंजस में पड़ गया। आखिर कोई कैसे हत्या करने के बाद उसे आत्महत्या का जामा पहनाकर हवा में लोप हो सकता था? लेकिन उसने बारीकी से निरीक्षण आरम्भ किया। दरवाजे की टूटी हुई सिटकिनी अपनी कहानी आप कह रही थी। श्रीकांत ने खामोशी से सारे कमरे का निरीक्षण किया खिड़की के पास जाकर बारीकी से देखना शुरू किया। खिड़की जमीन से लगभग चार फीट की ऊंचाई पर थी। उसके दोनों पल्ले बंद थे और सिटकिनी लगी हुई थी । श्रीकांत ने सिटकिनी खोली और बाहर झाँकने लगा। यह देखकर श्रीकांत के चेहरे पर मुस्कुराहट की रेखा आ गई कि सिटकिनी खिड़की के निचले भाग में लगी हुई थी। उसने दो चार बार सिटकिनी ऊपर नीचे की, पल्लों को बंद चालू किया और तुकाराम के पास आ कर मुस्कुराता हुआ बोला, चलो! कातिल के गायब होने का रहस्य खुल गया है। तुकाराम जो अभी तक शांत भाव से उसे देख रहा था उसका मुंह आश्चर्य से खुल गया।
क्या था वह रहस्य?
कैसे गायब हुआ था कातिल
कहानी अभी जारी है...
पढ़िए भाग 7