STORYMIRROR

Baburam Shing kavi

Abstract

4  

Baburam Shing kavi

Abstract

बिन दहेज की शादी

बिन दहेज की शादी

3 mins
388

राधिका एक बहुत ही सुन्दर,

सुशील अपने माँ-बाप की एकलौती लड़की थी ।साधारण परिवार की होने के कारण किसी तरह इन्टर तक पढ़ पाई।धीरे-धीरे 

राधिका २१वर्ष की हो गई।उसके माता-पिता लड़की की विवाह के लिए चिन्तीत हो लड़का ढूढ़ने लगे। काफी दौड़ धूप के बाद एक लड़का मिला, जो वकिली करता था,घर-वर सब कुछ बहुत ही सुन्दर देख उसके पिता विवाह की बात पक्का करने लडके के घर गये।

बात-चित के दौरान लड़के वालों ने पांच लाख रूपये की मांग की,लड़की के पिता मोहन यह सोचकर बात मान लिए कि ऐसा लड़का फिर कहीं मिले या ना मिले। शादी तय हो गई।दोनों तरफ शादी की तैयारीयां होने लगी। मोहन के पास तो लाख रुपयें भी नहीं, अपने गांव के एक रईस व्यक्ति राधा चौबे से पांच लाख रू०कर्ज की मांग की तो उन्होने कहा कि ठीक है, जब जरुरत पडे तब आकर ले जाना।

मोहन शादी का सब समान अपने पास जो पैसा था, उससे खरीद लिया,सब कुछ व्यवस्था हो गया, आज हीं बारात आनेवाली है।ठीक शुबह ८ बजे मोहन राधा चौबे के पास पैसा के लिए गया,उन्होनें कहा कि मोहन पैसा तो मै तुझे अवश्य हीं दूगां

लेकिन एक लाख ही हो पायेगा।

यह सून मोहन गिडगिडाने लगा रोने लगा कि कुछ किजिए हमारी इज्जत चली जायेगी।राधा चौबे बोले देखो मोहन इस समय इससे ज्यादा मै कुछ नहीं कर सकता यह पैसालो औरअपने घर जाओ।

मोहन रोते-रोते घर आया, यह बात जानकर राधिका और उसकी माँ भी फूट-फूट कर रोने लगी,कुछ देर रोने के बाद सभी शान्त हुए। मोहन की पत्नी मंजू एक पढ़ी लिखी औरत थी,वह मोहन से बोली आप चिन्ता न करें, मै अपने सहेलियों से पैसे का इन्तजाम करती हूँ। इतना कह अपनी एक सहेली को साथ ले स्कूटर से घुम-घुम कर तीन लाख रू॰जमा कर घर लौट आइ,अब मोहन के पास चार लाख रू॰का इन्तजाम हो गया था।

 ठीक रात ८ बजे बारात आ गई,व्दारपूजा सम्पन्न हुआ।उसके बाद वर के पिता मोहन को बुला कहे कि मैने आपसे पहले कुछ नहीं कहा कारण कि आपने कहा था कि बारात आने पर ५ लाख रू०दे दूगां तो आप पहले पैसा देवें उसके बाद हीं सिन्दूर दान होगा।

 मोहन अपनी सारी राम कहानी कहकर उनको चार लाखरू॰ देने लगा और कहने लगा कि शेष पैसे मै एक महीनें के अंदर आपको दे दूंगा लेकिन लड़के पिता ने साफ इन्कार कर दिया कि जबतक पुरा पैसा नहीं मिलेगा तबतक सिन्दुर दान नही होगा।मोहन उनका पैर पकड कर रोने लगा,काफी गांव के लोग भी इकठ्ठा हो अनुनय विनय किये कि विवाह की रस्म पूरा कर दिजीये, बहुत लाचार हो गयें है।

बाद में आपका पूरा पैसा दे दगें।

लड़के वालों ने बिल्कुल मना कर दिया और मोहन को गाली भी दे दिया।

वर के पिता मोहन को बहुत कुछ भला-बुरा कहा,वर भी अपने पिता का भरपूर साथ दे रहा था।

यह सब देख राधिका को बर्दास्त नहीं हुआ वह बारात में सबके सामने आकर बोली मै तुझ जैसे सैतान से शादी कदापि नहीं करुगी और अपने पिता को ले घर जाने लगी।

उसी बारात में एक लडका बाराती बनकर आया था जो इन्जिनीयर था ।वह खडा होकर बोला राधिका रूको अगर तुम्हें मंजूर हो तो मै तुमसे बिन दहेज शादी करने के लिए तैयार हूँ।राधिका सहर्ष स्विकार कर लिया।बारात वाले घर लौट गयें, राम और राधिका की शादी मन्दिर में सम्पन्न हुई और पूरे परिवार में खुशी की लहर चारों तरफ दौड़ गयीं। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract