बे मौसम बरसात
बे मौसम बरसात
बारिश के मौसम में मन कैसे बावला हो जाता है ना? और मन में अनेक भाव उत्पन्न होने लगते हैं।...वो ठंडी बौछारें भरी हवाएं और फूलों के सुगंध, बस फिर क्या कहना। ..चारों तरफ फैली हरियाली और पास पीपल के पत्तों की सरसराहट भारी आवाज़ .....बे मौसम बरसात की बात ही निराली है, कहीं मार तो कहीं छाई हरियाली है। बारिश के एहसास को केवल वही बयां कर सकता है, जिसने उसकी हर एक बूंद को महसूस किया हो...पानी की बूंदें चेहरे से फिसल रही हो, हलकी हवाएं उन बूंदों के स्पर्श को बढ़ा रही हो.. उसपे से मिट्ठी कि सौंधी सौंधी महक... बस! क्या कहना। ..ना जाने कितनों के हृदय प्रसन्न भाव से भर जाते होंगे! .. मानो पूरी प्रकृति अपना प्रेम भाव निश्छलता से दिखा रही हो। इन बातों को केवल सामने से देखकर ही उनकी दिव्यता को जाना जा सकता है।..
