भाई-बहन का मिलन (भाग-1)
भाई-बहन का मिलन (भाग-1)
फिर से भाभी नैना का फोन था रूही के फोन पर, एक भाभी ही तो थी जो रूही को समझती थी। रिश्तेदारों ने व सगे भाई तक ने रूही का साथ छोड़ दिया था। रूही ने जैसे ही फोन उठाया तो भाभी बहुत उदास लगी और कहने लगी,
" रूही पापा जी बहुत याद आते हैं। कितना ध्यान रखते थे वो मेरा। मुझे अपने पापा की कभी कमी महसूस नहीं होने दी उन्होंने। मेरे मांगने से पहले ही मेरी मनपसंद जलेबी कभी समोसे ले आते थे। जब भी बाजार जाते मम्मी जी के सूट के साथ साथ मेरे लिए भी एक दो सूट ले आते थे। कभी चूड़ियां कभी पर्स कितना ख्याल था उन्हें। तुम्हारे जाने के बाद अपना सारा प्यार मुझ पर लुटा दिया।लेकिन अंदर कहीं ना कहीं एक खालीपन भी था उनके मन में। मैं सब समझती थी पर कुछ कर नहीं पाती थी। रूही तुमने एक बहुत अच्छी ननद साबित हो गई।मगर माफ करना तुम एक अच्छी बेटी,एक अच्छी बहन नहीं बन पाई। शायद अब तुम्हें महसूस हो रहा होगा माँ -बाप का दुख। क्योंकि अब तुम भी माँ बन चुकी हो। ना जाने क्यों तुमने इतना प्यारा परिवार होते हुए एक गलत फैसला लिया।जिससे सारे परिवार की खुशियां बिखर गई।रूही पापा शायद आज हमारे बीच होते अगर उन्हें इतना दुख ना मिलता तो। मम्मी जी भी आजकल काफी बीमार रहती हैं अंदर ही अंदर कहीं ना कहीं घुल रही हैं।
तुम सोच रही होगी कि आज मैंने तुम्हें यह सब बातें क्यों बताई। क्योंकि पापा जी के जाने के बाद तुम्हारे भैया बिल्कुल चुप हो गए हैं। मैं नहीं चाहती की वह भी इस गम में घुल जाए और कुछ कर बैठें। इसलिए मैं चाहती हूं की बहन भाई फिर से बात करो मिलो। इससे पापा जी की आत्मा को शांति मिलेगी और हमारे परिवार में फिर से खुशहाली आएगी। तुम्हारे बिन आज भी एक घर अधूरा है तुम्हारे भाई की कलाई आज भी सुनी है। मुझसे देखा नहीं जाता घर में हर समय एक अजीब सा सन्नाटा पसरा रहता है। वैसे देखा जाए तो मैं कितनी भाग्यशाली हूँ जो मुझे इतना अच्छा परिवार मिला। माँ -बाप से बढ़कर प्यार करने वाले सास-ससुर तुम जैसी ननद,दो प्यारे बच्चे।मैं जानती हूँ तुम्हारे भैया थोड़े सख्त स्वभाव के हैं। लेकिन उन्होंने अपनी सारी जिम्मेदारियां अच्छे से निभाई हैं। लेकिन मैं भी अपनी सारी जिम्मेदारियां अच्छे से निभाना चाहती हूँ तुम्हें फिर से घर का हिस्सा बनते हुए मैं देखना चाहती हूं। हैलो... हैलो... रूही मुझे सुन रही हो....."
यह सब सुनकर रूही को बहुत रोना आ गया वो कोई जवाब ना दे पाई और उसने फोन काट दिया।
साथ ही अपने अतीत में पहुंच गई।जब उसके एक गलत फैसले ने ना सिर्फ उसकी बल्कि उसके साथ-साथ उसके परिवार की खुशियां भी छीन ली। विवेक और रूही जब कॉलेज में थे। तभी से एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे। लेकिन जैसे ही इसकी भनक घरवालों को हुई उनका विरोध हुआ।खासतौर पर रूही के भाई ने बहुत विरोध किया क्योंकि वो अच्छे से जानता था कि विवेक अच्छा लड़का नहीं है।लेकिन होनी को कौन रोक सकता था। एक दिन विवेक और रूही घर छोड़कर भाग गए और उन्होंने मंदिर में शादी कर ली। विवेक के माँ -बाप का तो पता नहीं लेकिन रूही के माँ -बाप बिल्कुल जड़ हो गए थे। जवान बेटी ने इतना बड़ा कदम उठा लिया और भाई! भाई तो जैसे गुस्से का घूंट पीकर रह गया। और उधर रूही जिसने विवेक को बहुत अच्छा समझा था उसने भी एक दो महीने में अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए। वह वापस अपने परिवार में उसे लेकर लौट आया। जहां रूही की कोई इज्जत नहीं थी। ना विवेक के माँ - बाप, ना ही भाई- बहन रूही को सम्मान देते थे। बल्कि उसे नौकरानी की तरह काम करवाते थे। जब वह प्रेगनेंट थी तो वह खाने के लिए तरस जाती थी।तब उसे अपने माँ -बाप,भाई-भाभी बहुत याद आते जो उसका इतना ध्यान रखते थे,उसे एक छींक भी आती तो सारा घर परेशान हो जाता था।
पर यहां कोई नहीं था उसका ध्यान रखने वाला, काम तो नौकरानी वाला करवाया जाता था ,खाने के टाइम उसे घंटों भूखा रखकर तो सूखी रोटी दी जाती।विवेक अपनी बची हुई पढ़ाई पूरी करने के लिए फिर से कॉलेज जाने लगा और दिन भर से बाहर रहता,उस पर जो बीत रही थी किसी से कह भी नहीं सकती थी, ना कोई दोस्त ना कोई रिश्तेदार कोई नहीं था उसकी सुनने वाला।अंदर ही अंदर घूट रही थी, एक बेटा और एक बेटी होने पर भी उसे कोई सम्मान नहीं था। घर में बस उसकी जगह थी तो बस एक नौकरानी की। धीरे धीरे पति विवेक ने भी उसे दोषी ठहराना शुरू कर दिया। विवेक को अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा पश्चाताप था कि उसने ऐसा गलत काम किया। लेकिन उसने सारा दोष तो रूही के माथे मढ़ दिया।अगर उन्होंने गलत कदम उठाया तो उसके दोषी वह दोनों थे। ना कि सिर्फ रूही। 4 साल पहले ही रूही की भाभी ने कहीं से उसका नंबर लेकर उसे फोन किया और अपनी सास से बात करवाई। माँ से बात कर रूही का मन काफी हल्का हो गया। लेकिन उसने माँ को विवेक और उसके परिवार की ज्यादतियां नहीं बताई। क्योंकि वह पहले इतना बड़ा दुख मां बाप को दे चुकी थी अब उन्हें और दुख नहीं करना चाहती थी जूही की शादी को 15 साल हो गए लेकिन उसकी स्थिति आज भी वही थी।
आज जब उसकी भाभी का फोन आया तो पुरानी बातें फिर याद आ गई।
क्या करेगी रूही? क्या अपने भाई और अपने बीच की दूरी को कम कर पाएगी?? क्या उसकी भाभी बहन भाई को फिर से मिला पाएगी? ? यह जानने के लिए इस कहानी का अगला भाग भाई-बहन का मिलन भाग-2 जरूर पढ़े।
धन्यवाद।