भगवान भला करें

भगवान भला करें

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"उफ़ आज कुछ ज़्यादा ही देर हो गयी ऑफिस में। अभी प्रेजेंटेशन को फाइनल करना रह गया है, घर जा कर कर लूँगा। सर दर्द से फटा जा रहा है, लंच भी ठीक से नहीं खा पाया।" लैपटॉप बैग लेकर विनय पार्किंग की और बढ़ा। बाहर हल्की बूंदाबांदी हो रही थी। दिसंबर का पहला हफ्ता, हवा में आज सरसराहट भी थी। कल गाड़ी में एक जैकेट रख लूँगा, इस बार ठण्ड कुछ जल्दी पड़ती दीखती है। गाड़ी स्टार्ट कर पार्किंग के बाहर पहुंचा और गति बढ़ाई। 

"खाना खा कर कुछ देर फिर प्रेजेंटेशन पूरा करने बैठना पड़ेगा।" इसी सोच विचार में विनय तेज़ी से गाड़ी बढ़ाते हुए जा रहा था। सड़क पर हल्का कोहरा भी दिख रहा था, अभी तो बस साढ़े दस हुआ है, अभी कोहरा? आगे सिग्नल हरा था, लाल बत्ती हो इससे पहले निकल जाऊँ। विनय ने एक्सेलरेटर पर पैर दबाया, सिग्नल पार करने ही लगा था कि अचानक एक अधेड़ सी महिला चौराहे की सड़क के बीचों बीच आ खड़ी हुई और दोनों हाथों से रुकने का इशारा करने लगी। विनय ने पूरी ताकत से ब्रेक लगाया और गाड़ी बीच चौराहे में जा रुकी, तभी दूसरी ओर से एक जीप तेज़ी से चौराहा पार करते हुए निकली।अभी विनय अचानक लगे ब्रेक से उबरा भी नहीं था कि उसे समझ में आया ये हुआ क्या। दूसरी ओर से निकलती जीप लाल बत्ती पार कर निकली थी।अगर वो न रुका होता तो...

वो महिला किनारे हो खड़ी हो गयी थी। आस पास एक दो गाड़ियाँ थीं जो रुकी और फिर निकल गयीं। वो महिला विनय की गाड़ी के पास आयी और बोली "साब ये कामायनी हॉस्पिटल कहाँ है, शाम से ढूंढ रही हूँ।" विनय अब भी स्तब्ध था, बिना कुछ पूछे उसे बता दिया पिछले सिग्नल पर है अस्पताल। वो चुपचाप सड़क पार कर आँखों से ओझल हो गयी। 

विनय घर पहुंचा तो सब सो रहे थे। सुबह उसने नीमा को सारी घटना सुनाई, वो भी चकित थी। "ओह! बचा लिया भगवान ने! मैं तैयार होकर आती हूँ, आज मंदिर जाऊंगी, विनय तुम भी साथ चलो।" 

"हाँ नीमा, कल का दिन बहुत व्यस्त निकला, सुबह ऑफ़िस में रेड क्रॉस का कैंप था, रक्त दान करने हॉस्पिटल चला गया और आधा दिन उसी में निकल गया फिर अचानक प्रेजेंटेशन का काम आ गया और रात को भी देर हो गयी, खाना भी नहीं खा पाया दिन में, फिर रात को ये घटना। चलो अभी मन्दिर चलते हैं, मैं वहीँ से ऑफ़िस चला जाऊँगा।"


ऑफ़िस पहुंचा ही था कि रेड क्रॉस के नुमाइंदे का फ़ोन आया। ""सर आपने कल रक्तदान किया उसके लिए बहुत धन्यवाद। हॉस्पिटल से फ़ोन आया था, आपका ब्लड ग्रुप रेयर है। उनके यहाँ एक दुर्घटनाग्रस्त पेशेंट था जिसे इसी ब्लड ग्रुप की ज़रुरत थी, उसकी कल जान बच गयी।"

 "ओह सच में? भगवान भला करें।"

"हाँ सर, परसों रात लाल बत्ती पर दुर्घटना हुई थी। एक नौजवान ऑटो चालक और उसकी माँ को एक ट्रक ने लाल बत्ती फांदते हुए टक्कर मार दी। माँ तो बच न सकी मगर वो लड़का बच गया।"

"कौन सी लाल बत्ती?" 

"वो सदर के पास, कामायनी हॉस्पिटल की अगली बत्ती। आज के अखबार में खबर छपी है।"

विनय की आँखें विस्मय से खुली रह गयीं। वो तो वही बत्ती थी जहाँ कल रात मैं ..... उसने फौरन अखबार देखा तो उस महिला की तस्वीर देख हक्का बक्का रह गया। उसे काल रात सिग्नल पर जिस महिला ने रोका वही थी मगर वो तो परसों?....


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