STORYMIRROR

पूजा भारद्वाज "सुमन"

Drama Tragedy

2  

पूजा भारद्वाज "सुमन"

Drama Tragedy

बेबस इंसान

बेबस इंसान

2 mins
160

कुछ अन सुलझी सी कहानी हर चौराहे पर खड़ी होती है

बहुत तेज बारिश हो रही थी मां की आवाज़ आई आज मत जा बारिश हो रही है बुखार आ जाएगा, पर मैं कहा सुनने वाली थी, शायद कोई कहानी मेरा इंतजार कर रही थी ।

मैंने बैग लिया और चल दी दफ़्तर की तरफ़ मौसम बढ़ा सुहाना था, झमाझम बारिश और बारिश का गाना सुनते हुए, मेरी गाड़ी दिल्ली की सड़कों पर दौड़ रही थी,

लो कर लो बात ये तो बताया नहीं की मैं कौन, मैं मधुलिका मैं एक फाइनेंस कंपनी में कार्यरत थी। मैं बारिश का लुत्फ़ उठाती हुई , गुनगुनाते हुए अपनी मंजिल की तरफ जा रही थी कि अचानक मेरी आंखें एक चौराहे पर आ कर मेरी आंखें रुख गई। मैंने देखा एक बेबस मजबूर बाप, जिसे हर हालत में अपने परिवार का पेट भरना था, उसके पास तो कोई बहाना भी नहीं था कि बारिश है, आज नहीं कल चला जाऊंगा, वो जानता था आज नहीं गया तो मेरा परिवार भूखा दो जाएगा। और मेरी पत्नी जो मुझ पर भरोसा करती है कि वो आज ज़रूर खाने को लाएंगे उसका भरोसा मैं कैसे तोड़ सकता हूं। वो अंकल जिन के बालों में सफेदी भी उसके हालत बता रही थी , गड्ढे में फंसी हुई उसकी आंखें, जो मिचमिचा रही थी पर खुलने पर मजबूर थी इंतजार था उसको दो पैसों का की उसे मिल जाए और उसके परिवार के चेहरे पर मुस्कान आ जाए। उनको ऐसा देख कर। मुझ से रहा नहीं गया, मैंने एक छाता निकाला और मेरे कदम उनकी तरफ़ बढ़ चले थे, मैंने छाता अंकल की तरफ़ किया।

उनसे बात की बात कर मेरी आंखों में आंसू झलक रहे थे।

मैंने अंकल को कुछ पैसे और कुछ राशन दिलाकर, उनको अपने साथ गाड़ी में बिठाकर उनके घर ले गई। वहां मैंने देखा एक घर जो ज़ार ज़ार हो रखा था,समझ में नहीं आ रहा था की बारिश आखिर कौन सी जमीन पर नहीं बरस रही, फिर भी अंकल को देख कर उनके परिवार वालों के चेहरे पर मुस्कान थी सुकून था।ये मुस्कान और सुकून ही तो है जो इस धरा पर सबसे बड़ा सुख है, अपने परिवार वालों का साथ उनके चेहरे पर मुस्कान और एक सुकून की हम साथ हैं।

ये सब देख कर मुझे बहुत खुशी हुई और मैं बारिश में नाची और ऑफिस तो नहीं घर गई और मां के हाथ की गर्मागर्म चाय पी।।

ये थी मेरी छोटी सी कहानी।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama