Devendra Prasad
Horror
इस कहानी के राइट्स मैने किसी publication को दिया है जिसकी वजह से यह स्टोरी यहाँ से हटा ली गई है। यदि वह कहानी पढ़नी है तो मुझे devendrapd69@gmail.com पर मेल करें।
भटकती चुड़ैल
"He thought it was just a book... until it started reading him. "He thought it was just a book... until it started reading him.
प्रवेश कक्ष से ही आयोडीन और कपूर के तेल की तेज़ गंध आ रही थी। प्रवेश कक्ष से ही आयोडीन और कपूर के तेल की तेज़ गंध आ रही थी।
किसी तरह उसने दस्ताने उतारे और अपने हाथ की ओर देखा। अब उसका हाथ लाल हो गया. किसी तरह उसने दस्ताने उतारे और अपने हाथ की ओर देखा। अब उसका हाथ लाल हो गया.
एस.एस. औरंग मेडान” जो उनसे कुछ ही मिल की दूरी पर बड़े शान से तैर रहा था । एस.एस. औरंग मेडान” जो उनसे कुछ ही मिल की दूरी पर बड़े शान से तैर रहा था ।
जब मैंने इसे ध्यान से देखा, तभी मुझे पता चला कि यह कोई इंसान नहीं है। जब मैंने इसे ध्यान से देखा, तभी मुझे पता चला कि यह कोई इंसान नहीं है।
मुझे इस किताब का रहस्य जानने के लिए प्रयास करना चाहिए या नहीं। मुझे इस किताब का रहस्य जानने के लिए प्रयास करना चाहिए या नहीं।
दैत्याकार सरगना बोला कि आज माँ को किसकी बलि दी जाएगी। दैत्याकार सरगना बोला कि आज माँ को किसकी बलि दी जाएगी।
नहीं बच्चों, भूत-बूत नहीं होता है। अंकल तो कहानी सुना रहे थे। नहीं बच्चों, भूत-बूत नहीं होता है। अंकल तो कहानी सुना रहे थे।
मैंने शराब की वह भट्ठी देखी- जहाँ पर ढेर सारी बोतलें थीं और बोतलों में बन्द थीं चुड़ैले मैंने शराब की वह भट्ठी देखी- जहाँ पर ढेर सारी बोतलें थीं और बोतलों में बन्द थीं ...
घाटी के सौंदर्य ने रजत को पूर्णतया अभिभूत कर लिया था । घाटी के सौंदर्य ने रजत को पूर्णतया अभिभूत कर लिया था ।
मैं सुगंधा पेशे से वकील हूं। डाइवोर्स केस लेती हूं। मैं सुगंधा पेशे से वकील हूं। डाइवोर्स केस लेती हूं।
कभी कभी वो रात और वो मंज़र याद आता है तो मेरा दिल दहल उठता है आखिर वो क्या था? कभी कभी वो रात और वो मंज़र याद आता है तो मेरा दिल दहल उठता है आखिर वो क्या था?
उनका लंदन का सफ़र शुरु हुआ और जहाज बॉम्बे पोर्ट से लंदन पोर्ट के लिए रवाना हो गया। उनका लंदन का सफ़र शुरु हुआ और जहाज बॉम्बे पोर्ट से लंदन पोर्ट के लिए रवाना हो गय...
श्मशान के सन्नाटे को उल्लुओं कि आवाज भंग कर रही थी। श्मशान के सन्नाटे को उल्लुओं कि आवाज भंग कर रही थी।
प्रभास अनायास ही श्रद्धावनत होकर उनके पैरों पर झुक गया। प्रभास अनायास ही श्रद्धावनत होकर उनके पैरों पर झुक गया।
ये भी जरूरी नही की मुझे हर बार बहुत लम्बे सपने आते हों ये भी जरूरी नही की मुझे हर बार बहुत लम्बे सपने आते हों
एक नई पहेली उसका इंतजार कर रही थीं। एक नई पहेली उसका इंतजार कर रही थीं।
मुझे नहीं पहचाना मुझे नहीं पहचाना
अंत में वीरानियत के सायों ने उसे घेर लिया और वो कुछ न कर पाया। अंत में वीरानियत के सायों ने उसे घेर लिया और वो कुछ न कर पाया।