।। बच्चे की आप सूज ।।
।। बच्चे की आप सूज ।।
रोज की तरह आशा अपने बच्चों को घुमाने गार्डन में ले गई। घर लौटने पर आशा की तबीयत बिगड़ती गई, ठंड से कप कपाने लगी ओर तप गई और जाकर सो गई।
बच्चों को बहुत भूख लग रही थी।
मम्मी कुछ खाने का दो... यह देखकर आशा को मन में बहुत दुख हो रहा था पर वह कुछ नहीं कर पा रही थी। हाथ पैर जैसे अकड़ गए हो।
बेटी ने तुरंत पापा को फोन लगा कर कहा कि कुछ खाने का लेते आना, मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है।
अब आशा और उसके बच्चों की निगाह सिर्फ घड़ी पर और दरवाजे पर कि अब बेल बजेगी और पापा खाने का लेकर आएंगे। कुछ देर में बेल बजती है " पापा आए होंगे" हां आ गए हैं जैसे उस दिन मसीहा के रूप में आए हो, सभी के चेहरे पर मुस्कान आई। आशा के पति ने चिंता जताई और सभी को खाना खिलाया।
