भाषा प्रतियोगिता
भाषा प्रतियोगिता
मैने बचपन से बहुत सुना है कि आत्मविश्वास से बढ़कर कुछ भी नहीं है । परंतु बचपन से ही मुझमें इसकी बहुत कमी थी । मै हमेशा डरी-डरी सी रहती थी । क्लास में भी हमेशा चुप रहती थी और ज्यादा किसी से बात करना पसंद नहीं करती थी । इसी कारण मेरे ज्यादा दोस्त भी नहीं थे ।
एक समय की बात है मेरे स्कूल में एक हर साल की तरह भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । मेरे सर के बहुत जोर देने पर मैंने भी उसमें भाग लिया । मैंने उसके लिए बहुत तैयारी की परंतु आत्मविश्वास की कमी के कारण मैं उसमें हार गई । मैं घर आकर बहुत रोईं । तब मेरी मम्मी ने मुझे बहुत समझाया कि एक हार से कुछ नहीं होता । तुम उसमें फिर से भाग लेना और जीतकर आना ।
मैनें उसमे हर साल भाग लिया पर हमेशा हार का ही सामना करना पड़ा । स्कूल के सब बच्चे मेरा मज़ाक उड़ाते थे । मैं बहुत निराश हो गई ।
अब मैंने फिर से इस साल पांचवी बार इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया । मैनें दृढ निश्चय किया कि इस बार तो मुझे हर हाल में जीतकर दिखाना है और ऐसा हुआ भी । मैंने इस बार प्रथम स्थान प्राप्त किया । मेरे सर ने मेरी बहुत तारीफ की । मेरे काफी सारे दोस्त भी बन गए और मेरी बुरी आदत भी छूट गई ।