Pratik Prabhakar

Fantasy Inspirational

3.5  

Pratik Prabhakar

Fantasy Inspirational

बापू आज होते

बापू आज होते

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बापू महात्मा गाँधी ने अपने सहयोगी को आवाज़ दी। सहयोगी के आते ही उनसे पूछा 

"बाहर किस बात की इतनी शोर है?"

"कुछ नहीं बापू, कुछ असंतुष्ट लोग बाहर आपसे मिलने आये हैं।" सहयोगी ने कहा।


बापू ने फिर कहा ,

"देश को आज़ादी तो मिल ही गयी, इतने देश भक्त नेताओं ने संसद की गरिमा बढ़ायी। क्या नेता लोग आज ठीक से काम नहीं करते कि आजादी के 70 साल बाद भी यह स्थिति है ।"


सहयोगी बापू को सहारा देते हुए लोगों के बीच ले गया। तब बापू ने सबसे बुजुर्ग से पूछा

"आपको क्या परेशानी है?"


बुजुर्ग ने कहना शुरू किया,

"मेरे बेटे ने मुझे घर से निकाल दिया, और सारी संपत्ति भी हड़प ली। अब मैं कहाँ जाऊँ, मेरी कोई नहीं सुनता ?"


तब बापू ने युवा से पूछा।


युवा ने बेरोजगारी की बात की। महिलाओं ने घरेलू अत्याचार की बात की। किसी ने सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार के बारे में बताया।

लड़कियों ने खुद की सुरक्षा से संबंधित अपनी चिंताओं से अवगत कराया। कुछ लोगों ने दंगे में मारे गए लोगों के लिए इंसाफ की बात की।


बापू सोच में पड़ गए, उनके मुंह से अनायास ही निकल गया

 " मेरे सपने का भारत ये तो नहीं था।"


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